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कृष्ण की कल्पना

18 नवम्बर 2017

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कृष्ण की कल्पना

"मुझे जिसकी तलाश है
वो मुझसे दूर है या कही आसपास है
कब से उसका इंतजार है मुझे
कभी लगता पूरी हो गयी है
कभी लगता अधूरी अभी तलाश है
तन्हाई में अक्सर यही सोचता हूँ
आखिर वो कैसी होगी
क्या मेरी कल्पना के जैसी होगी
वो होगी सूरज के उजाले की तरह
या होगी चांदनी रात की तरह
सोच के जिसे दिल झूम जाता है
क्या होगी वैसी बात की तरह
नहीं जानता वो कैसी होगी
पर फिर भी उसके बारे में लिखता हूँ
मेरी कविता में मेरे शायरी में
मै उसका ही चेहरा देखता हूँ
फिर सोचता हूँ अच्छा है जो अधूरी ये तलाश है
मेरी कलम के रूप में सही पर वो मेरे पास है"
article-image✍️@कृष्ण

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कृष्ण की कल्पना

18 नवम्बर 2017
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कृष्ण की कल्पना "मुझे जिसकी तलाश हैवो मुझसे दूर है या कही आसपास हैकब से उसका इंतजार है मुझेकभी लगता पूरी हो गयी है कभी लगता अधूरी अभी तलाश है तन्हाई में अक्सर यही सोचता हूँआखिर वो कैसी होगी क्या मेरी कल्पना के जैसी होगीवो होगी सूरज के उजाले की तरहया होगी चांदनी रात की तरहस

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नारी ही तो है-1

2 दिसम्बर 2017
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नारी ही तो है-1"सृष्टि का सृजन है वो, मातृत्व की अधिकारी ही तो है नारी ही तो है,पैदा किया, पाला और बड़ा किया, घुटनो से चलना सिखाया और पैरों पे खड़ा किया,तन का उसने खून सुखाया,स्तन से उसने दूध पिलाया,सर्द हवाएं झेली उसने,गर्मी का हमे अहसास कराया,दूध पिया हमने उसका,तब जाकर हम मर्द बने,फिर भी दर्द दिया उ

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