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लम्बा नाम

15 जुलाई 2017

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ट्रेन में एक आदमी सबके छोटे नाम का मजाक उड़ा रहा था तभी वो मुझसे बोला -

“हैलो मेरा नाम चंद्रशेखरन मुत्तुगन रामस्वामी पल्लीराजन भीमाशंकरन अय्यर! ….. और आपका नाम?”


“नरेन्द्र” मैंने जवाब दिया तो वो हँसते हुए बोला “हमारे यहाँ इतना छोटा नाम किसी का नहीं होता”!


मैंने जवाब दिया “जी आपने मेरा पूरा नाम तो सुना ही नहीं ….

मेरा पूरा नाम है ---


नरेन्द्र केशकरन लम्बनामी

कामकाजी दालरोटी आलुभाजी


कटक कटक उठापटक धड़क-धड़क

सुनकर ना तुम जाना भड़क


रेलगाड़ी करती छुक छुक छुक छुक

स्टेशन बोले रुक रुक रुक रुक


ट्रेन की जंजीर हाथ में अंजीर

कह गए मेरे भैया सुधीर


धमक धमक धमक धमक

दाल में नमक नमक नमक


ऊँचा मकान फीका पकवान

बगल में मेरे चोरी का सामान


कुत्ते की पूँछ बिल्ली की मूँछ

भैंस की टाँग मुर्गे की बाँग


अंधेर नगरी चौपट राजा

ओ अक्ल के अंधे इधर तो आजा


चोर को दरोगा कड़ी सजा दे

ओ डीजे वाले बाबू मेरा गाना बजा दे


दम दम दम मस्त कलंदर

मेरा नाम सुने ये बंदर


पीकर खा या खाकर पी

सुन तो जरा आ!!! क्छी!!!!!



ही ही ही ही ही ही


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नाम सुनने के बाद पता नहीं उसे क्या हुआ कि वो अगले स्टेशन पर ही उतर गया।


नरेंद्र केशकर - Narendra Keshkar की अन्य किताबें

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जीवन के सफर में कुछ चंद लम्हें शब्दों में पिरो कर इस पेज में प्रस्तुत कर रहा हूँ . आशा है की आपको पसंद आएगा
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वो अाँखों में तूफ़ान रखते हैं

4 अप्रैल 2017
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लम्बा नाम

15 जुलाई 2017
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नुक्कड़ वाला मकान

20 अगस्त 2017
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गली के नुक्कड़ पर जो वो मकान है, सारे मोहल्ले के मनोरंजन का सामान है,जो भी वहाँ से निकले वह रह जाए हक्का बक्का, बेलन लग गया तो चौका नहीं तो छक्का!!

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वो आखिरी लोकल ट्रेन

23 अगस्त 2017
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24 अगस्त 2017
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