6 जून 2017
जी आलोक जी सहमत हूँ आपसे | इस विषय पर यदि पहले ही कोई आचार संहिता बनाई गयी होती तो शायद ये दुर्दिन आने की नौबत ना आती | सबसे ज्यादा वो नारियां भी कम दोषी नहीं जो शुरुआत के समय में प्रतिनिधि थी -- अगर वे सजग रहती तो आने बाली औरत एक संस्कारी रूप में आती ना ही बाजारी में ------
4 जुलाई 2017
ज्वलंत विचार, किन्तु इसमें कहीं ना कहीं नारी भी दोषी है।
8 जून 2017
धन्यवाद साक्षी जी शालिनी जी।।
7 जून 2017
सही कहा है आपने
7 जून 2017