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"सरकार और हड़ताल के आसार क्यों"

7 जुलाई 2017

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"इस देश में सरकारी कर्मचारी काम नहीं करते भला कैसे..... अब रेलवे को ही ले लो भाजपा के आने से पहले रेलवे में 1600000 कर्मचारी काम करते थे और 2 साल में ही सारी ट्रेने रोबोट चला रहे हैं..मेन्टेनेस रोबोट संभाल रहे हैं...स्टेशनों का सारा जिम्मा GPS प्रणाली द्वारा रोबोटों ने संभाल लिया है...हजारों टन माल ढुलाई के लिए और 1करोङ से ज्यादा नियमित पसेंजरो को ढोने का काम इतने अच्छे ढंग से कोई संभाल सकता है तो वो है भारतीय रोबोट ...जिनकी तनख्वाह बढे ना बढे कोई फर्क नहीं पङता क्योंकि उनकों भूख प्यास नहीं लगती उनका कोई घर परिवार तो है ही नहीं ...


2.अब बात करते हैं रक्षा अनुंसंधान क्षैत्र की बात दिन रात काम करके अंरीहत पन्डुब्बी ,प्रथ्वी मिशाइल,K-4 मिसाइल, तेजस लङाकु विमान बनाने वाले ये लोग जो रोबोटों की तरह दिन-रात काम करके इस देश का मान बचाये हुए हैं उनको सैलरी की कोई जरूरत ही नही है ...सुखा और मैला हो चुका राष्ट्रवाद उनका पेट भरने के लिए काफी है.....


3.अब बात करते हैं अन्तरीक्ष क्षैत्र में काम करने वाले रोबोटों की जिनकीं बदौलत हिन्दुस्तान जैसे दैश ने बिना आदमी उतारे चांद पर पानी खोज डाला...अमेरीका आदमी पहुचांकर भी एेसा नहीं कर पाया जिन्होंने मंगल जैसे ग्रहों तक उपग्रहों को पहुचा दिया...सरकार को एैसे रोबोटों से क्या लेना देना ...वो खराब होगें नये आ जाऐगें...पर उनको तनख्वाह से क्या लेना देना...रोबोट हैं जितना मर्ज़ी काम करवाओ....


4.अब रक्षा क्षैत्र की बात ...देश की सीमाओं की सुरक्षा जो 1100000रोबोट कर रहें हैं..कोई (-72 )सेल्सियस तापमान पर लेह में ..कोई जैसलमेर, बाढमेर की भयंकर 57 डीग्री झुलसाने वाली गरमी में..कोई असम ,त्रिपुरा मेघालय के जगंलों में तैनात...कोई छतीसगढ़ ,झारखण्ड के नक्सलीयों के साथ मुठभेड़ करता हुआ...कोई जम्मु कश्मीर में गोली खाता हुआ ...कोई समुन्द्रहों की जानलेवा हवाओं में पङा...ये जो रोबोट हैं ये बङे कमाल के हैं...ये जब खत्म हो जाते हैं तो सरकार तिरंगे को कफन बनाकर ..दो नकली आसुं बहाकर ..भूल जाती है..पर उनकी सैलरी नहीं बढाती क्योंकि वो कुछ काम ही नहीं करते...


5.और अब हमारे जैसे गले सङे रोबोट जिनका हजारों किलो वजन इधर से उधर करने के बाद शरीर का पुर्जा -पुर्जा दर्द के मारे चिंगाङने लगता है...ना हम किसी को अपनी व्वथा बता सकते है ,ना सुना सकते हैं..क्योंकि सरकार ने एक वेतन आयोग के नाम पर सबको एक झुनझुना पकङा दिया है ...बजाते रहो....थोङे दिनों में सब बिक जाएगा...विरोध करने पर जबान काट दी जाएेगी या तुम्हें खरीद लिया जाएगा....


--------- (विकास कश्यप)

Kokilaben Hospital India

Kokilaben Hospital India

We are urgently in need of kidney donors in Kokilaben Hospital India for the sum of $450,000,00,For more info Email: kokilabendhirubhaihospital@gmail.com WhatsApp +91 779-583-3215 अधिक जानकारी के लिए हमें कोकिलाबेन अस्पताल के भारत में गुर्दे के दाताओं की तत्काल आवश्यकता $ 450,000,00 की राशि के लिए है ईमेल: कोकिलाबेन धीरूभाई अस्पताल @ gmail.com व्हाट्सएप +91 779-583-3215

8 मार्च 2018

विजय कुमार शर्मा

विजय कुमार शर्मा

सरकार केवल एक दूसरे में फूट डलवाकर व सुविधाओं में कमी करने में व्यस्त है ताकि कार्पोरेट तथा विदेशी कंपंनिओं को अधिक से अधिक लाभ पहुंचाया जाए और ऐसा केवल भारतीय़ों की सुविधाएं कम करके ही हो सकता है। बहुत सही लिखा है आपने।

9 जुलाई 2017

रवि कुमार

रवि कुमार

सहमत हूँ तुम्हारी बात से

8 जुलाई 2017

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"आदमी का शौषण और जिम्मेवार कौन"

12 फरवरी 2017
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"चोर बैठ कर ताले बनाते है.....ये बात अब साफ हो गई है कि कुछ लोग अपने स्वार्थ के चक्कर हद से ज्यादा गिर चुके हैं ...चाहे नये कर्मचारियों का शौषण करना हो या खुद के प्रमोशन के लिए चापलूसी करनी हो.....आज इस देश के हरेक संस्थान मे यही हो रहा है....चंद बकवास आदमी प्रबंन्धन के साथ मिल कर आदमी की शारीरीक,मा

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"शहीदों की शहादत और सरकार की ड्रामेबाजी"

24 अप्रैल 2017
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आज छतीसगढ के सुकमा जिले मे नक्सलियों से लड़ते हुए मां भारती के 26 के लगभग जवान शहीद हो गए....और ये भी हर बार की तरह भूला दिया जाएगा....सरकार के लोग 2-4 दिन चिल्लाऐगें...हम नामोनिशान मिटा देगें नक्शलवाद का वगैरह वगैरह...फिर इसको दबाने के लिए कोई नया मुद्दा लाया जाऐगा...अरे देश के बाहर सर्जिकल स्ट्राइक

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"सरकार और हड़ताल के आसार क्यों"

7 जुलाई 2017
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"इस देश में सरकारी कर्मचारी काम नहीं करते भला कैसे.....अब रेलवे को ही ले लो भाजपा के आने से पहले रेलवे में 1600000 कर्मचारी काम करते थे और 2 साल में ही सारी ट्रेने रोबोट चला रहे हैं..मेन्टेनेस रोबोट संभाल रहे हैं...स्टेशनों का सारा जिम्मा GPS प्रणाली द्वारा रोबोटों ने संभाल लिया है...हजारों टन माल ढ

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"अंधभक्ति,देश के युवा...और हम

7 मार्च 2018
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"दिन रात अंधेरे कमरों में पढाई करते करते, कोचिंग सेंटरो की मंहगी फिस और आंखो पर शीशे लगाकर ....गलियों मे आवारा घुमते रोजगार की आस में युवा कितने बेबस से लाचार हो गए हैं...लेकिन राजनेता चयन आयोगो के कर्मचारियों के साथ मिलकर ..नौकरियों को बेचने का ऐसा नंगा नाच करते हैं....कि सिवाय पकोङे तलने के युवा क

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"आंखो के अधूरे ख्वाब....

4 जुलाई 2018
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"कुछ अधूरे ख्वाब लेकर, इन तरसती आँखों में,तङफ उठूँगा रातों में,कैसे मैं जी पाऊंगा....किया वादा जो तोङ रहे हो,छुपके से मुंह मोड़ रहे हो,साथ मेरा जो छोङ रहे हो,मैं ना छोङ पाऊँगा...मन-मिलन का संसार मेरा था,बाकि ना कोई वार मेरा था,सांसों में इकरार तेरा था,हाथ मेरा तुम छोङ रहे हो...मैं ना छोङ पाऊँगा...जब

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