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पितृ दिवस ,, भारतीय संस्कृति या केवल एक ओपचारिकता

18 जून 2017

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मित्रो

सादर नमश्कार .

आपके समक्ष यह मेरा प्रथम प्रयास हैं आशा करता हु कि आप मेरे विचारो से सहमत होंगे ,

आज भारत में पितृ दिवस मनाया जा रहा है लेकिन क्या एक पिता का सम्मान केवल एक दिन के ही लिए है एक पिता जो अपने बच्चों के पैदा होने से लेकर उनके सक्षम होने तक उनके परवरिश में अपना सारा जीवन बिना किसी अपेक्षा के गुजार देता है , उसके लिए सिर्फ एक ही दिन क्यों? कभी अपने खुशियों के गला घोट कर , कभी अपने इचछाओं को मन में ही दबा के हर परिस्थति में केवल अपने परिवार ओर अपने बच्चो के लिए दिन रात जो मेहनत करता है उसका सिर्फ सम्मान एक दिन के लिए ? वास्तव में हमारा समाज बाजारवाद व् पश्चिमी सभयता के चंगुल में फसता जा रहा है / भारतीय संस्कृति का मूल माता पिता के सेवा व् सम्मान में निहित है करबद्ध प्राथना है मेरी उन सभी प्रबुद्ध जनो से अपने अपने आस पास के वातावरण को अपने

प्रयासो से अपने संस्कृति के रंग में रंगने का प्रयास करे ओर शुरआत अपने परिवार्रो से करे

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