नई दिल्ली : जीएसटी लागू होने से पहले कारोबारियों द्वारा अनेकों तरीकों से टैक्स में चोरी की जाती थी। जीएसटी लागू होने के बाद कहा जा रहा था इससे टैक्स चोरी करना आसान नहीं होगा। लेकिन लगता है जीएसटी के चार स्तरों वाले टैक्स स्लैब के चक्कर में दुकानदारों ने इससे निपटने का तरीका भी ढूंढ लिया है।
दरअसल टैक्स चोरी या जीएसटी न चुकाने के इस खेल के पीछे जीएसटी काउंसिल द्वारा बनाये गए नियम ही हैं। जैसे कि 500 सौ रूपये के फुटवेयर पर 5 फीसदी जीएसटी लगाया गया है। इससे अधिक कीमत पर 18 फीसदी जीएसटी लगाया गया है। इसी तरह पनीर, नैचुरल हनी, आटा, चावल और दालों को जीएसटी से बाहर रखा गया है जबकि ऐसे प्रॉडक्ट जो रजिस्टर्ड ब्रैंड्स हैं, उनपर 5% जीएसटी लगाया गया है।
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इकनोमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट की माने तो दुकानदार जीएसटी से बचने के लिए सामान को अलग अलग करके बेच रहे हैं। उदाहरण के लिए जैसे गारमेंट्स विक्रेता ने डुपट्टा सलवार सूट से अलग बेच रहे हैं। कई दुकानदार को दो दो बिलों का भी प्रयोग कर रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार टैक्स ऐंड रेग्युलेटरी पार्टनर (इनडायरेक्ट टैक्स) EY के पार्टनर बिपिन सपरा ने कहा, ' संरचनात्मक दृष्टि से कीमतों के आधार पर अलग-अलग टैक्स से क्लासिफिकेशन डिस्प्यूट पैदा हो गया है और इसीलिए कई करदाता कम टैक्स वसूलने के तरीकों की तलाश करने लगे हैं।
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ब्रांडेड चावल का मामला
जीएसटी के अनुसार ब्रांडेड चांवल पर पांच फीसदी जीएसटी लगाया गया है। जो ब्रांड ट्रेड मार्क एक्ट 1999 के तहत पंजीकृत है उनको ये टैक्स देना पड़ेगा। लेकिन भारत में चांवल का सबसे बड़ा ब्रांड केआरबीएल (इंडिया गेट) जीएसटी नहीं चूका रहा है। क्योंकि कंपनी ने खुद के ब्रांड ट्रेड मार्क एक्ट 1999 के तहत पंजीकृत नहीं करवाया है।
इससे कंपनी को अपने चवल पर 5 प्रतिशत जीएसटी नहीं चुकाना पड़ेगा। इसका फायदा केआरबीएल को यह होगा कि उसकी कीमतें अपने अन्य प्रतिवंदियों के मुकाबले बेहद कम हो जाएगी। भारतीय चावल बाजार में वर्तमान में मैककॉर्मिक जैसे ब्रांड केआरबीएल के विरोधी हैं। प्रतिस्पर्धी कंपनियों का कहना है कि कंपनी ने जीएसटी में छूट पाने के लिए इसे गलत तरीके से परिभाषित किया है।
वित्त मंत्रालय के अनुसार 'जब तक कोई सामान ब्रैंड या ट्रेड नेम ट्रेडमार्क्स रजिस्टर पर नहीं होगा ओर ट्रेड मार्क्स ऐक्ट 1999 के तहत नहीं आएगा, तब तक उसकी सप्लाई पर ढाई पर्सेंट सीजीएसटी यानी सेंट्रल गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स नहीं लगेगा।'
चावल व्यापार ियों का विरोध
चावल के व्यापारियों और निर्यातकों की सस्था ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (एआईईआरए) ने वित्त मंत्री अरुण जेटली को लिखा है कि मौजूदा चावल के ब्रांडों 5 प्रतिशत जीएसटी लगाने पर फिर से विचार किया जाए।
मौजूदा मानदंडों के तहत, चावल, गेहूं और अनाज जैसे स्टेपल पर जीएसटी शून्य है। लेकिन ट्रेडमार्क पंजीकरण वाले ब्रांड पर 5% जीएसटी लगेगा।