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कविता देशभक्ति

3 अक्टूबर 2017

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बंगभूमि की शाखाओं पर बगदादी की आरी हैये भारत में होने वाले हमलों की तैयारी हैहिन्दुस्तां पे संकट है और संकट हर हिन्दू पर हैआतंकवाद का जलस्तर भी अब खतरे से ऊपर हैभगवा पर काले रंग का परचम लहराने वाला हैऔर सुना है ISIS भारत आने वाला हैलगता है उनकी मृत्यू ही उन्हें यहाँ ले आई हैउनको शायद ज्ञात नहीं शम्भाजी की तरुणाई हैइस धरती का छोटा बालक ही सुरज को निगल गयाभागीरथ के तप से तपकर यहाँ हिमालय पिघल गयामहाकालिका के भय से दानव दल भी छँट जाता थाऔर अंजना माँ के पय से पर्वत भी फट जाता थाअरे शेरनीकी नस्ले सियार नहीं पैदा करतींभारत माता बेटो को गद्दार नहीं पैदा करतींकभी भेड़ियों की ताकत से चीते नहीं मरा करतेहरहर बमबम जपने वाले बम से नहीं डरा करतेजिनकी नस में रक्त नहीं बस भारत से गद्दारी हैउन जयचंदो को फाँसी लटकाने की तयारी हैेISIS के लोगों से मिलना जुलना बंद करोगीदड़ के वंशज होकर शेरों से तुलना बंद करोअरे ओखली में खुद ही अपना सर देने निकले होभरतवंश के पानी से तुम लोहा लेने निकले होयाद रहे अबकी हिन्दू भी रूप काल का धारेगादस औरंगजेब को केवल एक शिवाजी मारेगाअरे ईंट के आगे है अब पत्थर का अंदाज खड़ागौरी के सम्मुख अबकी है निष्ठुर पृथ्वीराज खड़ासौवीं गलती होने पर तेरी धड़कन ठहरा देंगेंआईएस के काले झंडे पर हम भगवा लहरा देंगेधरती माता के कारण हम शांत शांत जी सकते हैलेकिन हिन्दू तो अंजुलि में सागर भी पी सकते हैंसर पर भगवा और हाथों में महाराणा का भाला हैइस माटी में जन्मा बेटा माटी का रखवाला हैजिन्दा वापस जानें की अभिलाषा न इस बार रहेआईएसआईएस भारत भू से जाने को तैयार रहेवरना हम बेटे माता को एक नया गहना देँगेबगदादी का शीश काटकर काली को पहना देंगेंबगदादी का शीश काटकर काली को पहना देंग
Brij Bihari

Brij Bihari

बहुत खूब

3 अक्टूबर 2017

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