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मासूमीयत

6 जुलाई 2017

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शर्मा जी अभी-अभी रेलवे स्टेशन पर पहुँचे ही थे। शर्मा जी पेशे से मुंबई मे रेलवे मे ही स्टेशन मास्टर थे। गर्मी की छुट्टी चल रही थी इसलिए वह शिमला घूमने जा रहे थे, उनके साथ उनकी धर्मपत्नी मंजू और बेटी प्रतीक्षा भी थी।

ट्रेन के आने मे अभी समय था।तभी सामने एक महिला अपने पाँच साल के बच्चे के साथ आई, शायद वे भी शिमला जा रहे थे। उस महिला के साथ जो बच्चा था वो थोड़ा बातूनी और चंचल था। उसकी चंचलता को देख शर्मा जी बोले - "बड़ा नटखट और मासूम बच्चा है।"

तभी एक लगभग आठ वर्षीय लड़का शर्मा जी के पास आया, उसने फटी और मैली शर्ट पहन रखी थी जो उसके पैर के घुटनो से भी नीचे तक जाती थी और शर्ट की एक हाथ मे घुटने तक फटी हुई थी, नीचे शायद उसने एक अंडरवियर के अलावा कुछ भी नही पहना था। वह एक आशान्वित नजरों से शर्मा जी को देख रहा था, और शायद शर्मा जी ने भी उस बच्चे को देखा था लेकिन देखकर भी अनदेखा कर दिया। लेकिन वह बच्चा अभी भी वहीं बना रहा। कुछ देर तक यूँ ही खड़े रहने के बाद उसने शर्मा जी का एक हाथ पकड़कर धीरे से नीचे की ओर खींचा, परंतु इस बार शर्मा जी के सब्र का बाँध टूट गया। उन्होंने बच्चे को जोर से झिडकते हुये बोला - "क्या चाहिए?" बच्चा पहले तो डर गया परंतु फिर उसने अपने हाथ से मुँह की तरफ इशारा किया, और फिर यथावत हाथ फैला लिए। शर्मा जी ने कहा छुट्टे नहीं है। और तभी ट्रेन भी आ गई और शर्मा जी अपने परिवार के साथ ट्रेन पर सवार हो गया।

वह बच्चा अभी भी अपनी रुआसी नजरों से उन्हें ट्रेन मे चढते हुए देख रहा था, और मन ही मन शिकासती लहजे मे बोला - "क्या भगवान मासूमीयत भी आपने पैसे वालों को दे दिया।"


शर्मा जी अभी-अभी रेलवे स्टेशन पर पहुँचे ही थे। शर्मा जी पेशे से मुंबई मे रेलवे मे ही स्टेशन मास्टर थे। गर्मी

की छुट्टी चल रही थी इसलिए वह शिमला घूमने जा रहे थे, उनके साथ उनकी धर्मपत्नी मंजू और बेटी प्रतीक्षा भी

थी। ट्रेन के आने मे अभी समय था।तभी सामने एक महिला अपने पाँच साल के बच्चे के साथ आई, शायद वे भी

शिमला जा रहे थे। उस महिला के साथ जो बच्चा था वो थोड़ा बातूनी और चंचल था। उसकी चंचलता को देख

शर्मा जी बोले -

"बड़ा नटखट और मासूम बच्चा है।"

तभी एक लगभग आठ वर्षीय लड़का शर्मा जी के पास आया, उसने फटी और मैली शर्ट पहन रखी थी जो उसके पैर के घुटनो से भी नीचे तक जाती थी और शर्ट की एक हाथ मे घुटने तक फटी हुई थी, नीचे शायद उसने एक
अंडरवियर के अलावा कुछ भी नही पहना था। वह एक आशान्वित नजरों से शर्मा जी को देख रहा था, और
शायद शर्मा जी ने भी उस बच्चे को देखा था लेकिन देखकर भी अनदेखा कर दिया। लेकिन वह बच्चा अभी भी
वहीं बना रहा। कुछ देर तक यूँ ही खड़े रहने के बाद उसने शर्मा जी का एक हाथ पकड़कर धीरे से नीचे की ओर
खींचा, परंतु इस बार शर्मा जी के सब्र का बाँध टूट गया। उन्होंने बच्चे को जोर से झिडकते हुये बोला - "क्या
चाहिए?"

बच्चा पहले तो डर गया परंतु फिर उसने अपने हाथ से मुँह की तरफ इशारा किया, और फिर यथावत हाथ फैला लिए। शर्मा जी ने कहा छुट्टे नहीं है। और तभी ट्रेन भी आ गई और शर्मा जी अपने परिवार के साथ ट्रेन पर सवार
हो गया।

वह बच्चा अभी भी अपनी रुआसी नजरों से उन्हें ट्रेन मे चढते हुए देख रहा था, और मन ही मन शिकासती लहजे
मे बोला - "क्या भगवान मासूमीयत भी आपने पैसे वालों को दे दिया।"

मासूमीयत
सतीश वर्मा

सतीश वर्मा

हार्दिक

16 सितम्बर 2017

सतीश वर्मा

सतीश वर्मा

अत्यंत सुंदर रचना।आपका हार्दिक

16 सितम्बर 2017

रवीन्द्र  सिंह  यादव

रवीन्द्र सिंह यादव

मर्मस्पर्शी लघुकथा .

25 अगस्त 2017

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मेरी जिंदगी…………………एक कहानी

4 अगस्त 2016
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मेरा नाम …………. छोड़ो भी, मेरे नाम मे क्या रखा है. कहते है लोगो को एक नाम इसीलिए दिए जाते है की वो रहे या ना रहे उन्हे हमेशा पहचाना जा सके, लेकिन फिर भी मै चाहता हूँ, की मेरा नाम एक गुमनाम शक्सियत हो. अब मै आप सभी को रूबरू करने जा रहा हूँ अपने इस अधूरे जिंदगी के सफ़र के बारे मे. मै शुरुआत करना चाहूँग

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असहिष्णुता व सहिष्णुता

5 अगस्त 2016
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आजकल चर्चा है इसी बात पर की,ज़माना असहिष्णु होता जा रहा है |कोई वापस देता तमगा है,तो कोई घर छोड़ जा रहा है ||मै तो हूँ अचंभित,सब को दिख रही असहिष्णुता,दुम दबा के मुझसे ही,क्यों भगा जा रहा है ||मैंने खोजा सब जगह,खेत-खलिहान, बाग़-बगीचे |अन्दर-बाहर, सड़क और नदी,पर मुझे तो कही दिख ना रहा है ||कही फटा बम,तो

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मेरे बारे में.

6 अगस्त 2016
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मै ........., छोड़िये भी | यहाँ, मेरे नाम से कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि यह अधिकप्रभावशाली  नहीं है |मैंने अपने जीवन के २० वर्ष पूरे कर लिए है | मैं  भदोही से हूँ, जो पूरी दुनिया में अपने वस्त्र निर्यात के लिए जाना जाता है। मेरे पास अपने बारे में बताने के लिए कोई और अधिक सामग्री नहीं है, क्योकी मै अ

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मेरा गाँव

7 अगस्त 2016
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मेरा गाँव मोहनपुर, कालीन नगरी भदोही जनपद का एक छोटा सा गाँव है, क्षेत्रफल की दृष्टी से यह बड़ा तो नहीं है, लेकिन जनसँख्या की दृष्टी से बड़ा है | लेकिन अब नहीं रहा क्योकी आधी से ज्यादा आबादी तो रोजगार की आशा में मुंबई जैसे महानगरो की और पलायन कर चुका है | गाँव के बीचोबीच ही सारी आबादी बसी हुई है और चार

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मेरा परिवार

8 अगस्त 2016
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आज बात करूंगा परिवार के कुछ सदस्यों के बारे में जिन्हें मै चाहकर भी भुला नहीं सकता मेरा परिवार जिसमे मै भारत देश की एकता और अखंडता को वीद्दमान पाता हूँ, मेरा परिवार एक संयुक्त परिवार है जो भारत में ख़त्म होने की कगार पर है, और मै भारत वर्ष के लोगो से इसके संरक्षण हेतु आगे आने का आह्वान करता हूँ | मेर

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मेरे दादाजी

9 अगस्त 2016
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मेरा पूरा गाँव मेरे परीवार के प्रत्येक सदस्य को सम्मान की दृष्टी से देखता था, अभी भी वह सम्मान बरकरार है या नहीं यह कहना थोड़ा मुश्किल है | लेकिन जो सम्मान मुझे भी मिलता आया है उसे मै अपनी बड़ी उपलब्धी मानता आया हूँ, (संभवतः अब यह भ्रम टूट गया है)| गाँव में सभी अपनो से बड़ो या छोटो को भी जिन्हें सम्मान

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मेरा घर

10 अगस्त 2016
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जैसा की मैंने आपको बताया, मेरा जन्म भदोही जिले के एक छोटे से गांव मोहनपुर में हुआ, जो बहुत ही सुंदर और प्रकृति से भरा है। मेरे गाँव की भौगोलिक संरचना कुछ ऐसी है की यह भदोही और इलाहबाद जिले के बिच में है | इलाहाबाद कुछ ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है। यह जगह प्रयाग कुंभ मेला और कई  अन्य सांस्कृतिक विरास

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कसूरवार कौन ?

11 अगस्त 2016
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बात तब की है जब मै सिर्फ १२ साल का था | मै अपने जन्म स्थान, उत्तरप्रदेश के भदोही जिले में अपने माता-पिता के साथ रहता था | वही भदोही जो अपने कालीन निर्यात के लिए विश्व विख्यात है | मेरा परिवार एक संयुक्त परिवार है, जहाँ मेरे दादाजी अपने दो भाइयों और उनके पुरे परिवार के साथ रहते है | और मै खुद को इसील

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मासूमीयत

6 जुलाई 2017
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शर्मा जी अभी-अभी रेलवे स्टेशन पर पहुँचे ही थे। शर्मा जी पेशे से मुंबई मे रेलवे मे ही स्टेशन मास्टर थे। गर्मी की छुट्टी चल रही थी इसलिए वह शिमला घूमने जा रहे थे, उनके साथ उनकी धर्मपत्नी मंजू और बेटी प्रतीक्षा भी थी। ट्रेन के आने मे अभी समय था।तभी सामने एक महिला अपने पाँच स

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मजदूर

1 मई 2018
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मजदूर, ऐसा शब्द,जिससे प्रायः हम सभी परीचित होंगे,वही गंदे पुराने कपडे, पसीने से सने हुए,चहरे पर गहरी लकीरे,और मन में हीनता की भावना|आज मजदूर दिवस,हम धूम धाम से मनाएंगे|उसे छुट्टी देकर,अच्छा सा केक खीलायेंगे|आज कोई काम नहीं करने देंगे,न

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मेरे मन की

12 जुलाई 2018
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#meremankeeMere Man Kare "मेरे मन की" पर आपकी रचनाओं के ऑडियो / विडियो प्रसारण के लिए सादर आमंत्रित हैं I निवेदन है कि प्रसारण हेतु ऑडियो / विडियो भेजें I आपकी कवितायेँ, गज़लें , कहानिया , मुक्तक , शायरी , लेख और संस्मरण का प्रसारण करा सकते हैं ISubscribe करने के लिए link को click करें :https://www.y

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देशवा बचाके रख भईया

19 जुलाई 2018
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नमस्कार,स्वागत है आप सभी का यूट्यूब चैनल "मेरे मन की" पर|"मेरे मन की" में हम आपके लिए लाये हैं कवितायेँ , ग़ज़लें, कहानियां और शायरी|आज हम लेकर आये है कवियत्री रेखा जी का भोजपुरी गीत "देशवा बचाके रख भईया"|आप अपनी रचनाओं का यहाँ प्रसारण करा सकते हैं और रचनाओं का आनंद ले सकते हैं| #meremankee के YouTu

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सो जा नन्हे-मुन्हे सो जा

20 जुलाई 2018
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दुनिया नहीं कुछ मुझे देने वाली

21 जुलाई 2018
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फूलों में भी, काँटों में भी

24 जुलाई 2018
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नमस्कार,स्वागत है आप सभी का यूट्यूब चैनल "मेरे मन की" पर|"मेरे मन की" में हम आपके लिए लाये हैं कवितायेँ , ग़ज़लें, कहानियां और शायरी|आज हम लेकर आये है वसीम महशर सौरिखी जी का सुन्दर गजल "फूलों में भी, काँटों में भी "|आप अपनी रचनाओं का यहाँ प्रसारण करा सकते हैं और रचना

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