मिट गयीं वो हस्तियाँ,
और उनकी बस्तिया
जो मिटाने के लिए, हमे आई हैं
थम गयीं वो आँधियाँ,
बुझ गयीं वो बातिया
जो जलाने के लिए, हमे आई हैं
कट गये वो कर,
झुक गये वो सर
जो झुकने के लिए, हमे आए हैं
मिट गयीं वो हस्तियाँ,
और उनकी बस्तिया
जो मिटाने के लिए, हमे आई हैं
थम गयीं वो आँधियाँ,
बुझ गयीं वो बातिया
जो जलाने के लिए, हमे आई हैं
कट गये वो कर,
झुक गये वो सर
जो झुकने के लिए, हमे आए हैं
रेणु
24 मई 2017बहुत सुंदर प्रेरक पंक्तियाँ
कुँवर दीपक रावत
25 मई 2017हृदय से आभार रेणु जी