कुछ खत मेरे नाम, बेनाम चले आए
हम आज तेरी महफ़िल से, गुमनाम चले आए
कुछ वक़्त तेरे साथ, कुछ लम्हे तेरे नाम
तेरी दोस्ती की गफलत में, हर शाम चले आए
नाचीज़ समझते हो, बड़े शौक से समझो
फिर भी मेरे नाम, कुछ इल्ज़ाम चले आए
कुछ समझ गये हम, कुछ समझा गये हम
कुछ ना कह के भी, बदनाम चले आए
रेणु
24 मई 2017बहुत बढ़िया पंक्तियाँ
कुँवर दीपक रावत
25 मई 2017हृदय से आभार रेणु जी