मेरी हिंदी माँ
मेरी तो हर सांसे तेरी वजह से है,
फिर तेरे नाम एक दिन क्यों माँ,
मेरी हिंदी माँ।
मेरी तो हर रग रग में तुम ही समायी हो,
फिर तुम्हे एक ही दिन क्यों मनाऊ माँ,
मेरी हिंदी माँ।
मेरे जन्म से मरण तक तुम ही मेरी आत्मा हो,
फिर तुम्हारे लिए एक ही दिन क्यों माँ
मेरी हिंदी माँ।
मेरी तो लेख नी से वाणी तक तुम्हारा ही आशीष है माँ,
फिर कैसे तुम बिन कलम से आलिंगन कर पाऊं माँ,
मेरी हिंदी माँ।
मेरे तो सब रस ,छंद ,दोहे ,सोरठा,अलंकार सब तुमसे ही है साकार,
फिर कैसे भला मैं तुम बिन जी पाऊँ माँ,
मेरी हिंदी माँ।
मेरे जीवन का हर पल तुमसे ही,
मेरी लेखनी का सुहाग तुमसे ही,
मेरे शब्दों का निगोड़ापन भी तेरा,
मेरी पंक्तियों के रसपान भी तेरा,
फिर मैं तुम्हे एक दिन क्यों मनाऊ,
तुझे जो छोड़ू तो मै न जी पाऊं,
मेरी माँ
मेरी हिंदी माँ।।
-प्रतिमा_दीक्षित_"अप्रतिम"
-अंकित_शुक्ला_"प्रीत"