देश वही है, मिटटी भी वही है
पर सच मानिये अब इस देश से आर्यभट्ट, शुश्रुत, चाणक्य, भाष्कराचार्य, पतंजलि जैसे महान लोग नहीं निकलते
यहाँ तक की इजराइल, नीदरलैंड, स्वीडन जैसे देश भी तकनीक में हमसे आगे है
क्यूंकि हम अब भारत ीय नहीं बल्कि अंग्रेज बनने चले है
हम बच्चों को शुरू से ही अंग्रेज बनाने में लग जाते है, भैया अंग्रेजी की दुम पकड़कर चल रहा है भारत
17वी सदी में मकौले आया और उसने गरूकुल ख़त्म करवा दिए और कान्वेंट स्कुल लागू करवा दिए
और आज भारत में पूर्ण स्कूली शिक्षा प्रणाली है, जो की 100% विदेशी शिक्षा प्रणाली है
17वी सदी से पहले भारत में गुरुकुल होते थे, संस्कृति पढाई जाती थी
आज कितने भारतीयों को संस्कृति आती है, जबकि अमरीकी नासा से लेकर जर्मनी तक के लोग संस्कृति को सबसे ऊपर का दर्जा दे चुके है, शोध करते रहते है, खैर
जब भारत में गुरुकुल थे, भारत की मिटटी से आचार्य चाणक्य, आर्यभट्ट, शुश्रुत, पतंजलि, भाष्कराचार्य जैसे लोग निकलते थे, दुनिया भारत में पढाई के लिए आती थी
विक्रमशिला यूनिवर्सिटी, और नालंदा यूनिवर्सिटी साथ ही तक्षिला का नाम तो अपने सुना ही होगा
अब बताइये की कितने लोग विदेशो से भारत में पढ़ने आते है
17 सदी के बाद आपने विदेशी शिक्षा प्रणाली अपना ली, अब आपके इसी देश से कोई आर्यभट्ट, चाणक्य, शुश्रुत नहीं निकलता, अविष्कारक अब भारत से कहाँ निकलते है
जबकि उस ज़माने में जब गुरुकुल थे, एक से बढ़कर एक अविष्कारक भारत से निकलते थे
भारतीयों ने 2500 साल पहले बिना जंग लगने वाला लोहा बना लिया था, 0 का ज्ञान दिया, अलजेब्रा का ज्ञान दिया, अर्थशास्त्र क्या होता है भारत ने दुनिया को बताया, उस ज़माने में शुश्रुत सर्जरी कर देते थे
पतंजलि ने आयुर्वेद की किताबे लिख दी, भाष्कराचार्य ने प्लेन की तकनीक दी साथ ही गुरुत्वआकर्षण की खोज की
ये वो जमाना था जब गुरुकुल थे, भारतीय शिक्षा प्रणाली थी
और आज भारत में भारतीय शिक्षा नहीं बल्कि विदेशी शिक्षा प्रणाली है, तभी भारत पीछे है, और ये सच है