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काव्य रो रहा है

1 अगस्त 2017

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काव्य रो रहा है


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साहित्य में रस छंद अलंकारो का कलात्मक सौंदर्य अब खो रहा है।
काव्य गोष्ठीयो में कविताओं की जगह जुमलो का पाठ हो रहा है ।
हास्य के साथ व्यंग की परिभाषा अब इस कदर बदल गयी है ।
हंस रहे है कवी स्रोता सभी नये सृजन के अभाव में काव्य रो रहा है ।।


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डी के निवातिया

धर्मेन्द्र कुमार की अन्य किताबें

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बेटियाँ — निवातिया डी. के.

17 फरवरी 2017
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घर आँगन की पहचान होती है बेटियाँहर चेहरे की मुस्कान होती है बेटियाँ राम, कृष्ण भी लेकर आते है अवतारममता का ऐसा भण्डार होती है बेटियाँ !! चंदन की खुशबु सी महकती है बेटियाँबन कोयल सी मधुर कूकती है बेटियाँचहकता है इनसे घर का कोना – कोनाचिड़ियों सी आँगन में झूमती है बेटियाँ

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बसंत बहार

17 फरवरी 2017
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बसंत बहार बागो में कलियों पे बहार जब आने लगे, खेत-खलिहानों में फसले लहलाने लगे !गुलाबी धूप पर भी निखार जब आने लगे, समझ लेना के बसंत बहार आ गयी !!भोर में रवि की किरण पे आये लालीकोयल कूक रही हो अमवा की डालीपेड़ो पर नई नई कोपले निकलने लगेऔर आँगन में भी गोरैया चहकने लगे

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कलयुगी भक्ति में शक्ति

17 फरवरी 2017
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कलयुगी भक्ति में देखि शक्ति अपार, तभी तो बन बैठे वो महान !कितने मुखड़े छिपे इन चेहरो में, इससे विचलित है स्वंय भगवान !!लूट खसोट कर अमीर बन गए वोजो दिन-रात करते करतूते काली !मंदिर में बैठकर करते पूजा आरतीदर पे बैठे भिखारी को बकते गाली !!कलयुगी भक्ति में देखि शक्ति अपार,

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हमारे नेता—डी के निवातिया

21 फरवरी 2017
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विकास की डोर थाम ली है हमारे नेताओ ने ।अब नये शमशान और कब्रिस्तान बनायेंगे।।कही भूल न जाओ तुम लोग मजहब की बाते ! याद रखना इंसानियत को इसी से मिटायेंगे ।।!!!डी के निवातिया

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नादान परिंदा

25 फरवरी 2017
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मैं आया नादान परिंदा अनजान की तरह !लौट जाऊँगा एक दिन मेहमान की तरह !! क्या सहरा,क्या गुलिस्ता, हूँ सब से वाकिफ कट जायेगा ये भी सफर जाते तूफ़ान की तरह !!ढूंढ कर अन्धकार में भी प्रकाश की किरण पाउँगा मंजिल मैं मुसाफिर अनजान की तरह !!ना करो ऐ दुनिया वालो मेरे ईमान को बदनाम कहि

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भावी आथित्य संस्कारो की झलकियां

25 फरवरी 2017
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भावी आथित्य संस्कारो की झलकियां ………………परिवर्तन के इस दौर मेंभविष्य का चित्र कुछ ऐसे उभर कर आयेगा !नैतिक मूल्यों के संग संगसंस्कारो का समस्त स्वरुप ही बदल जाएगा !सर्वप्रथम आथित्य सत्कार में,जो आगंतुक को विधिवत लुभायेगा !वही सुधि जन सर्वगुण संपन्न,सस्कारी जमात का गुरु कहलायेगा !!प्रथम काज अतिथि प्रणाम

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मै सिस्टम लाचार मुझे लाचार रहने दो……………..

28 फरवरी 2017
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मै सिस्टम लाचार मुझे लाचार रहने दो दुनिया कहे बीमार मुझे बीमार रहने दो !! कठपुतली बनके रहा गया हूँ चन्द हाथो कीहावी शाशन के चाबुक का शिकार रहने दो !! बहुत भटका हूँ दर बदर पहन ईमान का चोला बदले में मिला कटु नजरो का त्रिस्कार रहने दो !! बिक

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लाज बचा ले मेरे वीर .............

28 फरवरी 2017
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लाज बचा ले मेरे वीरक्यों वेदना शुन्य हुई क्यों जड़ चेतन हुआ शरीरअस्तित्व से वंचित हुआ कँहा खो गया शूरवीरनही सुनी क्या चीत्कार क्यों सोया है तेरा जमीरपुकार रही तुझे धरती माता लाज बचा ले मेरे वीर – १न ले पर ीक्षा अब मेरे धैर्य की बहुत हुआ अत्याचारसहनशीलता दे रही चुनौत

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मन की बाते

2 मार्च 2017
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आवश्यक सूचना (यह राजनितिक हालातो के परिपेक्ष्य पर लिखी गयी है इसका किसी व्यक्ति विशेष से कोई सम्बन्ध नहीं है )(मन की बाते)कभी जनता को मन की बातों से बहला रहे है ।कभी दुनिया को धन की बातों में टहला रहे है ।।क्या कहे शख्सियत वतन वजीर-ए-आला की।भाई सरीखे को भी रेनकोट में

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हम बच्चे मस्त कलंदर

7 मार्च 2017
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हम बच्चे मस्त कलंदर एक मुट्ठी में सूरज का गोलाएक में लेकर चाँद सलोना खेल ने निकले हम अम्बर पेकरके सितारों का बिछोना !हम बच्चे है मस्त कलंदर, काम है हँसना रोना !!बिना पंख के हवा में उड़तेअड़यल तूफानों से लड़तेबादलो के बिस्तर करकेआता है हमको सो

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रावण बदल के राम हो जायेंगे

14 मार्च 2017
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खुली अगर जुबान तो किस्से आम हो जायेंगे।इस शहरे-ऐ-अमन में, दंगे तमाम हो जायेंगे !!न छेड़ो दुखती रग को, अगर आह निकली ! नंगे यंहा सब इज्जत-ऐ-हमाम हो जायेंगे !!देकर देखो मौक़ा लिखने का तवायफ को भी ! शरीफ़ इस शहर के सारे, बदनाम हो जायेंगे।।दबे हुए है शुष्क जख्म इन्हें दबा ही

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दोहे

23 मार्च 2017
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दोहेमोल तोलकर बोलिये, वचन के न हो पाँव !कोइ कथन बने औषधि, कोइ दे घने घाव !!………..(१)दोस्त ऐसा खोजिये, बुरे समय हो साथ !सुख में तो बहुरे मिले, संकट न आवे पास !!……..(२)संगती ऐसी राखिये, जित मिले सुविचार !झूठा सारा जग भया, सुसंगत तारे पार !! ………(३)विद्या मन से पाइये,

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सत्ता कितनी प्यारी

28 अप्रैल 2017
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सत्ता कितनी प्यारीमेरे देश के हुक्मरानो को सत्ता कितनी प्यारी हैरोज़ मरे मजदूर किसान सैनिको ने जान वारी हैआदि से अंत तक का इतिहास उठाकर देख लो कब किसी प्रधान ने की इसके निवारण की तैयारी है !!डी के निवातिया

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वो हमारे सर काटते रहे

3 मई 2017
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वो हमारे सर काटते रहेहम उन्हें बस डांटते रहे !!वो पत्थरो से मारते रहेहम उन्हें रेवड़ी बाटते रहे !!लालो की जान जाती रहीहम खुद को ही ठाटते रहे !!माँ बहने बिलखती रहीनेता जी गांठे साँठते रहे !!जान हमारी निकलती रहीहम धैर्य को अपने डाटते रहे !! राजनीति का खेल

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कैसे मुकर जाओगे

24 मई 2017
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कैसे मुकर जाओगे+++ *** +++यंहा के तो तुम बादशाह हो बड़े शान से गुजर जाओगे ।ये तो बताओ खुदा कि अदालत में कैसे मुकर जाओगे !! चार दिन की जिंदगानी है मन माफिक गुजार लो प्यारे।आयेगा वक्त ऐसा भी खुद की ही न

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गाथा एक वीर की

29 जुलाई 2017
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रचना के पूर्ण रसास्वादन के लिए कृपया पूरा पढ़े …!गाथा एक वीर की******************बहुत सुनी होंगी कहानिया रांझा और हीर कीआओ तुम्हे, आज सुनाये, गाथा एक वीर कीमर मिटते है जो, मातृभूमि पर हॅसते – हँसतेअँखियो में आंसू भरकर सुनाये गाथा वीर की !!सीमा पर शहीद होने की खबर जब घर आई

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काव्य रो रहा है

1 अगस्त 2017
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काव्य रो रहा है***साहित्य में रस छंद अलंकारो का कलात्मक सौंदर्य अब खो रहा है।काव्य गोष्ठीयो में कविताओं की जगह जुमलो का पाठ हो रहा है ।हास्य के साथ व्यंग की परिभाषा अब इस कदर बदल गयी है ।हंस रहे है कवी स्रोता सभी नये सृजन के अभाव में काव्य रो रहा है ।।***डी के निवात

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मै हिंदी

20 सितम्बर 2017
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नमस्कार........मै हिंदी हूँमेरा दिवस के रूप में उत्सव मनाकर सम्मान देने के लिये आपकी आभारी हूँ वैसे मुझे किसी दिवस की आवश्यकता नहीयदि वास्तविक रूप मेंमुझे सम्मान देना चाहते होतो मुझेह्रदय से अपनाकरअपनी वाणी मेंसमाहित करसदैव के लिएअपने कंठ और जिह्वाको समर्पित कर दोमै सदैव आपकीभाषा बनकरआपके कार्

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दो बहनो का मिलन – वार्ता – (हिंदी अंग्रेजी)

23 सितम्बर 2017
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दो बहनो का मिलन – वार्ता – (हिंदी अंग्रेजी) !दरवाजे पर ..दस्तक होती है ….डिंग-डोंग …डिंग-डोंग ..डिंग-डोंग …डिंग-डोंग ..हू इस आउट साइड ऑन द डोर …..(अंदर से आवाज आई)जी …..जी मै….मै हूँ हिंदी …….!आपसे मिलने आई हूँ !ओह….. वेल … !यू आर ……कम इन …!प्रणाम ….अंग्रेजी बहन ………!(हिंदी बोली)वेलकम म

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काहे भरमाये

20 फरवरी 2018
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काहे भरमाये***काहे भरमाये, बन्दे काहे भरमायेनवयुग का ये मेला हैबस कुछ पल का खेल ा हैआनी जानी दुनिया केरंग मंच पे नहीं तू अकेला हैमन मर्जी से सब चलते जब,फिर तू ही, काहे घबराये, बन्दे काहे भरमाये !!कहने को सब साथ साथ हैनहीं किसी के कोई ह

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आँगन

7 अप्रैल 2018
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फूलों और कलियों से आँगन सजाना भी है,कीचड और काँटों से दामन बचाना भी है,महकेगा चमन-ऐ- गुलिस्तां अपना तभी,हर मौसम की गर्दिश से इसे बचाना भी है !!डी के निवातिया

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तेरी नज़रो में

26 जून 2019
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विषय : लेखन विधा : ग़ज़ल /गीतिका शीर्षक : तेरी नज़रो में तिथि : २६/०६/२०१९ तेरी नज़रो में मेरी कीमत रही कुछ ख़ास नही,इसलिए मैं आता तुम्हे अब ज़रा भी रास नही ।संग में जिए होंगे कुछ पल कभी तो ख़ुशी के,पलट के देख जिंदगी इतनी भी तो उदास नही ।नफरत का नकाब उतार गौर से देख कभीक्या

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सोचा न था

23 सितम्बर 2019
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सोचा न था !एक रोज़ इस मोड़ से गुजरना पड़ेगा, जिंदगी को मौत से यूँ लड़ना पड़ेगा,चलते चलते लड़खड़ायेंगे पग राहो में गिरते गिरते खुद ही सम्भलना पड़ेगा !!!डी के निवातिया

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