बेफिक्र,एक महोदया की कहानी,
जिंदगी तो हर हाल में है सुहानी.
कुछ मोहरे तो परखे जा चुके हैं ,
कुछ चालें अभी भी हैं आजमानी .
अनुशासन का ये अध्भुत खेल है ,
पनपती नहीं है यहां पर मनमानी.
दुःख सुख का ये बेजोड़ किला है ,
दीवारें जिसकी हौसलों से बनानी .
समय का सदुपयोग इसको भाता ,
औरों के लिए ये कहलाती बेगानी.
सभी इस को जीतने की धुन में हैं ,
खिलाडी वही जिसने हार न मानी .