shabd-logo

बहू : बेटी या बहू

19 जुलाई 2017

388 बार देखा गया 388
समाज में अक्सर सुनने और देखने को मिलता है की बेटे को बेटे की तरह, बेटी को बेटी की तरह,पिता को पिता की तरह,माता को माता की तरह , सास-ससुर को सास-ससुर की तरह और तो और दामाद को दामाद की तरह प्यार,सम्मान और आदर देते है लेकिन जब बात बहू की आती है तो बहू को बेटी की तरह प्यार करने की बात होने लगती है। जब हम समाज के अन्य रिश्तों की तुलना एक दूसरे से नही करते तो बहू और बेटी के रिश्तों की तुलना क्यों? जब हम किसी की तुलना किसी और से करते है तो उसके अस्तित्व पर प्रहार करते है जिसकी तुलना की जाती है। बहू बेटी जैसी होनी चाहिए यह वाक्य बहू के अस्तित्व और पहचान पर एक सवाल बनकर खड़ा होता है , कि क्या समाज में बहू पद की अपनी कोई गरिमा नही? यदि ऐसा नही है तो बेटी से बहू की तुलना क्यों और यदि है तो ऐसा क्यों? क्या बहू होने में अपनी कोई खासियत नही ,जो बेटी होने में है। हमारे इस सो-कॉल्ड मॉडर्न समाज में क्या बहू होना इतना बुरा है ? लोग ये कहते है कि हम बहू को बेटी जैसा प्यार देंगे ! तो इसका मतलब की बहू जैसा प्यार होता ही नही या फिर देने लायक ही नही होता। लड़के की शादी के पहले खूब हो-हल्ला कि बेटे के लिए एक संस्कारी और आदर्श बहू चाहिए जो घर के साथ साथ बेटे को भी सम्भाले। आने वाली बहू के लिए नया घर, घर के पर्दे से लेकर पेंट तक सारी चीजें बहू के पसन्द की, हनीमून के लिए कहाँ जाना है और तमाम चीजें शादी के पहले ही सोच ली जाती है। जब हम इतना सारा इंतजाम आने वाली प्यारी बहू के लिए करते है तो अचानक से हमारा बहू के प्रति प्यार बेटी के रुप में कैसे बदल जाता है? न जाने इन बेबुनियादी और घटिया सोच वालो की बहू के प्रति सोच कब बदलेंगी, न जाने उन्हें कब समझ में आएगा की बहू बहू होती है और बेटी बेटी। लोगों को ये समझना होगा की बेटी का बचपन अपने घर में गुजरता है उसका रोना, हँसना, बदमाशी करना,घर को सजाना, जिद करना ये सारी बाते घर के आंगन में ही छूट जाती है और बहू ये सारी बाते अपने घर छोड़कर आप के घर में एक नए अनुभव के साथ प्रवेश करती है ! जब इन दोनों में इतना फर्क है तो इनके प्रति प्यार में भी फर्क होना चाहिए। जिस तरह बेटी स्वम् में सम्पूर्ण है उसी तरह बहू भी स्वम् में सम्पूर्ण है ! दोनों की अपनी अपनी हस्ती और पहचान है और सबसे बड़ी बात समाज और परिवार में दोनों पदों का अपना अपना विशेष महत्व है। जितना सम्मान और प्यार बेटी को बेटी की तरह दिया जाता है उतना ही सम्मान और प्यार बहू को बहू की तरह दिया जाना चाहिए। बेटी अधिकतम सत्ताईस साल में घर से विदा हो जाती है लेकिन बहू अपनी अंतिम सांस तक आपके घर और परिवार का बखूबी ख्याल रखती है। जब इन दोनों के कर्तव्यों में इतना बड़ा फर्क है तो हमारे समाज को भी इनके प्रति प्यार में फर्क रखना पड़ेगा तभी समाज में दोनों का आदर-सम्मान बरकार रहेगा, दोनों अपने अपने पदों पे सशक्त होंगी जिससे हमारे समाज में महिला सशक्तिकरण को एक नई पहचान मिलेगी। ____________ ©गौरव मौर्या

मिस्टर गौरव की अन्य किताबें

1

देवी समान गर्लफ्रेंड

26 मार्च 2017
0
5
3

आज एक 4 साल पुराने मित्र से 6-7 महीने (लगभग) बाद मुलाक़ात हुई। साथ में इनकी माता जी भी थी।हालांकि इनसे सोसल मिडिया के माध्यम से हाल चाल हो जाती थी लेकिन पिछले कुछ महीनो से इनका रिप्लाई आना कम हो गया । मैंने भी सोचा लगता है अपने भविष्य को लेकर चिंतित होगा (जैसे ग्रेजुएशन के बाद अक्सर लोग होते है) इसलि

2

मुस्कुराहट एक परोपकार

27 मार्च 2017
0
1
0

आज के मॉडर्न समय में लोग सारे काम तो मॉडर्न तरीके से करते है लेकिन पहले के लोगो में जो एक हसने और मुस्कुराने की कला थी वो आज के लोगो में कम ही देखने को मिलती है। आज के लोग अपने जीवन की कुछ ज्यादा ही सीरियसली लेते है और इसी कारण से लोगो के चेहरे से मुस्कुराहट और हँसी गायब होती जा रही है। इस तरह रहने

3

बच्ची का संघर्ष

9 अप्रैल 2017
0
2
0

#बच्ची_का_संघर्षआज अनामिका क्लास में आधे घण्टे की देरी से आई, तो क्लास के अन्य बच्चे बोलने लगे की सर जी ! ये रोज देर से आती है इसे क्लास से बाहर निकाल दीजिये। हालांकि प्रक्षिक्षु अध्यापक के रूप में मेरा क्लास(कक्षा-4) का पहला दिन था। मैंने पहले दिन किसी को दंड न देना ही उचित समझा। तो मैंने उसे क्लास

4

बढ़ती बुद्धि : एक समस्या

22 अप्रैल 2017
0
2
3

जिस प्रकार आज के लोग तर्क कुतर्क करते हुए खुद को बुद्धि वाला एवं बुद्धिमान बताते है या एक दूसरे के तर्क-कुतर्क से प्रभावित होकर एक दूसरे को बुद्धिमान मानने लगते है। खुद को सही साबित करने के लिए तमाम तरह के हत्कंडे अपनाते है । आज के युग में लोगो को इस प्रकार देखकर ऐसे लगता है कि आज का युग बुद्धि और ब

5

पेट का साम्राज्य

26 अप्रैल 2017
0
1
0

इंसान प्रत्येक चीज बढाने में विश्वास रखता है चाहे धन-दौलत हो,जमीन -जायजाद हो या रूतबा-शोहरत हो।इन सारी मोहमाया को बढ़ाते बढ़ते न जाने उसके #पेट_का_साम्राज्य(मोटापा) कब बढ़ जाता है पता ही नही चलता। जिस मोहमाया को उसने खुद के लिए बढ़ाया है , जब उस मोहमाया को दोहन करने का समय आता है तो पेट के बढ़े साम्राज्

6

एक प्रश्न: आप की माता जी क्या करती है?

3 मई 2017
0
3
3

"भारतीय नारी" जिसे सम्पूर्ण विश्व प्रेम, स्नेह, त्याग ,तपस्या, वात्सल्य,संघर्ष, समझदारी, बुद्धिमत्ता और नेतृत्व कौशल की देवी के रूप में देखता है। भारतीय संस्कृति में नारी को देवी समान माना गया है विभिन्न अवसरों पर उनकी पूजा होती है। वेदों में ये भी कहा गया है कि "यत्र

7

कैंसर_ट्रेन : सैकड़ों मनुष्यों की जीवन रेखा

14 मई 2017
0
0
0

एक ऐसी ट्रेन जो उसमे बैठने वालों को अनंत काल का दर्शन कराती है।इसमें बैठने वाले अधिकतर लोग उस बिमारी से संघर्ष करते नजर आते है जिसके लिए वे खुद जिम्मेदार नही है।ये कोई साधारण बिमारी नही और न ही ये कोई साधारण ट्रेन है। इस आसाधारण बिमारी का नाम है 'कैंसर' और इस ट्रेन का नाम है 'कैंसर ट्रेन'। पंजाब के

8

सफल वैवाहिक जीवन के कुछ सूत्र

20 मई 2017
0
1
0

वैवाहिक जीवन के बाद पति पत्नी की एक दूसरे के प्रति जिम्मेदारियां, आवश्यकताएं, जरूरते और अपेक्षाएं होती है । वैवाहिक जीवन के सुखपूर्वक चलते रहने के लिए ये सारी चीजे समय से पूरी होती रहनी चाहिए। लेकिन आज के समय में मनुष्य इतना व्यस्त है अपने कामों में ,की इन चीजों पे ध्यान नही दे पता । इसलिए पति पत्नी

9

पर्यावरण और हम

5 जून 2017
0
0
0

इतनी भीषण गर्मी, हर साल टूटता गर्मी का रिकार्ड, सालाना काटे जा रहे करोड़ो पेड़, नदियाँ सूखने की कगार पर, प्रतिदिन हजारो नई गाड़िया सड़को पर, रोज बढ़ता हुआ प्रदूषण, दूषित होती वायु ,थोड़ी दूरी के लिए भी बाइक , कार का प्रयोग, सी.ऍफ़.सी का बढ़ता प्रकोप और कार्बन उत्सर्जन में कोई कमी नही।पर्यावरण दिवस में नाम प

10

ज़ोया और समाज

8 जून 2017
0
0
0

आज ज़ोया की ऑफिस में एक महत्वपूर्ण मीटिंग थी! लेकिन कल रात से ही उसकी तबियत कुछ ठीक नही लग रही थी। आज सुबह जब ज़ोया उठी तो उसे बहुत कमजोरी महसूस हो रही थी , फिर भी उसने दोनों बच्चों को स्कूल भेजा , पति को ऑफिस ,सास-ससुर के लिए दोपहर का खाना बनाया ,घर की सफाई की और खुद तैयार होकर ऑफिस के लिए निकल गई। त

11

अपनाने की कला

17 जून 2017
0
1
2

एक बड़े व्यापारी की दो बेटियां थी - श्रद्धा और प्रतिष्ठा । समय बीतता गया और दोनों विवाह योग्य हुई। उनके पिता ने उनके लिए दो वरों का चयन किया- यथार्थ और काल्पनिक। एक दिन दोनों वरों को दोनों कन्याओं से मिलने के लिए बुलाया गया। दोनों लड़कियां देखने में अतिसुन्दर लेकिन स्वभाव में दोनों एकदम विपरीत जहाँ एक

12

संगति का प्रभाव

25 जून 2017
0
1
0

एक पेड़ की दो सुखी टहनियां टूट कर नीचे गिर गई! एक टहनी फूल के पौधों के नीचे तो दूसरी कीचड़ में जा गिरी। कुछ समय बाद एक टहनी से सुगन्ध और दूसरी टहनी से दुर्गंध आने लगी।दोनों टहनियां जब मिली तो आपस में विचार करने लगी कि हम दोनों एक ही पेड़ के हिस्से है,फिर भी हमारी महक का इतना अंतर क्यों? सुगन्धित टहनी न

13

उनकी देशभक्ति Vs हमारी देशभक्ति

6 जुलाई 2017
0
4
1

इज़राइलीयों से दुनिया इसलिए खौफ खाती है,क्योंकि वो 85 लाख सिर्फ सच्चे एवं ईमानदार देशभक्त है और यही हाल जापान एवं जर्मनी जैसे राष्ट्रों का भी है। ये ऐसे मुल्क है जो खुद यहां के देशभक्त नागरिकों की वजह से आज विश्व में एक अलग विकसित राष्ट्र वाली छवि रखते है। वही अगर बात भारत के नागरिकों की करे, तो कहन

14

सुचित्रा और माँ

14 जुलाई 2017
0
0
0

सुचित्रा प्रतिदिन कालेज से लौटकर, वहाँ होने वाली परेशानियों का रोना लेकर माँ के सामने बैठ जाती थी।कभी सहेली न बनने की दिक्कत, कभी सहेलियों से होने वाले झगड़े,कभी लड़को से कहा-सुनी तो कभी अध्यापको के उसके प्रति बुरे बर्ताव की दिक्कत। माँ प्रतिदिन उसकी इन बातों को ध्यान से सुनती और सांत्वना देती की सब ठ

15

बहू : बेटी या बहू

19 जुलाई 2017
0
1
0

समाज में अक्सर सुनने और देखने को मिलता है की बेटे को बेटे की तरह, बेटी को बेटी की तरह,पिता को पिता की तरह,माता को माता की तरह , सास-ससुर को सास-ससुर की तरह और तो और दामाद को दामाद की तरह प्यार,सम्मान और आदर देते है लेकिन जब बात बहू की आती है तो बहू को बेटी की तरह प्यार करने की बात होने लगती है। जब ह

16

वो बच्चे

2 अगस्त 2017
0
0
0

घर में घुसते ही उसने देखा! कि आज फिर, माँ अगल-बगल के गरीब बच्चों के साथ खाना खा रही है। माँ को ऐसा करते देख वो बोली ," माँ तुम एक सुबह से उठकर घर की सफाई करती हो, अच्छे अच्छे पकवान बनाती हो और इन बच्चों को बुलाकर घर तो गन्दा करवाती ही हो और सारा खाना भी इन्हें ही खिला देती हो, इतनी मेहनत कर के आखिर

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए