नई दिल्लीः बिहार में महागठबंधन की सरकार से अलग होकर बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने के जेडीयू के फैसले से नाराज चल रहे पार्टी के वरिष्ठ नेता शरद यादव नई पार्टी बना सकते है. मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक नीतीश के बीजेपी के साथ जाने के फैसले पर दुख जाहिर कर चुके पूर्व जेडीयू अध्यक्ष शरद यादव का नया राजनीति क मोर्चा कांग्रेस नीत यूपीए गठबंधन का हिस्सा होगा. मीडिया में चल रही इन खबरों पर शरद यादव के करीबी माने जाने वाले जेडीयू नेता विजय वर्मा ने बताया कि शरद जी ने इस संदर्भ में बिहार राज्य यूनिट के कई पदाधिकारियों से भी बात की है.
विजय वर्मा ने इसी सप्ताह में शरद की नई पार्टी या राजनीतिक मोर्चे की घोषणा होने की तरफ इशारा किया. आपको बता दें कि शरद यादव की नाराजगी को लेकर नीतीश कुमार गुट के संजय सिंह ने कहा था कि "शरद जी हमारे वरिष्ठ नेता हैं, लेकिन अगर वे अलग राह पर जाना चाहते हैं तो वे ऐसा करने के लिए स्वतंत्र है'
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अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी नीतीश कुमार ने जेडीयू के वरिष्ठ नेता की नाराजगी और देश के कई राज्यों की जेडीयू यूनिट के नेताओं के इस्तीफे पर साफ कर दिया था कि जेडीयू बिहार की पार्टी है. बिहार में जो है वो ठीक है. बाकि कहीं क्या हो रहा है इसका जेडीयू से कुछ लेना-देना नहीं है. आपको बता दें कि शरद यादव ने नीतीश के फैसले को गलत बताते हुए इसे जनता से करार तोड़ना बताया था.
शरद यादव में बिहार में बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने के नीतीश कुमार के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा है कि वो इससे समहत नहीं थे. उन्होंने कहा कि बिहार में जनादेश इसके लिए नहीं था. महागठबंधन के टूटने के बाद से ही यह कयास लगाया जा रहा था कि शरद यादव नीतीश के फैसले से खुश नहीं हैं. लेकिन उन्होंने अब तक कुछ भी खुलकर नहीं बोला था. इस बीच उनके घर पर विपक्ष के कई नेताओं का आना-जाना लगा रहा.
नीतीश कुमार की बढ़ सकती हैं मुश्किलें
उच्चतम न्यायालय ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की विधान परिषद की सदस्यता रद्द करने की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के लिये मंगलवार को सहमत हो गया. याचिका में कुमार पर कथित तौर पर लंबित आपराधिक मामला छिपाने का आरोप लगाया गया है. न्यायमूर्ति दीपक मिश्र, न्यायमूर्ति अमिताव रॉय और न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की पीठ ने याचिकाकर्ता अधिवक्ता एम एल शर्मा के मामले की तत्काल सुनवाई के अनुरोध पर कहा कि वह इसे देखेगी. पीठ ने कहा कि वह देखेगी कि मामले को सुनवाई के लिए कब सूचीबद्ध किया जा सकता है