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मौक़ा ढूँढता हूँ

9 जुलाई 2017

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कुछ अनकही बातों को

कहने का मौक़ा ढूँढता हूँ

दिल में छुपे राज़ का इजहार,

करने का मौक़ा ढूँढता हूँ

खुली आँखों से देखे ख़्वाबों को

मुकम्मल करने का, मौक़ा ढूँढता हूँ

इस मोहब्बत को तुझ पे

लुटाने का मौक़ा ढूँढता हूँ

ज़िंदगी के इस पड़ाव पर

तेरा साथ पाने का मौक़ा ढूँढता हूँ

तुझे फिर अपना बनाने का

मौक़ा ढूँढता हूँ


७/७/१७

जिनेवा

Karan Singh Sagar ( डा. करन सिंह सागर) की अन्य किताबें

मनोज कुमार खँसली-" अन्वेष"

मनोज कुमार खँसली-" अन्वेष"

तुझे फिर अपना बनाने का मौका ढूँढता हूँ....अति सुन्दर अभिव्यक्ति करन जी |

12 जुलाई 2017

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आँसू बयान करते हैं ज़स्बात, हँसी, से कहीं ज़्यादा

8 जून 2016
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आँसू बयान करते हैं ज़स्बात, हँसी, से कहीं ज़्यादा छलकते हैं आँखों से यह ख़ुशी मेंबहते हैं अँखियों से दुःख में भी कर देते हैं आँखें नम, होता है जब गर्व अपनों पर या कर देता कोई जब शर्मसारकोई हो दूर तो, होती आँखें गिली, उसकी याद मेंआए मिलने कोई अरसे के बाद, तो भी हो जाती आँखें नमभर आती हैं आँखें सुन कर

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उतार देता हूँ अपनी मोहब्बत को इन काग़ज़ के पन्नों पर

19 जून 2016
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उतार देता हूँ अपनी मोहब्बत, इन काग़ज़ के पन्नों परइसी उम्मीद में कि एक दिन तो तुम पलटोगी इस किताब के पन्नों कोऔर शायद समझ जाओगी मोहब्बत जो लबों से तो ना कीं बयान हमने पर इन पन्नों पर लिखे हर अल्फ़ाज़ में है की बयान हमने मोहब्बत जो, नज़रों में तो ना दिखी तुमको पर इन पन्नो में लिखी हर नज़्म में दिखेगी

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देखें हैं कई चेहरे बिकते हुए इन बाज़ारों में

19 जून 2016
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देखें हैं कई चेहरे बिकते हुए इन बाज़ारों  मेंदिल मगर बिकते नहीं इन बाज़ारों में देखे हैं कई सनम बिकते हुए इन बाज़ारों मेंमोहब्बत मगर बिकती नहीं इन बाज़ारों में देखे हैं बहुत ईमान बिकते हुए इन बाज़ारों में रूह मगर बिकती नहीं इन बाज़ारों में देखे हैं ख़ुशियों के ताज़िर और ख़रीदार इन बाज़ारों में ज़स्ब

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तेरी नज़रें बिन बोले भी, बहुत कुछ कहती हैं हमसे

24 जून 2016
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तेरी नज़रें बिन बोले भी, बहुत कुछ कहती हैं हमसेहोती हो जब तुम ख़ुश, ब्यान करती हैं यहहोती हो जब उदास, बता देती हैं यहहोती है जब मिलने की आस, समझा देती हैं यहहोती हो बिछुड़ने को जब, ज़ाहिर कर देती हैं यह करती हो जब कोई नदानी, बोल देती हैं यहकरती को जब कोई शरारत, बता देती हैं यह छुपाती हो कभी जब दर्द

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रह गयी है दुनिया सिमट कर आजकल

30 जून 2016
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रह गयी है दुनिया सिमट कर आजकल बातें जो हुआ करती थी बैठ कर आमने सामने वो व्हाट्सऐप पर चैट बन कर रह गयी हैं आजकल मिलने जाते थे यारों के घर, घंटों गुज़रते थे हँसते ठहाके लगाते हुए वो स्काइप पर कुछ मिनटों की लाईव बात बनकर रह गयी है आजकल दोस्त जो दौड़ कर आया करते थे जो सुन कर एक पुकार वो सलाह देते हैं ट्

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एहसास तेरा रहता है हर पल पास

30 जून 2016
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एहसास तेरा रहता है हर पल पासतुझ से बिछुड़ कर भी नहीं जाती तेरी यादतेरे चेहरे का नूर जगमगाता है आज भी इस घर कोतेरी हँसी चीरती है इसके सन्नाटे को आज भी तेरे क़दमों की आहट सुनाई देती है आज भी तेरी हर बात गुदगुदाती है हमें आज भी दीवारें करती हैं तुझ से बातें आज भी दो सूनी आँखें तेरा इंतज़ार करती हैं आज

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क़िस्मत पर नहीं करता मैं यक़ीन

1 जुलाई 2016
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क़िस्मत पर नहीं करता मैं यक़ीन पर ना जाने क्यों लगता है कि यह क़िस्मत ही मिलाएगी हमें तक़दीर पर नहीं करता मैं यक़ीन पर ना जाने क्यों लगता है किबंधी है मेरी तक़दीर तेरे ही साथ मुक़द्दर पर नहीं करता मैं यक़ीन पर ना जाने क्यों लगता है की बनेगा मेरा मुक़द्दर तेरे ही साथ नसीब पर नहीं करता मैं यक़ीनपर न

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आँसू भी तू मुस्कुराहट भी तू

1 जुलाई 2016
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ज़ख़्म भी तू मरहम भी तूआँसू भी तू मुस्कुराहट भी तूउदासी भी तू ख़ुशी भी तूअंत भी तू शुरुआत भी तूसिरा भी तू ज़िंदगी भी तूमक़सद भी तू अंजाम भी तूराह भी तू मंज़िल भी तूक़ैद भी तू रिहाई भी तू उन्माद भी तू होश भी तू नफ़रत भी तू प्यार भी तू २४ जनवरी २०१६जिनेवा

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सादगी पे तुम्हारी आज भी फ़िदा हैं हम

4 जुलाई 2016
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सादगी पे तुम्हारी आज भी फ़िदा हैं हमदेखती हो जब झुकी नज़रों से तुम तो आज भी दिल की धड़कन रुक सी जाती है मुस्कुरा देती हो जब किसी बात पर तुम तो आज भी फ़िज़ा में बहार छा जाती है रूख से जब हटाती हो नक़ाब तुम तो आज भी चाँद शर्मा के छुप जाता है बादलों  में बोलती हो जब प्यार भरे दो बोल तुम तो आज भी मधुर स

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रहते हैं तुझ से दूर पर

6 जुलाई 2016
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रहते हैं तुझ से दूर पर दिल तेरे पास ही रहता है सोंचने को बहुत कुछ है पर तेरे ख़यालों में ही यह मन डूबा रहता है तुझे देखे हो गयी गई मुद्दत परतेरा चेहरा आज भी नज़रों के सामने रहता है तुझसे, दो घड़ी बात किए, बीत गया एक अरसातेरी हँसी मगर अब भी सुनाई देती है तेरे बिना वक़्त तो कट जाता है परतुझ से मिलने क

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बिन तुम्हें बताए, मोहब्बत करते हैं तुमसे

12 जुलाई 2016
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बिन तुम्हें बताए, मोहब्बत करते हैं तुमसेबिन तुम्हारा नाम लिए, मोहब्बत करते हैं तुमसेबिन तुम्हें देखे, मोहब्बत करते हैं तुमसेबिन तुम्हारे क़रीब रहकर, मोहब्बत करते हैं तुमसेबिन तुम्हारी आवाज़ सुने, मोहब्बत करते हैं तुमसेबिन तुम्हारी नज़रों में डूबे, मोहब्बत करते हैं तुमसेबिन तुम्हारे दिल में समाए, मोह

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जीते हैं सब अपने अन्दाज़ से ज़िंदगी

23 अक्टूबर 2016
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जीते हैं सब अपने अन्दाज़ से ज़िंदगी कुछ की ज़िंदगी कट जाती है, दो जून की रोटी कमाने मेंतो कुछ, ज़िंदगी को तलाशते हैं महलों में कुछ, तलाशते हैं ज़िंदगी को हरी नाम में तो कुछ हरी को बेच कर, गुज़ारते हैं ज़िंदगी कुछ के लिए शोहरत का नाम है ज़िंदगी तो कुछ के लिए सिर्फ, गुमनामी है ज़िंदगी कुछ के लिए औरों

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इतने एहसास

23 अक्टूबर 2016
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वो आँखों में आँखें डाल कर पहरों बैठना वो हाथों में हाथ थाम कर मीलों चलना वो साथ में बैठ कर घंटों संगीत सुनना वो रातों में घंटों फ़ोन पर बातें करनावो एक दूसरे को अपने हाथों से खाना खिलाना वो बीमारी में एक दूसरे के सिरहाने बैठ ढाँढस बढ़ानावो इम्तिहान की घड़ियों में एक दूसरे की हिम्मत बढ़ानावो रूठ कर,

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कोई मुस्कुरा कर भी

23 अक्टूबर 2016
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कोई मुस्कुरा कर भी दुखी हैऔर कोई बिना मुस्कुराए भी ख़ुश है कैसी विडम्बना है यह जीवन कीकोई आँसू बहा कर दुखी हैतो कोई आँसुओं को छुपा कर भी ख़ुश हैकैसी विडम्बना है यह जीवन की किसी के पास सब कुछ है पर मन भटकता रहता हैकिसी के पास कुछ नहीं फिर भी मन स्थिर है कैसी विडम्बना है यह जीवन कीकोई अपनों के पास हो

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तेरी दहलीज़ पे, ना जाने क्यों रुक जाते हैं क़दम

23 अक्टूबर 2016
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तेरी दहलीज़ पे, ना जाने क्यों रुक जाते हैं क़दम कहना है तुझ से बहुत कुछ, पर कह नहीं पाते हैं हम देख कर तुझ को, ना जाने क्यों होश गवाँते हैं हम ज़िंदगी तुझ से है, ना जाने क्यों समझा पाते हैं हम तेरी दहलीज़ पे, ना जाने क्यों रुक जाते हैं क़दम तेरी नज़रों से है मोहब्बत, ना जाने क्यों बता पाते हैं हम हँ

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रहते हैं तुझ से दूर पर

23 अक्टूबर 2016
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रहते हैं तुझ से दूर पर दिल तेरे पास ही रहता है सोंचने को बहुत कुछ है पर तेरे ख़यालों में ही यह मन डूबा रहता है तुझे देखे हो गयी गई मुद्दत परतेरा चेहरा आज भी नज़रों के सामने रहता है तुझसे, दो घड़ी बात किए, बीत गया एक अरसातेरी हँसी मगर अब भी सुनाई देती है तेरे बिना वक़्त तो कट जाता है परतुझ से मिलने क

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रास्ता भी तुम मंज़िल भी तुम

23 अक्टूबर 2016
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रास्ता भी तुम मंज़िल भी तुमसवाल भी तुम जवाब भी तुमआग़ाज़ भी तुम अंजाम भी तुमहक़ीक़त भी तुम ख़्वाब भी तुमआज भी तुम कल भी तुमआस्था भी तुम विश्वास भी तुमआसरा भी तुम सहारा भी तुममुरब्बत भी तुम मोहब्बत भी तुम ज़िंदगी भी तुम जीने की वजह भी तुम २६ जुलाई २०१६फ़्रैंकफ़र्ट

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तुझ से मोहब्बत आज भी है

23 अक्टूबर 2016
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तुझ से मोहब्बत आज भी हैतेरे लिए, दिल धड़कता आज भी हैज़ुबान पर तेरे क़िस्से आज भी हैं नज़रों में तेरी तस्वीर आज भी हैतुझ से मोहब्बत आज भी है लबों पर तेरा नाम आज भी है तेरे आने का इंतज़ार आज भी है होगी फिर मुलाक़ात, यह ऐतबार आज भी हैअपनी आशिक़ी पर हमें नाज़ आज भी हैतेरी एक हाँ का इंतज़ार आज भी है तुझ

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मिली जब वो बाद बरसों के

23 अक्टूबर 2016
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मिली जब वो बाद बरसों के नज़रें उसकी कह रही थी कई बातें चुरा रही थी वो नज़रें, पर साफ़ झलक रही थी मोहब्बत, उन नज़रों में वो ही अन्दाज़ था आज भी उसकाकर रही थी बातें औरों सेरही थी मुस्कुरा औरों के साथपर मन और दिल कहीं और थादेख रही थी छुप छुप कर किसी कोपर नहीं थी हिम्मत आज भीबढ़ कर हाल दिल का अपने, बतान

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तेरे नाम को दिल में छुपाके रखा है

23 अक्टूबर 2016
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तेरे नाम को दिल में छुपाके रखा है तेरी पहचान को सीने में दबा के रखा है है ज़िक्र तेरा हर नज़्म में मेरी पर तुझे पहचान न ले कोई इसलिए क़लम को अपनी बाँध के रखा है चुरा तो ली थी नज़रें तुझ सेपर तेरी तस्वीर इन में ही क़ैद हो गयी हैकह ना पाया था जो दो लफ़्ज़ तुझ से आज है ज़िक्र उनका हर नज़्म में मेरी

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तेरे आने का है बेसबरी से इंतज़ार

23 अक्टूबर 2016
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तेरे आने का है बेसबरी से इंतज़ारतुझसे सीने से लगाने का है बेसबरी से इंतज़ारतेरी निगाहों में डूब जाने का है बेसबरी से इंतज़ारतेरे क़रीब आने का है बेसबरी से इंतज़ारतुझे बाहों में उठाने का है बेसबरी से इंतज़ारतेरी बातों में खो जाने का है बेसबरी से इंतज़ारतेरी ख़ुशबू में मदहोश हो जाने का है बेसबरी से इं

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बन गए हैं तेरे ख़त ज़िंदगी का हिस्सा

23 अक्टूबर 2016
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बन गए हैं तेरे ख़त ज़िंदगी का हिस्सा तेरी ख़ुशबू आती है, ईत्र में डूबे इन ख़तों से तेरी मुस्कुराती सूरत जो झलकती है इनमें काफ़ी है दिन ख़ुशनुमा करने के लिएहर लफ़्ज़ जो लिखा हैं इन काग़ज़ों पर काफ़ी है तेरी याद ताज़ा रखने के लिए रखे हैं तेरे ख़त संभाल के इसी उम्मीद से कि पढ़ेंगे इन्हें कभी साथ तेरे,

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कुछ पुरानी यादें, आज फिर ताज़ा हो गयीं

23 अक्टूबर 2016
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कुछ पुरानी यादें, आज फिर ताज़ा हो गयीं कुछ गुदगुदा गयीं, कुछ आँखें नम कर गयीं सोंचता हूँ तुमसे प्यार क्यों है तुम में वो पहले सी बात क्या क्या समय के साथ बदल गए कुछ हम कुछ तुम प्यार तुमसे करने की वजह क्या है आँखों में मोहित करने का जादू है अब भीमुस्कुराहट मोहित कर देती है अब भी हँसी पर फ़िदा है जान

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तुझ से बिछड़ कर जाना, आसान नहीं है जीना

22 नवम्बर 2016
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तुझ से बिछड़ कर जाना आसान नहीं है जीना वो सब छोटी छोटी बातें जिनका मोल समझता नहीं था आज पता लगा कितनी अनमोल हैं वोसुबह आज भी होती है मगर तेरी मुस्कुराती सूरत दिखती नहींरात आज भी होती हैमगर सुकून की नींद जो तुझे पकड़ कर आती थी, वो अब आती नहीं फ़ोन की घंटी आज भी बजती हैपर द

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घर तक तो तेरे पहुँच गए

25 नवम्बर 2016
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घर तक तो तेरे पहुँच गए दहलीज़ मगर पार कर ना पाए दिल से बहुत चाहा तुझेज़ुबान से मगर बता ना पाए आँखों से आँखें मिली कई बारउन में बसी तेरी मूर्त मगर दिखा ना पाए लिखे तेरे नाम ख़त कई, तुझ तक मगर, पहुँचा ना पाए बनाई कई तस्वीरें तेरीजान उन में मगर डाल ना पाए प्यार तुझ से किया ख़ुद से ज़्यादाप्यार मगर तेरा

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मुस्कुराना सीख लिया है मैंने

29 नवम्बर 2016
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मुस्कुराना सीख लिया है मैंने दिल का दर्द दबाने को मुस्कुरा देता हूँ ग़मों को भुलाने के लिए मुस्कुरा देता हूँआँसुओं को छुपाने के लिए मुस्कुरा देता हूँ यादों को मिटाने के लिए मुस्कुरा देता हूँ मायूसी को छुपाने को मुस्कुरा देता हूँ रंज को मिटाने को मुस्कुरा देता हूँरोष को दबाने को मुस्कुरा देता हूँ रिश

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क़लम ख़ुद बा ख़ुद चलने लगती है

30 नवम्बर 2016
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तेरी याद आते ही क़लम ख़ुद बा ख़ुद चलने लगती है दिल के ज़स्बाद, लफ़्ज़ बन काग़ज़ पर उतर आते हैं मन की बातों को स्वर का मिल जाता है ख़्वाबों को अभिव्यक्ति का ज़रिया मिल जाता है तमन्नाओं को प्रकट होने का मौक़ा मिल जाता है इन कविताओं के ज़रिए तुझ से रूबरू होने का आभास हो जाता है तेरी याद आते ही, क़लम ख़

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जीना सीख लिया है

30 नवम्बर 2016
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दबे जस्बादों को उभार कर जीना सीख लिया है दिल के टुकड़ों को संजो कर जीना सीख लिया है ग़मों को हंसी में डुबोकर जीना सीख लिया है ज़ख्मों के साथ मुस्कुरा कर जीना सीख लिया है खुदगर्ज़ रिश्तों को दरकिनार कर जीना सीख लिया है हताशा में भी आशा की किरण ढूँढ़कर जीना सीख लिया है विफलत

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मुस्कुराना सीख लिया हैं मैंने

2 दिसम्बर 2016
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मुस्कुराना सीख लिया है मैंने दिल का दर्द दबाने के लिए मुस्कुरा देता हूँ ग़मों को भुलाने के लिए मुस्कुरा देता हूँआँसुओं को छुपाने के लिए मुस्कुरा देता हूँ यादों को मिटाने के लिए मुस्कुरा देता हूँ मायूसी को छुपाने के लिए मुस्कुरा देता हूँ रंज को मिटाने के लिए मुस्कुरा देता

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हर गुज़रते पल के साथ

4 दिसम्बर 2016
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तेरी नज़रें बिन बोले भी, बहुत कुछ कहती हैं हमसेहोती हो जब तुम ख़ुश, ब्यान करती हैं यहहोती हो जब उदास, बता देती हैं यहहोती है जब मिलने की आस, समझा देती हैं यहहोती हो बिछुड़ने को जब, ज़ाहिर कर देती हैं यह करती हो जब कोई नदानी, बोल देती हैं यहकरती को जब कोई शरारत, बता देती हैं यह छुपाती हो कभी जब दर्द

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तेरे इंतज़ार में पलकें बिछाए बैठें हैं

6 दिसम्बर 2016
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तेरे इंतज़ार में पलकें बिछाए बैठें हैं तू आए या नहीं आए उम्मीद लगाए बैठे हैंअंधेरे में भी तेरी परछाईं ढूँढ रही हैं यह नज़रेंतेरे दीदार को तरस रहे हैं सुनसान कमरे में तेरी आवाज़ सुनने को तरस रहे हैं तेरी महक जाती नहीं है साँसों से मेरी, उसे क़रीब से महसूस करने को तरस रहे हैं तेरे स्पर्श का आकर्षण अब

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खड़े हैं क़तार में

13 दिसम्बर 2016
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तेरे दीदार को खड़े हैं क़तार में तुझे घड़ीभर निहारने को खड़े हैं क़तार में तुझ से रूबरू होने को खड़े हैं क़तार में तुझ से मुलाक़ात करने को खड़े हैं क़तार में तुझे देखने को खड़े हैं क़तार में तुझे महसूस करने को खड़े हैं क़तार मेंपर ना जाने कब ख़त्म होगा यह इंतज़ारना जाने कब ख़त्म होगी यह क़तारडर है न

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क्या तुम ही हो

14 जनवरी 2017
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बसी है ख़ुशबू जिस की ज़हन में मेरे, क्या तुम ही होआती हो जो रोज़ ख़्वाबों में मेरे, क्या तुम ही हो चुराया है दिल जिस ने मेरा, क्या तुम ही होढूँढती हैं नज़रें जिस को हर चेहरे में, क्या तुम ही हो बसी है जिस कि तस्वीर आँखों में मेरी, क्या

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तेरे आने का है बेसबरी से इंतज़ार

14 जनवरी 2017
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तेरे आने का है बेसबरी से इंतज़ारतुझे सीने से लगाने का है बेसबरी से इंतज़ारतेरी निगाहों में डूब जाने का है बेसबरी से इंतज़ारतेरे क़रीब आने का है बेसबरी से इंतज़ारतुझे बाहों में उठाने का है बेसबरी से इंतज़ारतेरी बातों में खो जाने का है बेसबरी से इंतज़ारतेरी ख़ुशबू में मदहोश हो जाने का है बेसबरी से इंत

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कट रही है ज़िंदगी बस यूँही

14 जनवरी 2017
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दिन गुज़र जाता है तेरे इंतज़ार में रात गुज़र जाती है तेरी याद में कट रही है ज़िंदगी बस यूँही तेरी याद में, तेरे इंतज़ार मेंचला जाता हूँ रोज़ घर खुदा केपर जब भी लेता हूँ नाम उसका तेरा ही नाम आ जाता है ज़ुबान परझुकता हूँ सर जब उसके सजदे मेंदिख जाता है तेरा ही चेहरा बंद आँखों से कट रही है ज़िंदगी बस यू

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मैं कोई गुज़रा वक़्त नहीं

14 जनवरी 2017
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मैं कोई गुज़रा वक़्त नहीं जो तेरे चाहने पर भी ना लौट पाउँगा पुकारोगे जब भी मेरा नाम अपने नज़दीक ही पाओगे आएगा जब भी ख़्याल मेराअपने ख़्वाबों में मुझे ही पाओगे हो जाओगे गर तुम कभी अकेले मुझे अपने साथ ही पाओगे हाथ जब भी बढ़ाओगे मेरी तरफ़अपने हाथों ने मेरा हाथ पाओगे मैं कोई गुज़रा वक़्त नहीं, जो लौट ना

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आने वाले पलों को, यादगार बना दो

14 जनवरी 2017
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आने वाले पलों को, यादगार बना दो तुम मुझे अपना बना लो, मैं तुम्हें ख़ुद में बसा लूँ पास रहो मेरे, मेरी साँसों में घुल जाओ बनकर धड़कन मेरे सीने में बस जाओ मन में बसी ख़ूबसूरत सूरत बन जाओ लबों पर आयी शायरी बन जाओ दिल से निकली दुआ बन जाओख़्वाबों में आयी हसीन कहानी बन जाओ प्यार की पूरक बन जाओ आने वाले इन

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आज भी

14 जनवरी 2017
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तुझसे नज़रें मिलाने से घबराते हैं आज भीतुझे छुप छुप कर देखते हैं आज भी तुझसे मन ही मन में बातें करते हैं आज भीतेरे ख़यालों में डूबें रहते हैं आज भी तेरे गाये गीत गुनगुनाते हैं आज भीतेरा नाम ज़ुबान पर लाने से कतराते हैं आज भीतेरे नज़दीक जाने के बहाने ढूँढते हैं आज भी तेरा ज़िक्र अपनी नज़्मों में करत

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सागर सोख लिया हमने

14 जनवरी 2017
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सागर सोख लिया हमने पर तेरी आँखों में डूब गए आसमान ओढ़ लिया हमने पर तेरे आग़ोश में खो गए हम दौलत बहुत कमा ली हमने पर तेरी मुस्कान से दुनिया सँवार ली हमने ख़ुशियाँ बहुत बटोर ली हमने पर तेरे साथ, ज़िंदगी जी ली हमने रास्ते बहुत तय कर लिए हमनेपर मुक़ाम तुझे पाने से हासिल कर लिया हमने २० दिसम्बर २०१६दिल्ल

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हमको तुझसे इश्क़ है वैसे

21 जनवरी 2017
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लहर को साहिल से रास्ते को मंज़िल सेरात को दिन से धरती को आसमान से मिलने की चाह होती है जैसेहमें तुझसे मिलने की ख़्वाहिश है वैसे भँवरे को फूल सेपतंगे को शमाँ से चाँद को चाँदनी से मोहब्बत होती है जैसे हमको तुझसे इश्क़ है वैसे १९ जनवरी २०१७पेरिस

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यही काफ़ी है

21 जनवरी 2017
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चाहें ना चाहें हमको ज़मानातुम चाहते हो हमको, यही काफ़ी है याद रखे ना रखे हमको ज़माना तुम्हारी यादों में रहूँ, यही काफ़ी है करे ऐतबार या ना करे, ज़माना तुम्हारा भरोसा बनकर रहूँ, यही काफ़ी है मिले ना मिले यह ज़माना हो तुझ पर इख़्तियार, यही काफ़ी है करे ना करे पूरी ख़्वाहिश यह ज़माना तुम्हारी मुराद बनक

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गुज़र गयी ज़िंदगी

21 जनवरी 2017
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कल आज और कल की चिंता में गुज़र गयी ज़िंदगीकभी इस पल को जी कर देखो दुख तकलीफें बहुत है ज़िंदगी मेंसुख के पल, कम ही सहीउन्हें खुल कर जी कर तो देखोलोग मिलते बिछुड़ते बहुत हैं ज़िंदगी मेंसाथ में जो हैं उन के साथ जी कर तो देखो नफ़रत दुश्मनी करने वालों की कमी नहींमोहब्बत करने वाले, कम ही सहीवक़्त उनके साथ

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बहुत लोग मिलते हैं ज़िन्दगी में,

27 जनवरी 2017
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बहुत लोग मिलते हैं ज़िन्दगी में, समझाने वाले बहुत हैं समझने वाले कम हँसने वाले बहुत हैं हँसाने वाले कम सुख में साथ देने वाले बहुत हैं सुख देने वाले कम आँसूं देने वाले बहुत हैंआँसूं पोंछने वाले कम मुश्किलें पैदा करने वाले बहुत हैं मुश्किलों में साथ देने वाले कम हिम्मत तोड़ने वाले बहुत हैं हिम्मत बढ़ाने

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जीवन

2 फरवरी 2017
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जाना है वापस जहाँ से आए हैं। आकाश, वायू, अग्नि, धरती और नीर में मिल जाना हैकुछ खट्टी मीठी यादें छोड़ जाना हैजीवन एक सफ़र है, अपनो के साथ कुछ दूर तक जाना हैजीवन एक सपना है, जितना हो सके हक़ीक़त में बदलना हैजीवन एक गीत है, सुनना है, गुनगुनाना हैजीवन एक कविता है, जिसे पढ़ना हैजीवन एक अहसास है, महसूस कर

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तेरे नज़दीक आकर

2 फरवरी 2017
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बहकने लगते हैं क़दम तेरे नज़दीक आकर उमड़ने लगते हैं ज़स्बाद तेरे नज़दीक आकर लड़खड़ाने लगती है ज़ुबान तेरे नज़दीक आकर झुक जाती है नज़र तेरे नज़दीक आकर कांपने लगते हैं लब तेरे नज़दीक आकर शिथिल हो जाते हैं हाथ तेरे नज़दीक आकर हो जाते हैं ख़ुशगँवार दिन और रात तेरे नज़दीक आकर भर जाती है जीवन में तरंग तेर

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मेरी ज़िन्दगी का पड़ाव है तू

6 फरवरी 2017
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तेरे सवालों के जवाब नहीं हैं पास मेरे मगर मेरे हर सवाल का जवाब है तूतेरे ज़ख़्मों का मरहम नहीं है पास मेरे मगर मेरे हर मर्ज़ का इलाज है तू तेरी हर इल्तिजह की सौग़ात नहीं मैं मगर मेरी हर आरज़ू का अंज़ाम है तू तेरी तलाश का मुक़ाम नहीं मैं मगर मेरी हर जुस्तजु का उद्देश है तूतेरे सफ़र का साथी नहीं मैंमग

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नज़र आती हो तुम

6 फरवरी 2017
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आइने में देखता हूँ तो नज़र आती हो तुमज़मीन पर देखता हूँ अक़्स अपना, तो नज़र आती हो तुमचाँदनी में नहाए चाँद को देखता हूँ, तो नज़र आती हो तुमखिलते कमल को देखता हूँ, तो नज़र आती हो तुमजगमगाते कोहिनूर को देखता हूँ, तो नज़र आती हो तुमदिल में अपने झाँक कर देखता हूँ, तो नज़र आती हो तुमकिताब में लिखे हर लफ़

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तू ही बता

6 फरवरी 2017
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हाथ की लकीरों पर लिखे तेरे नाम को, कैसे दूँ मिटा, तू ही बताआँखो में बसी तेरी तस्वीर को, कैसे दूँ मिटा, तू ही बताहोंठों पे आए तेरे गीतों को, कैसे दूँ मिटा, तू ही बताजिस्म में बसी तेरी ख़ुशबू को, कैसे दूँ मिटा, तू ही बतामन में बसे तेरे ख़यालों को, कैसे दूँ मिटा, तू ही बतादिल में तेरे लिए उमड़ते जस्बाद

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यह कम है क्या

18 फरवरी 2017
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तुम मेरे साथ हो, यह कम है क्या चाहती हो मुझे, यह कम है क्या भर आती हैं आँखें, मेरे दर्द, मेरी ख़ुशी में, यह कम है क्या बाँट नहीं सकती मेरा समय किसी और के साथ, यह कम है क्याजान छिड़कती हो मुझ पर, यह कम है क्या कर देती हो हँस कर मेरी हर ख़ता को माफ़, यह कम है क्या स्वीकारा है मुझे सब कमज़ोरियों के साथ

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होगी मुलाकात उनसे

23 फरवरी 2017
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भटकते हुए पहुँचा जब उसके दर हो गयी थकन सब दूर सिर्फ़ इसी ख़याल से कि होगी मुलाक़ात उनसेना थी भूख प्यासबस यही थी आस कि होगी उनसे मुलाक़ात आँखें बोझिल थी दिल व्याकुल पर था फिर भी सुकून कि होगी मुलाक़ात उनसे दूर से ही होंगे दीदार उनके पर थी तसल्ली, की होगी मुलाक़ात उनसे २० फ़रबरी २०१७जिनेवा

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रहती है तू मेरे पास

23 फरवरी 2017
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रात के अंधेरे में दिन के उजाले में तू हो ना हो पास, ख़्याल तेरे रहते हैं मेरे पास हर लम्हा कटता है, देखते हुए तेरे ख़्वाब बातों में तेरा ही ज़िक्र होता है तेरी तस्वीर होती है आँखों में क़लम डूब जाती है, तेरे प्यार की स्याही में काग़ज़ पे उमड़ आते हैं ज़स्बादबन कर तेरी याद तू हो ना हो पासरहती है तू म

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कोशिश बहुत की

23 फरवरी 2017
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कोशिश बहुत की हैं तुम्हें भुलाने की मगर जब भी तुम रूबरू होते हो बीते पल, सुहानी यादें ताज़ा हो जाती हैं कुछ ज़ख़्म हरे हो जाते हैंकुछ नए मिल जाते हैं मुस्कुरा कर इन्हें छुपा तो लेता हूँमगर, दर्द पानी बन छलक जाता है ख़ुशी के आँसु हैं कह कर दुनिया को बहकाता हूँदोस्त मगर समझ जाते हैं जब भी तुम रूबरू हो

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जो दिल तुझे दे दिया

10 मार्च 2017
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जो दिल तुझे दे दिया वो किसी और से लगाऊँ कैसे जो पल तेरे नाम किएउन्हें किसी और के साथ बिताऊँ कैसे जो साँसे जुड़ी है तुझ सेउन्हें किसी और को दे दूँ कैसे जिन आँखों में बसी हो तुमउन्मे किसी और को बसाऊँ कैसे जिस ज़ुबान पर हो तेरा नामउस पर किसी और का ज़िक्र लाऊँ कैसे जो जीवन कर दिया नाम तेरे वो कर दूँ किस

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ढूँढते हैं

21 मार्च 2017
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जो ढूँढते थे हमसे मिलने के बहाने वो आज बिछड़ने के तरीक़े ढूँढते हैं बैठे रहते जो पहरों डाल आँखों में आँख वो आज आँखें चुराने के बहाने ढूँढते हैंहाथ पकड़ हमारा, चलते थे मीलों जो वो आज हाथ छुड़ाने के बहाने ढूँढते हैं दूर जाने के ख़याल से जो घबरा जाते थे वो आज दूर रहने के बहाने ढूँढते हैंसाथ जीने मरने क

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मेरे हाथों की लकीरों में तू ना सही

21 मार्च 2017
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मेरे हाथों की लकीरों में तू ना सही मेरे ख़यालों में रहेगी सदा मेरी ज़ुबान पर तेरा नाम ना सही मेरे अहसास में तू रहेगी सदा मेरे दिल में तेरी तस्वीर ना सहीमेरे ख़्वाबों में तू रहेगी सदा मेरी क़िस्मत तुझ से जुड़ी ना सही मेरी ज़िंदगी तुझ से जुड़ी रहेगी सदा ३ मार्च २०१७जिनेवा

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यही काफ़ी है

21 मार्च 2017
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रहते हैं दूर इसका मतलब नहीं की दिलो के बीच दूरियाँ हैं नज़दीक रह कर भी कई बार दिलों के फ़ासले कम नहीं होते हो नहीं तुम नज़रों के सामनेतो कोई बात नहींदुआओँ में हमारी रहोगे सदा ना हो रोज़ बात, तो कोई शिकवा नहींजब भी होती है तो मिलता है सुकून, यही काफ़ी है १३ मार्च २०१७जिनेवा

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रातों में नींद तुम्हें भी कहाँ आती होगी

21 मार्च 2017
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रातों में नींद तुम्हें भी कहाँ आती होगी बंद करते होगे जब भी आँखें तस्वीर हमारी ही नज़र आती होगी महफ़िलों में हँस के मिलते होगे सबसे नज़रें मगर हमें ही ढूँढती होंगी क़द्रदानों के ख़त रोज़ पढ़ती होगी लिफ़ाफ़ा, मगर, हमारे नाम का ही ढूँढती होगी राह में मिलते होंगे साथी बहुतनज़रें, हर मोड़ पर मगर, हमें ह

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जो दिल तुझे दे दिया

13 अप्रैल 2017
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जो दिल तुझे दे दिया वो किसी और से लगाऊँ कैसे जो पल तेरे नाम किएउन्हें किसी और के साथ बिताऊँ कैसे जो साँसे जुड़ी है तुझ सेउन्हें किसी और को दे दूँ कैसे जिन आँखों में बसी हो तुमउन्मे किसी और को बसाऊँ कैसे जिस ज़ुबान पर हो तेरा नामउस पर किसी और का ज़िक्र लाऊँ कैसे जो जीवन कर दिया नाम तेरे वो कर दूँ किस

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रिश्तों

13 अप्रैल 2017
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रिश्तों की पहचान सब को हैफिर भी इनकी समझ कितनो को है रिश्तों से उम्मीद सब को है फिर भी इन्हें निभाते कितने हैं रिश्तों में मिठास की ज़रूरत सबको है फिर भी इनमे मिठास घोलते कितने हैं रिश्तों की कड़वाहट लगती बुरी सब को है फिर भी इसे ख़त्म करने की कोशिश करते कितने हैं रिश्तों से ज़िंदगी बेहतर बनाने की

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जब भी तुम रूबरू होते हो

13 अप्रैल 2017
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कोशिश बहुत की हैं तुम्हें भुलाने की मगर जब भी तुम रूबरू होते हो बीते पल, सुहानी यादें ताज़ा हो जाती हैं कुछ ज़ख़्म हरे हो जाते हैंकुछ नए मिल जाते हैं मुस्कुरा कर इन्हें छुपा तो लेता हूँमगर, दर्द पानी बन छलक जाता है ख़ुशी के आँसु हैं कह कर दुनिया को बहकाता हूँदोस्त मगर समझ जाते हैं जब भी तुम रूबरू हो

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वो एक ही होता है

16 अप्रैल 2017
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दिल के क़रीब रहने वाले मिल जाएँगे बहुतदिल में जो रहे वो एक ही होता है कुछ पल साथ रहने वाले मिल जाएँगे बहुत ज़िंदगी भर साथ रहे, वो एक ही होता है आँसू पोंछने वाले मिल जाएँगे बहुत आँसुओं को आने ही ना दे, वो एक ही होता है ख़ुशी में साथ देने वाले मिल जाएँगे बहुत अपनी ख़ुशी तुम

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तुझ से गिला नहीं

18 अप्रैल 2017
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तुझ से कोई गिला नहीं नाराज़गी ख़ुद से है रहते थे जब नज़दीक तेरे तो दूरियाँ बना रखी थी अब जब दूर रहते हैं नज़दीकियों को तरसते हैं कहना चाहती थी जब कुछ अनसुना कर देते थे अब आवाज़ तुम्हारी सुनने को तरसते हैं नज़रें मिलते ही तुम से पलट जाते थे अब तुम्हें देखने को तरसते हैं तुझ से कोई गिला नाराज़गी ख़ुद

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तैयार रहता हूँ

21 अप्रैल 2017
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चाँदनी रात में सब साथ होते हैंअंधेरे में मगर, परछाईं भी साथ छोड़ देती है इसलिए तनहा जीने को तैयार रहता हूँ कहने को हमसफ़र हैं कईकौन किस मोड़ पर मगर, साथ छोड़ देइसलिए सफ़र ज़िंदगी का अकेले ही काटने को तैयार रहता हूँ दिलों जान से चाहने वाला दिलबर भी है ना जाने मगर, किस बात पर दिल तोड़ दे इसलिए, दिल के

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डरते थे

24 अप्रैल 2017
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रहते थे साथ साये की तरह साथ चलने से मगर, डरते थे क़रीब रहना चाहते थे नज़दीक आने से मगर, डरते थे आँखों में बसे थे तुम निगाह मिलाने से मगर, डरते थे हँसी तुम्हारी अनमोल थी साथ मुस्कुराने से मगर, डरते थे तीन लफ़्ज़ कहने थे तुम से ज़ुबान पर लाने से मगर, डरते थेदिल तो तुम्हें दे दिया थादिल लगाने से मगर,

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बस है यही दुआ

25 अप्रैल 2017
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बस है यही दुआ उस ख़ुदा से कितेरे आँसू बहे मेरी आँखों से तेरा दर्द महसूस हो मुझे तेरा हर ग़म मिल जाए मुझे मेरे होठों की मुस्कान हो तेरे चेहरे पर मेरी क़िस्मत में लिखी ख़ुशी पर तेरा इख़्तियार हो मेरी शोहरत पर लिखा तेरा नाम हो बस है यही दुआ उस ख़ुदा से २३ अप्रेल २०१७बॉज़ल

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यह द्वन्द मेरा ख़ुद से है

26 अप्रैल 2017
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इस दुनिया से नहीं है लड़ाई मेरीख़ुद से ही एक द्वन्द है कभी भीतर के कौतुहल से तो कभी बेचैनी और घबराहट से कभी बीते हुए कल से तो कभी आज से तो कभी आने वाले कल से कभी दिल की दिमाग़ से तो कभी विचारों की भावनाओं से कभी ख़्वाबों की हक़ीक़त से बस होता रहता टकराव है कभी हार कर भी जीत हैतो कभी जीत कर भी हार है

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कभी दिल से सोंचोगे तो समझ पाओगे

27 अप्रैल 2017
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कभी दिल से सोंचोगे तो समझ पाओगे ना कही जो बात ज़ुबान से इशारों से ही समझ जाओगे नज़रों को नज़रों से ही पढ़ पाओगे स्वर नहीं हैं गीत में मेरे मगर उसे भी तुम सुन पाओगे बिन छूए स्पर्श भी महसूस कर पाओगे इश्क़ के मेरे जज़्बातों का अहसास कर पाओगे कभी दिल से सोंचोगे तो समझ पाओगे २३ अप्रेल २०१७ बॉज़ल

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खता ना तेरी थी ना मेरी

29 अप्रैल 2017
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ख़ता ना तेरी थी ना मेरीतू प्यार मुझ से करता नहीं मैं प्यार तुझसे जता नहीं सका तूने दिल दिया किसी और कोमैं किसी और को दिल दे ना सका लबों पर तेरे, नाम था किसी और का मैं होठों पर अपने, नाम किसी और का ला ना सका तेरे ज़हन में बसा था कोई और मेरे रोम रोम में बसा था तू ख़ता ना तेरी थी ना मेरी २३ अप्रेल २०१७

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ना कर मुझ से बात

1 मई 2017
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ना कर मुझ से बात ख़्वाबों ख़यालों की देखा है बिखरते हुए कई बार इन्हेंना कर मुझ से बात रिश्तों और वादों की देखा है टूटते हुए कई बार इन्हेंना कर मुझ से बात शमां और परवानों कीदेखा है जल कर बुझते कई बार इन्हेंना कर मुझ से बात सब्रों क़रार की देखा है टूटते हुए कई बार इन्हेंना कर बात मुझसेइश्क़ और आशिक़ो

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ना जाने किस मोड़ पर

3 मई 2017
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ना जाने किस मोड़ पर, ज़िंदगी की शाम हो जाए इसलिए हमसफ़र बनकर चलो,जितना चल सकते हो ना जाने कौन सी घड़ी, दिल की धड़कन रुक जाए इसलिए जब तक हमारी धड़कन, बनकर रह सकते हो रहो ना जाने कौन से पल, साँसों की लड़ी बिखर जाए इसलिए हो सके जब तक, श्वास हमारी बनकर रह सको, रहो २९ अप्रेल २०१७जिनेवा

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आज फिर बातों में

4 मई 2017
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आज फिर बातों में तेरा ज़िक्र आ ही गया आज फिर एक तस्वीर बनाई उसमें तेरा अक़्स आ ही गया आज फिर कुछ छंद पढ़े, उन्मे तेरा उल्लेख आ ही गया आज फिर कुछ लिखा कोरे काग़ज़ों पर उन्मे भी तेरा वर्णन आ ही गया ना चाहते हुए भी, आज फिर तेरी याद आ ही गयी २९ अप्रेल २०१७जिनेवा

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तू उतना क़रीब आ जाती है

5 मई 2017
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तुझे जितना दूर करना चाहूँ तू उतना क़रीब आ जाती हैतुझे जितना भूलना चाहूँ तू उतना याद आती है दिल पर लिखे तेरे नाम को जितना मिटाना चाहूँवो उतना ही गहरा हो जाता है तेरी तस्वीर जितनी भी धुँधली हो जाएतू उतना ही साफ़ नज़र आती है तेरी आवाज़ सुनाई ना दे भी, अगरतेरे स्वर मेरे पास ही जूँजते रहते हैं तुझे जितना

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है यह कैसी आज़ादी

7 मई 2017
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हूँ आज़ाद पर ना जाने क्यों ख़ुद को बँधा हुआ महसूस करता हूँ हूँ उन्मुक्त पर ना जाने क्यों उड़ने से डरता हूँ है अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर ज़ुबान पर ताला लगा है है आस्था की आज़ादी पर इंसानियत निभाने पर पाबंदी है है विचारों की आज़ादी पर उन्हें व्यक्त करने पर रोक है है लिखने की आज़ादी पर खुल कर लिखने

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मैं तुम्हें, तुम मुझे, करते हो प्यार क्यों

8 मई 2017
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मैं तुम्हें, तुम मुझे, करते हो प्यार क्योंमैं तुम पर, तुम मुझ पर, करते हो ऐतबार क्योंमैं तुम पर, तुम मुझ पर, करते हो जान निसार क्योंमैं तुम्हारे बिना, तुम मेरे बिना, जी नहीं सकते क्यों क्योंकि तुम्हारे लबों पर मेरी, मेरे लबों पर तुम्हारी, मुस्कान रहती है मेरे दर्द का तुम्हें, तुम्हारे दर्द का मुझे,

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है वो आज अकेली क्यों

14 मई 2017
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है वो आज अकेली क्योंनों महीने रखा अपनी कोख में जिसने लगती है वो आज बोझ क्योंकाट कर अपना पेट, भरा पेट हमारा सो जाती आज, वो ख़ाली पेट क्योंआने नहीं देती थी हमारी आँखों में आँसुउसकी आँखों में रहते हैं आँसु, आज दिन रात क्यों जिसके बोल कभी लगते थे अमृत उसी के दो शब्द लगते

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कब समझोगी तुम

17 मई 2017
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दिल की आवाज़ निगाहों के इशारों मन की बात कब समझोगी तुम इन जज़्बातों कोइस बेक़रारी को इन उमंगो को कब समझोगी तुम इस रिश्ते कोइन उम्मीदों को इस प्यार कोकब समझोगी तुम १३ मई २०१७फ़्रैंकफ़र्ट

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तुम ही सब्रों क़रार मेरा

18 मई 2017
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तुम ही हो मंज़िल मेरी तुम ही हो सब्रों क़रार मेरा प्यार तुम्हारा है, अब जीने का सहारा दिलों जान मेरा, हो गया है तुम्हारा आए हो जब से ज़िंदगी में मेरी मिल गया मुस्कुराने का बहाना ख़ुशी की मेरी, तुम वज़ह बन गए हो रातों का चैन, दिन का सुकून बन गए हो कट जाएगी ज़िंदगी, प्यार में तुम्हारेतुम इस क़दर, मेरी

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तक़दीर

21 मई 2017
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तेरी तक़दीर का दोष नहींहै मेरी क़िस्मत का क़सूर तेरी तक़दीर में तो हम शामिल थेहमारी क़िस्मत में मगर तेरा साथ ना था तेरे नसीब ने तो मिलाया था हमें हमारे मुक़द्दर ने ही तुझ से बिछड़ने पर मजबूर कर किया ना तेरा ज़ोर चला अपने भाग्य पर ना मैं अपनी नियति बदल पाया अब तो इसी उम्मीद पर ज़िंदा हूँकी कभी तो जोड

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होंठ मुस्कुरा रहे हैं

27 मई 2017
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होंठ मुस्कुरा रहे हैं आँखें मगर रिस रही हैं तुझे भूल गया हूँ फिर भी तू याद हैपरछाईं में अपनी तेरा अक़्स ढूँढता हूँ किया बहुत कुछ हासिल मुफ़लिसी फिर भी छाई है पूरे किए सपने सभी ज़िंदगी मगर अधूरी है होंठ हँस रहे हैं मगर २६ मई २०१७जिनेवा

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मंज़िल

28 मई 2017
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मंज़िल पर पहुँच कर, देखा जो मुड़करसाथी कोई दिखा नहीं किस मोड़ पर छूटा साथ इल्म इस बात का था नहीं खड़ा हूँ अकेला शिखर परआसमान छूने की तमन्ना हो गयी पूरीज़मीन से नाता, मगर टूट गया है इस जीत का जश्न मनाऊँ या शोक पता नहीं २७ मई २०१७जिनेवा

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मुफ़लिसी

31 मई 2017
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मुफ़लिसी में सब ने दामन छोड़ दिया दोस्त नज़रें चुरा कर निकल जाते हैं अपने भी अजनबी लगते हैं रिश्तों में दूरियाँ आ गयी है फिर दिल को समझता हूँ किसी से क्यों गिला करता है तेरी ख़ुद की परछाईं तेरा साथ छोड़ देती है रात के अंधेरे में तो इस जहान से क्यों उम्मीद रखता हैतेरा साथ देने की

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वो मुस्कुरा रहे हैं पर,

3 जून 2017
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वो मुस्कुरा रहे हैं पर, आँखें कुछ और ही बयान कर रही हैं दुनिया के लिए खुश है, पर दुखों का सागर दिल में छुपा रखा है पूँछा जब उनसे इसका सबब,तो बोले इसको छुपा ही रहने दीजिए हुमने कहा उनसे, माना की सब आपकी निगाहो, पढ़ नहीं सकतेपर जो समझते हैं दिल का हालउनके सामने इन निगाहों को भी मुस्कुराना सिखा

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कभी यूँ ही चल मेरे साथ में

10 जून 2017
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कभी यूँ ही चल मेरे साथ मेंना हो रास्ते का डर ना मंज़िल की ख़बर ना हो रिश्तों का बंधन ना समाज का डर कभी यूँ भी चल मेरे साथ मेंना हो कोई उम्मीद ना हो कोई फ़िक्रना हो कोई शिकवा ना हो कोई गिलाकभी यूँ भी चल मेरे साथ में थाम कर हाथआँखों में आँखें डाल कर बस यूँही बेमक़सद कभी, चल मेरे साथ में ४ जून २०१७ऐम्

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प्यार का सागर

11 जून 2017
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बहार बन के तुम आए पतझड़ मेंचाँद बन के तुम आए अमावस मेंझील बन के तुम आए रेगिस्तान में क़रार बन के आए तुम बेक़रारी में हसीन ख़्वाब बन कर आए तुम सूनी आँखों में मधुर संगीत बन कर तुम आए सुनसान फ़िज़ाओं में ख़ुशी बन कर आए तुम ग़म की सियाह रात में मरहम बन कर समा गए तुम ज़ख़्मी दिल में रहमत बन कर आए तुम रूठ

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कच्चे खिलाड़ी थे हम

13 जून 2017
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कच्चे खिलाड़ी थे हम मोहब्बत के खेल में अपनी हार पर भी ख़ुश हुए क्योंकि उसमें ख़ुशी थी तेरी नज़रें मिलाई ना चुराई तुमनेबस इनमे कुछ ख़्वाब सज़ा के चले गए कुछ कहा, बहुत कुछ बोला नहीं तुमने बस हमें हमारे ख़यालों के सहारे छोड़ चले गए दिल दिया, ना तोड़ा तुमने बस उम्र भर इन्तेज़ार देकर चले गए कच्चे खिलाड़ी

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अपनी सोहरत से डरता हूँ

25 जून 2017
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अपनी सोहरत से डरता हूँकहीं, यह तुझे रुसवा ना कर दे मोहब्बत का अपनी, इजहार करने से डरता हूँ की मशहूर, ना हो जाए यह कुछ इस क़दरकी लोग समझ जाएँ, इशारों इशारों में तेरा ज़िक्र अपनी रुसवाई से भी डरता हूँयह रुसवाई, तुझे मशहूर ना कर दे मोहब्बत को अपनी, छुपा के रखने से भी डरता हूँछुपाते छुपाते, कहीं इज़हार

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मौक़ा ढूँढता हूँ

9 जुलाई 2017
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कुछ अनकही बातों को कहने का मौक़ा ढूँढता हूँ दिल में छुपे राज़ का इजहार, करने का मौक़ा ढूँढता हूँ खुली आँखों से देखे ख़्वाबों को मुकम्मल करने का, मौक़ा ढूँढता हूँ इस मोहब्बत को तुझ पे लुटाने का मौक़ा ढूँढता हूँ ज़िंदगी के इस पड़ाव परतेरा साथ पाने का मौक़ा ढूँढता हूँतुझे फिर अपना बनाने कामौक़ा ढूँढता

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ज़िंदगी इन्हीं में है

12 जुलाई 2017
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इस चार दिन की ज़िंदगी में चार पल ख़ुशी के हैं तू जी ले इन्हें कुछ इस तरह कि ज़िंदगी इन्हीं में है मस्कुराहटों से गिन तू साल अपनी उम्र के हँसी ख़ुशी से बीते जो पलज़िंदगी इन्हीं में है छोड़ कुछ मीठी यादें उम्र के हर पड़ाव परपीछे मुड़ जब देखेगा ज़िंदगी इन्हीं में है ५ जुलाई २०१७जिनेवा

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यह हो नहीं सकता

13 जुलाई 2017
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भले, सूरज पश्चिम से उग जाए मगर, कोई चाहें तुम्हें, मुझ से ज़्यादा यह हो नहीं सकताभले, चाँद उतर कर आ जाए धरती परमगर, कोई चाहें तुम्हें, मुझ से ज़्यादा यह हो नहीं सकता भले, रगों में बहता ख़ून पानी हो जाए मगर, कोई चाहें तुम्हें, मुझ से ज़्यादा यह हो नहीं सकताभले, सागर का नीर मीठा हो जाए मगर, कोई चाहें

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चल चले फिर आज वहीं

16 जुलाई 2017
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अरसे बीत गए तुझे दिल की बात बताए अरसे बीत गए तेरे दिल की बात सुने चल चलें फिर आज वहीं हुई थी शुरू जहाँ से अपनी दास्ताँबैठे थे जिस जगह थामे हाथों में हाथदेख रहे थे सपने, आखों में एक दूजे कीउसी जगह जहाँ चुपचाप बैठे थे, सहमे से फिर किया था तुमने और मैंने साथ में ईज़हार अपने प्यार का और एक हो गए थे दो द

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ख़ूबसूरत कायनात

18 जुलाई 2017
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हवाओं में तेरी ख़ुशबू फ़िज़ाओं में तेरी हँसी फूलों में तेरी झलक चाँदनी में तेरा नूररवि में तेरी दमकनीर में तेरी शीतलता आकाश में तेरी छवि माटी में तेरी महक बना रही है ख़ूबसूरत इस कायनात को २५ जून २०१७जिनेवा

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बातों से बात निकली

11 अगस्त 2017
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बातों से बात निकली और बातें बन गयीं ना तुम समझे ना हम समझे पर कहानी बन गयीजो कल तक थी दिल में हमारे वो आज खुली दास्ताँ बन गयीक़िस्से हमारे फैल रहे हैं अफ़वाओं की तरहचलो इसी तरह इन्हें मंज़िल तक पहुँचने की राह मिल गयी २२ जुलाई २०१७अबूज़ा

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जानते हैं वो भी और हम भी

26 अगस्त 2017
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छुप छुप के देखते हैं वो हमको और हम उनकोजानते हैं वो भी और हम भीसामने आ कर मगर नज़रें मिला नहीं सकते जानते हैं वो भी और हम भीबिन कहे बहुत कुछ कहते हैं वो भी और हम भीलफ़्ज़ों में बयान कर नहीं सकते जसबादजानते हैं वो भी और हम भीदिलों की दूरियाँ मिटाने चाहते हैं वो भी और हम भीमगर इन फ़ासलों को मिटाना है

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देखते थे जिन्हें रोज़

27 अगस्त 2017
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देखते थे जिन्हें रोज़ उनकी नज़रें कभी हम पर रुकी नहीं करते थे जिससे रोज़मन ही मन बातें आमने सामने बैठ कर कभी उनसे बात हो ना पायी माँगा हर दुआ में की उनकी दुआ में हम आयेंदुआ वो क़बूल हो ना पायी २१ अगस्त २०१७फ़्रैंकफ़र्ट

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इश्क़ तुमको भी था, इश्क़ हमको भी था

28 अगस्त 2017
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इश्क़ तुमको भी था इश्क़ हमको भी थाना तुम्हें थी ख़बर ना हमें था पता दिलों की दूरियों से बैर तुमको भी थाबैर हमको भी था दूरियाँ मिटाने की ना कोशिश तुमने कीना कोशिश हमने की मोहब्बत का इज़हार ना तुमने कियाना हमने किया आँखों से बोलते रहे दिल की बातज़ुबान से इज़हारना तुमने किया ना हमने किया१ अगस्त २०१७जिन

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पाया है तुझे

29 अगस्त 2017
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ख़ुद को खो कर पाया है तुझेसब कुछ भुला कर पाया है तुझेहालतों से लड़ कर पाया है तुझेदिलों को तोड़ कर पाया है तुझे तक़दीर को बदल कर पाया है तुझेवजूद को मिटा कर पाया है तुझेना उम्मीदी को हरा कर पाया है तुझेदुनिया से चुरा के पाया है तुझे खुदा के मेहरोंकर्म से पाया है तुझेख़ुद को खो कर पाया है तुझे

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चल चले फिर आज वहीं

30 अगस्त 2017
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अरसे बीत गए तुझे दिल की बात बताए अरसे बीत गए तेरे दिल की बात सुने चल चलें फिर आज वहीं हुई थी शुरू जहाँ से अपनी दास्ताँबैठे थे जिस जगह थामे हाथों में हाथदेख रहे थे सपने, आखों में एक दूजे कीउसी जगह जहाँ चुपचाप बैठे थे, सहमे से फिर किया था तुमने और मैंने साथ में ईज़हार अपने प्यार का और एक हो गए थे दो द

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दिल चाहता है आज भी उसको

2 सितम्बर 2017
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दिलो दिमाग़ की जद्दोजहद तो देखोदिल ने चाहा उसी को, जिसे दिमाग़ ने कहा हर बार कि वो हो नहीं सकता मेराजीत किसकी हुई पता नहींदिल चाहता है आज भी उसकोजो हो ना सका मेरा २६ अगस्त २०१७फ़्रैंकफ़र्ट

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यह कैसी मोहब्बत है

3 सितम्बर 2017
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यह कैसी मोहब्बत है जिसका इज़हार हम कर नहीं सकतेतू मुझे मिल नहीं सकती मैं तुझे मिल नहीं सकता यह कैसी मोहब्बत है दिलों की दूरियाँ तो मिट गईंपर फ़ासले कम हो नहीं सकतेतू मेरे पास आ नहीं सकतीमैं तेरे पास जा नहीं सकता यह कैसी मोहब्बत है उम्र बीत गयी इसे समझने मेंमगर तू मुझे समझा नहीं सकतीमैं तुझे समझा नही

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तेरे बिना

4 सितम्बर 2017
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तुझे देखे बिना जीना मुश्किल है इसलिए रोज़ ख़्वाबों में देखता हूँ तुझेतुझे महसूस किए बिना जीना मुश्किल है इसलिए तेरी यादों को ख़ुद में समाए हुए जी रहा हूँ तुझ से बात किए बिना, दिन गुज़रता नहींइसलिए मन ही मन, तुझ से बातें कर लेता हूँ तुझ से कहने को बहुत कुछ होता है, पर कह नहीं पता इसलिए दिल की हर बात,

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एक वो बारिश थी

6 सितम्बर 2017
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एक वो बारिश थी जो साथ रहने का बहाना बन जाती थी एक यह बरसात है जो दूरियाँ मिटा नहीं पातीएक वो बारिश थी जिसमें मीलों के फ़ासले पल में तय हो जाते थे एक यह है जिसमें चाह कर भी इन फ़ासलों को तय कर नहीं पाते एक वो बारिश थी जो ख़ुशियों से भर देती थी दामन एक यह है जो संजीदा कर जाती है एक वो बारिश थी जो सूना

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कभी कभी

7 सितम्बर 2017
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कभी कभी दुनिया के शोर से अलग ख़ुद से बातें करना अच्छा लगता है दीन दुनिया की परवाह किए बिना अपने ख़यालों को पंख देना अच्छा लगता है कहाँ से आया, कहाँ जाना है, के बारे में सोंचें बिना कहाँ हूँ, उस पर ग़ौर करना अच्छा लगता है कौन ख़ुश है कौन दुखी, को जाने बिनाअपनी संतुष्टि अपनी ख़ुशी के बार मेंसोंचना, अच

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वजह तुम हो

14 सितम्बर 2017
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ज़िंदगी जीने की वजह तुम होसपने देखने की वजह तुम होमंज़िलों तक पहुँचने की वजह तुम हो मुस्कुराने की वजह तुम हो ख़ुशियाँ ढूँढने की वजह तुम होप्यार में डूबने की वजह तुम हो मोहब्बत करने की वजह तुम हो खुदा को मानने की वजह तुम हो दुआएँ माँगने की वजह तुम हो इस जीवन की वजह तुम हो ६ सितंबर २०१७जिनेवा

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ज़माना बदल रहा है

26 सितम्बर 2017
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ज़माना बदल रहा हैख़त अब ईमेल बन गए हैंज़स्बाद अब इमोजी बन गए हैंदोस्त अब मिलते हैं फ़ेस्बुक परफ़ोटो ऐल्बम की जगह अब इंस्टाग्राम हैसोशल लाइफ़ अब सोशल मीडिया बन गई हैइंसान की पहचान अब आधार कार्ड बन गया हैमाँ बाप का धन्यवाद होता है फ़ादर मदर डे परस्मार्ट लोगों की पहचान बन गया गई स्मार्ट फ़ोनबच्चे अब पा

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कभी मिलो हमसे

28 सितम्बर 2017
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शिकवे गिले मिटा कर कभी मिलो हमसेजो मुस्कुराता चेहरा बसा है ज़हन मेंउसी मुस्कुराहट के साथ कभीमिलो हम सेदिल की बातें करने कोकभी मिलो हमसेनज़रों को हमारी पढ़ने के लिएकभी मिलो हमसेसुनहरी यादों को ताज़ा करने कोकभी मिलो हमसेख़्वाबों को हक़ीक़त बनाने कोकभी मिलो हमसेहो गयी थी जिससे पहली नज़र में मोहब्बतवो ह

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पहली बार

30 सितम्बर 2017
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वो मंज़र याद आज भी हैजब देखा था तुझे पहली बारवो ज़माना याद आज भी हैजब चाहा था किसी को पहली बारवो लम्हे याद आज भी हैंजो गुज़रे थे तेरे साथ पहली बारवो बातें याद आज भी हैंजो कि थीं तुम से पहली बारउन ख़तों का मज़मून याद आज भी हैजो लिखे थे तुझे पहली बारवो प्यार रहेगा साथ मेरे ज़िंदगी भरजो हुआ था तुम तुमस

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दिल की बात दिल में ही रह गयी

11 अक्टूबर 2017
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हाले दिल पूँछा,ना तुमने, ना हमनेऔर, दिल की बातें दिल में ही रह गयींनज़रें, ना तुमने पढ़ीं, ना हमनेऔर, दिल की बातें दिल में ही रह गयींइशारे, ना तुमने समझे, ना हमनेऔर, दिल की बातें दिल में ही रह गयींज़स्बातों का इज़हार,ना तुमने किया, ना हमनेऔर, दिल की बातें दिल में ही रह गयींप्यार करते हैं बेइंतहा तुम

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याद आज भी है

12 नवम्बर 2017
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वो मंज़र याद आज भी हैजब देखा था तुझे पहली बारवो ज़माना याद आज भी हैजब चाहा था किसी को पहली बारवो लम्हे याद आज भी हैंजो गुज़रे थे तेरे साथ पहली बारवो बातें याद आज भी हैंजो कि थीं तुम से पहली बारउन ख़तों का मज़मून याद आज भी हैजो लिखे थे तुझे पहली बारवो प्यार रहेगा साथ मेरे ज़िंदगी भरजो हुआ था तुम तुमस

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आखरी बात

9 दिसम्बर 2017
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ना जाने कौन सी मुलाक़ात हो आख़िरीइसलिए हर मुलाक़ात को स्मरणीय बना लेता हूँना जाने कौन से बात हो आख़िरीइसलिए हर बात को खास बना लेता हूँना जाने कौन सा पल हो आख़िरीइसलिए हर पल को ख़ुशगँवार बना लेता हूँना जाने कौन सा सफ़र हो आख़िरीइसलिए हर सफ़र को यादगार बना लेता हूँना जाने कौन से छंद हो आख़िरीइसलिए हर

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कितनी अजीब है यह ज़िंदगी

11 दिसम्बर 2017
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कितने अजीब होते हैं ख़ुशी के पलसब रखना चाहते हैं इन्हें संजो करपर यह मुट्ठी में पकड़ी रेत सेफिसलते ही जातें हैंकितनी अजीब होती हैं दूरियाँकभी यह बनाएँ नहीं बनतींतो कभी मिटाए नहीं मिटतींकितने अजीब होते हैं आँसुख़ुशी हो या ग़म, छलकते हैं तोमन हल्का कर जाते हैंकितनी अजीब है यह ज़िंदगीसब जीना चाहते हैंअ

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भूल गए

9 जनवरी 2018
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ख़ुशियों के पीछे भागते भागते ख़ुशियों का मतलब ही भूल गए रिश्तों की रहनुमाई करते करते रिश्ते निभाना ही भूल गए क़ीमती असबाब इकट्ठा करते करतेअनमोल ज़स्बाद संजोना भूल गए रोज़ मर्रा की मसरूफ़ियत में अपनों से नाता जोड़ना ही भूल गए ज़िंदगी की जद्दो जहद में ज़िंदगी को जीना ही भूल गए ९ जनवरी २०१८जिनेवा

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बस एक दूसरे के लिए जिएँ

20 जनवरी 2018
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ज़िंदगी, मुट्ठी में पकड़ी रेत की तरहफिसलती जा रही हैचल, आने वाले इन कुछ पलों कोसाथ मिल कर जी लेजो ना कहा एक दूसरे से वो कह लें,है प्यार तुम से, फिर एक बार दोहरा लेमिलती हो ख़ुशी जिस से,चल मिलकर वो ही करेंबनकर एक दूसरे का आसराउम्मीदों को पूरा कर लेंदुनिया क्या कहेगी,इसकी परवाह किए बिनाबस एक दूसरे के

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बस यही खता है मेरी

21 जनवरी 2018
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तुझ से की है मोहब्बतबस यही खता है मेरीबढ़ चले कदम तेरी आेरजाने अंजानेबस यही खता है मेरीनाम तेरा रहता है ज़ुबान पर हर पलबस यही खता है मेरीदिल में बस गई है तस्वीर तेरीबस यही खता है मेरी करना है दीदार तेरा खुदा से पहलेबस यही खता है मेरीहै ज़िन्दगी तुझ पे कुर्बान बस यही खता है मेरी १ जनवरी २०१८डिब्रूगढ़

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ज़िंदगी ना जाने कहाँ पीछे छूट गयी

28 मार्च 2018
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ख़्वाहिशों के पीछे दौड़ते दौड़तेज़िंदगी ना जाने कहाँ पीछे छूट गयीपता ही ना चलाशिखर तक पहुँचने की चाह मेंज़िंदगी ना जाने कब,हाथों से फिसल गयी, पता ही ना चलाउम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश मेंअपनी उम्मीदों ने, कब ज़िंदगी का साथ छोड़ दियापता ही ना चलासबके ख़्वाबों को संजोते संजोतेज़िंदगी ने कब ख़्वाब दे

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तोरे नैना मोरे नैना

2 अप्रैल 2018
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तोरे नैना मोरे नैनानैनों से क्या बोले नैनासमझे ना ये तोरे नैनासमझे ना ये मोरे नैनातोरे नैना मोरे नैनानैनों से क्या बोले नैनाबसे तुम हो मोहरे दिल माबसे हम हैं तोहरे दिल मानैनों से ये बोले नैनातोरे नैना मोरे नैनानैनों से क्या बोले नैनाक़रार तुम हो मोहरे जी केक़रार हम हैं तोहरे जी केनैनों से ये बोले नै

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कह ना पाए

5 अप्रैल 2018
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कोशिशें लाख कीं पर, तुझ सेदिल की बात कह ना पाएदेखतें हैं तुझे हर दिन, परनज़रों से नज़रें मिला ना पाएमुरीद बन गए तेरे, परसाथ तेरे चल ना पाएतस्वीर तेरी बसी है दिल मेंदिल चीर कर बस दिखा ना पाएहै मोहब्बत तुझ सेजानता है जहां बस एक तुझे बता ना पाए१ अप्रेल २०१८जिनेवा

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मेरे पास तुझ को चाहने की

15 जून 2018
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मेरे पास तुझ कोचाहने की, कोई वजह नहींतू जो पास हो, तो है ज़िंदगीजो ना हो साथ, तो ज़िंदगी नहींमेरे पास तुझ कोचाहने की, कोई वजह नहीं तू है तो धड़कता है यह दिल मेरा जो ना हो तो, धड़कने की वजह नहीं मेरे पास तुझ कोचाहने की, कोई वजह नहींतेरी मुस्कुराहट ही है ख़ुशी मेरी जो ना हो तो, दुनिया की कोई ख़ुशी, ख़

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ज़रूरी तो नहीं

21 सितम्बर 2018
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जो बसा है मेरे दिल मेंउसकी तस्वीर ले कर घूमूँ ज़रूरी तो नहींजो समाया है मेरी रूह मेंउसके साथ हर घड़ी रहूँज़रूरी तो नहींजिसकी ख़ुशबू है मेरी साँसों मेंउसके नज़दीक ही रहूँज़रूरी तो नहींजो घुल गया है मेरी शायरी मेंउससे गुफ़्तगू हर पल करूँज़रूरी तो नहीं२० सितम्बर २०१८जिनेवा

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तुझे भुला ना पाया हूँ

22 सितम्बर 2018
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कोशिशें लाख की मगर तुझे भुला ना पाया हूँ तस्वीर तेरी दिल से हटा ना पाया हूँ खुदा के घर में बैठा हूँ मगर नाम तेरा ही है लबों पर उसकी इबादत भी कर ना पाया हूँमहफ़िलों में मिलते हैं हसीन कई, मगर ढूँढती है जिसे नज़रदीदार उसके कर ना पाया हूँ मोहब्बत की वजह से है ज़िंदगी मेरीमगर, जिससे की है मोहब्बतउसे बात

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मेरी जान

27 अक्टूबर 2018
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मेरी जान

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आओ बैठे आज फिर साथ

12 अक्टूबर 2019
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आओ बैठे आज फिर साथज़िंदगी की किताब के कुछ पन्ने फिर पलटेंकुछ अफ़साने तुम कहोकुछ क़िस्से हम सुनायेंकुछ लम्हे तुम जियो कुछ पल हम दोहराएँकुछ भूली हुई यादें,तुम ताज़ा करो कुछ स्मृतियाँ हम संजोयें कुछ क़समें तुम तोड़ो कुछ वादों से हम मुकरेंकुछ दूरियाँ तुम मिटाओकुछ फ़ासले हम तय करेंकुछ नज़दीक तुम आओ कुछ क

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चक्रव्यूह

23 जनवरी 2021
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सवालों और जवाबों के चक्रव्यूह में फँस गयी है ज़िंदगी कल क्या हुआ कल क्या होगा यह मेरा है, वो तेरा इन्ही, सवालों और जवाबों के चक्रव्यूह में फँस गयी है ज़िंदगी दुनिया क्या कहेगी यह सही वो ग़लत यह अच्छा वो बुरा इन्ही, सवालों और जवाबों के चक्रव्यूह में फँस गयी है ज़िंदगी २३ जनवरी २०२१जिनेवा

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कोशिशें

23 जनवरी 2021
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कोशिशें हज़ार क़ींदर्द अपना छुपाने कीज़ख़्म इतना गहरा थाकि, मुस्कुराहट के पीछे भीरंजीदगी छुप ना सकी कोशिशें हज़ार क़ींआंसुओं के सैलाब को रोकने कीभरा था दिल इतना मगर आँखों के बाँध भी उसे बहने से रोक ना सके कोशिशें हज़ार क़ींयादों को दफ़नाने की प्यार बेंतिहा था मगर कब्र से भी लौट आयी यादें मुझे सताने

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तू मिल कर भी ना मिला मुझसे

23 जनवरी 2021
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तू मिल कर भी ना मिला मुझे मैं मिले बिना भी तेरा हो गया तू ना समझा कोई बात मेरी मैं तेरे एक इशारे को दिल से लगा बैठा तू दिल्लगी करता रहा मैं दिल लगा बैठा तुझसे तू अपनी मंज़िल की तरफ़ बढ़ गया मैं उसी राह मेंतेरे इंतज़ार में बैठा रहा तू मिल कर भी ना मिला मुझसे २२ दिसंबर २०२०दिल्ली

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अनकही बातों को

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अनकही बातों को अनकही रहने दो जीने दो इसी भ्रम मेंप्यार ना किया ज़ाहिर तुमने भी और मैंने भी के तेरे भी वो ही हालात हैं जो मेरे हैंअनकही बातों कोअनकही ही रहने दो जीने दो इसी भ्रम मेंधड़क रहा है मेरा दिल तेरे सीने मेंतेरा दिल मेरे पास है अनकही बातों को अनकही ही रहने दो र

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जानता हूँ मैं

23 जनवरी 2021
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जानता हूँ मैं चिल्ला देता हूँ तुम पर कभी जानता हूँ कि तुम समझ जाओगी मेरी दशा और नहीं करोगी मुझे खुद से दूर रो लेता हूँ तुम्हारे सामने जानता हूँ कि तुम दोगी मुझे तसल्ली नहीं समझोगी कमजोरहँस लेता हूँ तुम्हारे साथ जानता हूँ कि तुम बाँटोगी मेरी ख़ुशी नहीं करोगी रश्क़दर्द अपना कर लेता हूँ तुम से साँझाजान

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नज़र आया

23 जनवरी 2021
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नज़र आया इश्क़ के आइने में देखा चेहरा तेरा नज़र आया दिल के दर्पण में देखा अक्स तेरा नज़र आया नज़रों के झरोख़े में देखा रूप तेरा नज़र आया बस गए हो तुम इस तरह ज़ेहन में खुद में भी बस तसव्वुर तेरा नज़र आया ५ दिसंबर २०२०दिल्ली

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दिल में अपने

23 जनवरी 2021
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दिल में अपने झाँक कर देखा तो तेरा चेहरा नज़र आता हैनिगाहों में मेरी तेरा ही अक्स उभर आता है बातों में मेरी तेरा ही ज़िक्र सुनाई आता है अजनबी है तूफिर भी ना जाने क्यों जाना पहचाना सा नज़र आता है ३ दिसंबर २०२०दिल्ली

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पालक झपकते ही

23 जनवरी 2021
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पलक झपकते ही पलक झपकते ही ओझल हो गया था जो हक़ीक़त अब सपना बन गया रहता था साथ जोअब याद बन गया होती थी रोज़ गुफ़्तगू अब ख़्याल बन गया था हो बशरअब रूह बन गया पलक झपकते ही ओझल हो गया १ दिसंबर २०२०दिल्ली

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काश तुम होते पास

23 जनवरी 2021
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काश तुम होते पास काश तुम होते पास पहलू में रख कर सिरदिल का ग़ुबारहल्का कर लेते काश तुम पास होते पहलू में रख कर सिर आँखों के सैलाब में मन के मलाल को बहा देतेकाश तुम पास होते पहलू में रख कर सिर इजहार दिल का हाल कररंजीदगी, कुछ कम कर लेते काश तुम होते पास १ दिसंबर २०२०दिल्ली

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आ गयी है ज़िंदगी

23 जनवरी 2021
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आ गयी है ज़िंदगीआ गयी है ज़िंदगी ऐसे पड़ाव पर कहना है अलविदा अपने आप से रिश्तों के तानेबानेलगने लगे हैं बेज़ार से मिलना है जिनसे आख़िरी बार हैं कुछ पास तो कुछ हैं, दूर होगी उनसे बातया मुलाक़ात मालूम नहीं थमने को हैं साँसेबस इंतेज़ार में आ गयी है ज़िंदगी ऐसे पड़ाव पर २८ नवंबर २०२०दिल्ली

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