आज नवरात्रि का पहला दिन माता शैलपुत्री की उपासना का दिन।
आज से माता के भक्त नवजोत जला कर माता के नो दिनों के व्रत करेंगे । उपवास या अर्ध उपवास करके माता की भक्ति पुझा में मन रामाएँगे।
कभी विचार किया कि , कियूं नवरात्रि वर्ष में दो बार आती है और दोनों बार ऋतु परिवर्तन की मध्य वेला होती है अर्थात एक ऋतु जा रही होती है एवं दूसरी आरम्भ होती है।
और दोनों ही परिवर्तन में हमारे शरीर को भी स्वयं को उसके अनुसार बनाना होता है। और उस क्रिया में हमारा सहायक है उपवास, इसी लिए ये 9 दिन हमारे पूर्वजों ने हमे उपहार दिए हैं।
ये तो हुआ वैज्ञानिक दृष्टिकोण।
अव आधात्मिक दृष्टिकोण ये है कि हमारे मन आत्मा और शरीर ये तीनो तीन गुणों -रजगुण, तम गुण, एवं सतगुण। पर आधारित है।
और ये 9 दिन हमे मिलते हैं कि हम 3 -3 दिन में अपने इन गुणों को अपने मनपर अधिकार करने से रोकने में सक्षम हो जाएं , या हम इन तिरगुणो का शमन कर अपने मन को शांत और आत्मबल को सबल बना सकें । और उसमें हमे सहायक है उपवास।
9 दिन में तीन गुण का शमन ,, किउंकि हमारी इन्द्रिय हैं 10 जिनमे 5 ज्ञानेन्द्रियाँ और 5 कर्मेन्द्रियाँ।
ओर इनका स्वामी है हमारा मन ,,
जरा सोचिए 10 इंद्रियों का स्वामी अर्थार्त दशमुख अर्थार्त कोन??
आउर हम हर वर्ष नवरात्रि की समाप्ति करके दशहरा मानते हैं।
दशहरा अर्थात दस गुणों को हरा देने का पर्व।
किन्तु क्या हम वास्तविक दशमुख का दामन कर पाते हैं
जरा सोचिए,,,,,