कभी कभी
दुनिया के शोर से अलग
ख़ुद से बातें करना अच्छा लगता है
दीन दुनिया की परवाह किए बिना
अपने ख़यालों को पंख देना अच्छा लगता है
कहाँ से आया, कहाँ जाना है, के बारे में सोंचें बिना
कहाँ हूँ, उस पर ग़ौर करना अच्छा लगता है
कौन ख़ुश है कौन दुखी, को जाने बिना
अपनी संतुष्टि अपनी ख़ुशी के बार में
सोंचना, अच्छा लगता है
कभी कभी मुझे ख़ुद से बातें करना अच्छा लगता है
२५ जुलाई २०१७
अबुज़ा