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बम बम भोलेनाथ

10 जुलाई 2017

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जो पाप-पुण्य से सदा परे

जो जन्म-मृत्यु से सदा महान,


सुख भी उसका, दु:ख भी उसका

सबको देखे एक समान


जो पीकर अपमान का बिष,

दे सबको जीवन का वरदान


खुद रहकर शमशान में जो

सोने की लंका दे दे दान


जटा में जिसकी गंगा की धारा

है जिससे यह संसार सारा


है काल भी जिसका सेवक

वो कालजयी है बड़ा महान


जो पीकर सूखी चिलम गांजा

वो सम सबमें रंक या राजा


त्याग के सब सुख सौभाग्य

जिसे भाया तो बस वैराग्य


है धरा पे जिसका आसन मोटा

रखे धतूरा भंग का लोटा


खूब बजाए डमरू डम-डम

ताल मिलाने नंदी बम-बम


बंद आँखों से देखें वो सब

जो मन में मेरे हुँ हैरान


तीसरा नेत्र वो जब खोले

तांडव से फिर धरा डोले


करूं प्रणाम मैं एक कंकर

मैं साधारण वो शिव-शंकर


तज कर तुम सारे अभिमान

माँगने से पहले सीखो दान

पाने से पहले सीखो त्याग

यही है वैराग्य, यही है वैराग्य।


बम बम भोलेनाथ।


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बम बम भोलेनाथ

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जो पाप-पुण्य से सदा परेजो जन्म-मृत्यु से सदा महान,सुख भी उसका, दु:ख भी उसकासबको देखे एक समानजो पीकर अपमान का बिष, दे सबको जीवन का वरदानखुद रहकर शमशान में जोसोने की लंका दे दे दान जटा में जिसकी गंगा की धाराहै जिससे यह संसार साराहै काल भी

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