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गीत --- आलोक सिन्हा

26 जून 2017

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काग बोला है मुडेरी |

क्या तुम्हें हम याद आये ,

और तुमनें पग बढाये ,

पर अभी टूटी कहाँ होगी जंजीर तेरी |

ये हवा सीली हुई है ,

दूब कुछ गीली हुई है ,

जानता हूँ रच रही बरसात होगी याद मेरी |

शुभ शगुन हो या अमंगल ,

घट न पाता है नयन जल ,

ये अमिट है खिल न पायेगी अमावस में उजेरी |

रेणु

रेणु

आदरणीय मंजरी जी ------- सादर प्रणाम ------ एक बार फिर से आलोक जी की रची सुन्दर पंक्तियाँ दिल को छू गयी ---- जानता हूँ रच रही होगी बरसात याद मेरी --- जैसे बहुत --------------------- बहुत ही सुंदर भावों से सजी और हृदयस्पर्शी -------- बहुत बधाई और आलोक जी को भी सादर प्रणाम

26 जून 2017

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गीत ---आलोक सिन्हा

2 जून 2017
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दूर हैं हमसे हमा

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चार मुक्तक ----- अलोक सिन्हा

12 जून 2017
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1 आंसुओं के घर शमा रात भर नहीं जलती , आंधियां हों तो कली डाल पर नहीं खिलती | धन से हर

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गीत ---- गोपालदास नीरज

14 जून 2017
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धनियों के तो धन हैं लाखों ,मुझ निर्धन के धन बस तुम हो | कोई पहने माणिक माला , कोई लाल जडावे | कोई रचे महावर मेहदी , मुतियन मांग भरावे |सोने वाले , चांदी वाले , पानी वाले पत्थर वाले ,तन के तो सौ सौ सिंगार हैं , मन के आभूषण बस तुम हो | कोई ज

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गीत -- आलोक सिन्हा

20 जून 2017
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गीत --- आलोक सिन्हा

26 जून 2017
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काग बोला है मुडेरी | क्या तुम्हें हम याद आये ,और तुमनें पग बढाये ,पर अभी टू

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गीत -- अलोक सिन्हा

18 जून 2018
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कब तक आशा –दीप जलाऊँ , इस अल्लढ़ मन को समझाऊँ | जनम जनम से मन की राधा , खोज रही अपना मन भावन | तृष्णा नहीं मिटी दर्शन की , रीत गया यह सारा जीवन

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कविता

2 अक्टूबर 2018
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गांधी बाबा के स्वराज में सुरा बहुत है राज नहीं है | राज बहुत खुलते हैं लेकिन खिलता यहां समाज नहीं है | यह देखो कैसी विडंबना राजनीति में नीति नहीं है और राजनैतिक लोगों को नैतिकता

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गीत

20 जून 2019
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शादी के बाद ससुराल से एक बेटी की अपनी माँ को भावनात्मकपाती -- गीत जिसकी रज ने गोद खिलाया , पैरों को चलना सिखलाया . जहाँ प्यार ही प्यारभरा था - वह आंगन बहुत याद आता है | सुबहसुबह आँखें खुलते ही , तेरा वहपावन सा चुम्बन | फिरदोनों बांहों में भरकर. हल

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