मुफ़लिसी में सब ने दामन छोड़ दिया
दोस्त नज़रें चुरा कर निकल जाते हैं
अपने भी अजनबी लगते हैं
रिश्तों में दूरियाँ आ गयी है
फिर दिल को समझता हूँ
किसी से क्यों गिला करता है
तेरी ख़ुद की परछाईं
तेरा साथ छोड़ देती है
रात के अंधेरे में
तो इस जहान से क्यों उम्मीद रखता है
तेरा साथ देने की
नृपेंद्र कुमार शर्मा
02 जून 2017सही बात है