सेना ने आतंकियों के खिलाफ अपनी स्ट्रेटजी बदल दी है. मेन टारगेट पर अब आतंकी गुटों के सरगना हैं. सेना एक-एक करके सबको निपटाने में लगी है. शुरुआत 2016 में हिजबुल मुजाहिद्दीन के कमांडर बुरहान वानी से हुई थी. उसकी जगह दूसरा कमांडर आया सबजार भट्ट. सेना ने उसे खत्म करने में भी देर नहीं की. इसी तरह लश्कर के दो कमांडरों को सेना बैक टू बैक निपटा चुकी है. पहले अबू दुजाना और अब ताजा शिकार बना है उसकी जगह लेने वाला अबू इस्माइल. सेना के इस ऑपरेशन से इन आतंकी संगठनों की चूलें हिल गई हैं. बड़ी बात नहीं कि कुछ दिन में आतंकी कमांडर बनने से डरने लगें. सेना इस साल करीब 58 आतंकियों को ठिकाने लगा चुकी है. कमांडरों के खात्मे के इस ऑपरेशन पर एक नजर-
अबू इस्माइल का फोन ही बना उसका काल
अबू दुजाना के खात्मे के बाद अबू इस्माइल लश्कर ए तैयबा का कमांडर बना था. अबू दुजाना के खात्मे से बौखलाए लश्कर ने 10 जुलाई 2017 को अमरनाथ यात्रियों की एक बस पर हमला कर दिया था. इसमें सात लोगों की मौत हो गई थी. अबू इस्माइल ही इसका मास्टरमाइंड था. वो 15 अन्य आतंकी वारदातों में भी शामिल रहा था. पिछले दिनों जो बैंकों में लूटपाट के मामले सामने आए थे, उसमें भी इसी का हाथ था.
अबू इस्माइल का पता लगाने में सेना की मदद की जम्मू कश्मीर पुलिस ने. पुलिस की टेक्निकल सेल काफी दिनों से इस्माइल का फोन ट्रैक कर रही थी. 14 सितंबर को उसने सेना को इनपुट दिया और सेना ने उसे नौगाम में ढूंढ निकाला और 72 हूरों के पास ट्रांसफर कर दिया. उसे और उसके एक साथी आतंकी अबू कासिम को खत्म करने में सेना को 30 मिनट भी नहीं लगे. सेना के लिए ये एक बड़ी कामयाबी है.
अबू दुजाना जिस घर में था, सेना ने उसे ही उड़ा दिया था
अबू इस्माइल से पहले लश्कर ए तैयबा का कमांडर अबू दुजाना ही था. 2015 में अबू कासिम के खात्मे के बाद वो कमांडर बना था. सेना के हाथ से वो 5 बार बचके निकल चुका था. मई में तो एक बार लोगों ने सेना पर पथराव कर दिया था तो दुजाना भाग निकला था. पर 1 अगस्त, 2017 को सेना ने सही इंटेलिजेंस इनपुट मिलने पर उसके खात्मे के लिए फूलप्रूफ प्लानिंग की. एक बार फिर ये ना भाग निकले, इसके लिए सेना ने पुलवामा के जिस मकान में वो छुपा था, उसे ही उड़ा दिया था. इस तरह उसकी कहानी भी खत्म हो गई थी.
पुलिस का कहना था कि 26 साल का दुजाना एक नंबर का अय्याश था. उस पर 15 लाख रुपये का इनाम भी था. वो नए आतंकियों की भर्ती करने के लिए भी जाना जाता था, इसलिए भी उसका खात्मा सेना के लिए महत्वपूर्ण था. पंपोर के सीआरपीएफ कैंप पर हुए हमले के पीछे यही मास्टरमाइंड था.
दिल टूटने के बाद आतंकी बना था सबजार भट्ट
बुरहान वानी के बाद हिजबुल मुजाहिद्दीन का कमांडर बने सबजार भट्ट ने अप्रैल 2013 में बंदूक पकड़ी थी. कहते हैं प्यार में धोखा खाने के बाद वो आतंकी बन गया था. दो साल में ही वो हिजबुल के टॉप आतंकियों में गिना जाने लगा था. मार्च 2017 में एक बार वो सेना के चंगुल से बच निकला था. तब त्राल में स्थानीय लोगों ने सेना पर पथराव कर दिया था.
27 मई, 2017 को सेना ने उसकी कहानी खत्म कर दी. सेना को खबर मिली थी कि वो पुलवामा के त्राल इलाके में छुपा है. सेना ने ऑपरेशन चलाया और उसके साथ ही उसके साथी फैजान को भी ढेर कर दिया. सबजार पर 10 लाख रुपये का इनाम था. उसने कश्मीर में कई सरपंचों की हत्या की थी. उसके मारे जाने के बाद से हिजबुल मुजाहिद्दीन की स्थिति डामाडोल है.
आतंकियों के पोस्टर बॉय बुरहान वानी के खात्मे से हुई थी शुरुआत
7 जून 2016 को एक वीडियो यूट्यूब पर अपलोड हुआ था. उसमें दिखा था एक 22 साल का आतंकी जो धमका रहा था कि जिसने भी कश्मीर में भारतीय कानून की बात की उसे मौत के घाट उतार दिया जाएगा. उसमें वो सेना को सबसे बड़ा दुश्मन बता रहा था. सही ही बता रहा था क्योंकि हिजबुल के इस पोस्टर बॉय बुरहान वानी को 9 जुलाई 2016 को सेना ने मार गिराया था.
वानी के मारे जाने के बाद कश्मीर में काफी हिंसा भड़क गई थी. ये कई महीनों तक चली थी. पाकिस्तान भी इससे हमदर्दी जताने से खुद को नहीं रोक पाया था. पाक के पूर्व प्रधानमंत्री तो यूएन तक में उसको शहीद बताते हुए टेसुए बहाए थे. 15 साल की उम्र में ही बुरहान ने हथियार उठा लिए थे. वो युवाओं को आतंकी बनाने के लिए लुभाने में काम आता था. उस पर भी 10 लाख का इनाम था. सेना ने बुरहान को मारकर हिजबुल की कमर तोड़ दी थी. इसके बाद से ही सेना ने आतंकी संगठनों के कमांडरों को एक-एक कर निपटाना शुरू किया था.
अब 72 हूरों के पास जाने की बारी इनकी है
हिजबुल का नया कमांडर है रियाज नायकू.
रियाज नायकू: सबजार भट्ट की मौत के बाद रियाज नायकू को नया कमांडर बनाया था. इसे टेक सेवी बताया जाता है. ये हिजबुल का सबसे ज्यादा उम्र का जिंदा आतंकी है. अब इसे सेना की कार्रवाइयों का ही नतीजा मानिए कि रियाज सेकुलर चोला ओढ़े मिला. एक वीडियो में उसने कश्मीरी पंडितों को कश्मीर वापस आने के कहा था.
ज़ीनत बन सकता है लश्कर का नया कमांडर.
ज़ीनत उल इस्लाम : माना जा रहा है कि अबू इस्माइल के बाद लश्कर ए तैयबा की कमान जीनत को ही मिलेगी. 28 साल का ज़ीनत 2015 में लश्कर का हिस्सा बना था. शोपियां में सुरक्षाबलों पर हमले के पीछे इसी का हाथ था. इसे आईईडी बम बनाने का एक्सपर्ट बताया जाता है. अब इसकी भी उल्टी गिनती शुरू ही समझिए.
साभार: द लल्लनटॉप