हम चलते है , हम गिरते है,
पर फिर भी आगे बढ़ते है।
जो दर्द मिला सफर में
वो घर बैठा इंसान क्या जाने।
हम आते है , हम जाते है,
हम सबसे हाथ मिलाते है।
जो प्यार इस दुनिया में
वो घर बैठा इंसान क्या जाने।
हम हिंदी बोले, वो कोकण बोले,
फिर भी अर्ध रात्रि में मीठे नगमे गाते है।
जो अहसास मिला इस जंगल में
वो घर बैठा इंसान क्या जाने