shabd-logo

एक चिंगारी पुरे जंगल को राख के ढेर में बदल देती है

11 दिसम्बर 2017

185 बार देखा गया 185

एक कहावत है, नाच न जाने, आंगन टेढ़ा. इस कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं कुछ तथाकथित हिन्दू संगठन और उनके नेतागण. एक निहत्थे, कमजोर और बेबस इन्सान को एक हथियारबंद इन्सान पीछे से वार करके बहुत ही निर्दयता से मार देता है और उसपर बेशर्मी देखिये कि उसका विडियो भी बना लेता है और दुहाई देता है तथाकथित लव-जिहाद की. लव-जिहाद के बारे में जब मैंने इन्टरनेट से जानकारी ली तब मालूम हुआ कि लव जिहाद का अर्थ है कि एक समुदाय विशेष के लोग एक दुसरे धर्म की लडकियों और महिलाओं को अपने प्रेमजाल में फंसाकर उनके साथ शादी कर लेते हैं और फिर उनको अपना धर्म अपनाने के लिए मजबूर करते हैं, इंकार करने पर या तो उन लड़कियों को तलाक दे दिया जाता है या फिर बेच दिया जाता है. अब सवाल ये उठता है कि इसे लव-जिहाद क्यों कहा जाता है? क्योंकि लव का अर्थ है प्रेम, मोहब्बत या प्यार, जो कि कोई भी कर सकता है और किसी से भी कर सकता है. दूसरी बात ये है कि प्रेम तो दोनों तरफ से होता है, एक तरफा प्रेम तो कोई मायने ही नहीं रखता. और जब बात शादी तक पहुँच जाती है तब तो इसका सीधा अर्थ है कि उसमें लडकी और उसके घरवालों की रजामंदी है, और यदि लड़की बालिग़ है तो फिर उसकी खुद की मर्जी ही काफी है. शादी के बाद तो लडकी खुद ही अपने पति के धर्म को मानने लगती है. उसके लिए उसे मजबूर करने वाली कौन सी बात है? समाज क्या कहता है ये कोई मायने नहीं रखता क्योंकि शादी के लिए कानून केवल इस बात को देखता है कि लड़का-लडकी बालिग हों और दोनों की रजामंदी हो. अब एक दूसरा शब्द है जिहाद. वास्तव में आम आदमी जिहाद को केवल इस्लाम की प्रोपर्टी समझता है. उसे लगता है की जिहाद केवल इस्लाम को मानने वाले ही करते हैं. जबकि सच तो ये है कि जिहाद हर कोई कर सकता है और करता है. हिन्दू धर्म में भी जिहाद हुआ है. जब श्रीराम ने अपनी पत्नी यानि माता सीता को महाराज रावण से छुड़ाया था तो वो एक जिहाद ही तो था. और जब पांडवों ने अपने अधिकार के लिए महाभारत लडा था तो वो भी जिहाद था, जब श्रीकृष्ण ने कंस के अत्याचारों से दुखी हो चुकी जनता को कंस से मुक्ति दिलाई थी तो वो भी जिहाद था. जब महात्मा गाँधी ने नमक आन्दोलन छेड़ा था तो वो भी जिहाद था. जब देश को आजादी दिलाने के लिए क्रान्तिकारियो ने जंग लड़ी और कुर्बानियां दीं तो वो भी जिहाद था. एक छात्र जब परीक्षा की तय्यारी करता है तो वो भी जिहाद है. एक स्टूडेंट जब आईएएस कि तय्यारी करता है तो वो भी जिहाद है. सीमा पर खड़े जवान भी तो अपने देश के लिए जिहाद ही कर रहे हैं. जो कश्मीर में सेना के जवान आतंकवादियों से लड़ रहे हैं वो भी जिहाद ही तो है और जो आतंकवादी कश्मीर को पाने के लिए लड़ रहे हैं वो भी जिहाद है. जिहाद पर किसी धर्म विशेष या व्यक्ति विशेष का पेटेंट नहीं है. हर वो शख्स जिहादी है जो अपने एक लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एकाग्र होकर संघर्ष करता है. इसमें मुसलमान कहाँ से बीच में आ गया. लव-जिहाद का अर्थ हुआ कि कोई शख्स अपने प्यार को पाने के लिए जिहाद करे. जैसे मजनू ने लैला के लिए किया था, हीर ने राँझा के लिए किया था. अब इसमें मुसलमान या हिन्दू की क्या भूमिका है? मुस्लिम लड़का किसी दुसरे धर्म की लडकी से शादी कर रहा है तो लव-जिहाद? और अगर कोई हिन्दू लड़का किसी दुसरे धर्म की लडकी से शादी कर रहा है तो फिर उसे आप क्या कहेंगे? दिल पर क्या बस है. नींद न देखे टूटी खाट और इश्क न देखे जात-पात. जो लोग ये कहते हैं कि धर्म परिवर्तन हो रहा है, तब वो जरा ये बताएं कि धर्म परिवर्तन के मुद्दे पर एक बिल भूतपूर्व मोरारजी देसाई साहब लाये थे, मोदी जी क्यों नही ला रहे? केंद्र में बीजेपी की पूर्ण बहुमत से सरकार है, क्यों नहीं धर्म परिवर्तन पर रोक लगाई जा रही? क्यों नहीं धरम परिवर्तन पर रोक लगाने संबधी एक बिल संसद में लाया जाता? क्यों नहीं बीजेपी लव-मैरिज पर प्रतिबन्ध लगा देती? अगर वो लव-जिहाद कर भी रहे हैं, तो आप भी कोई प्रेम-युद्ध शुरू कर दो, आप को क्या दिक्कत है? आप भी ऐसे ही शादी करो और धरम परिवर्तन करा दो, या घर वापसी करा दो. अगर वो अपने धर्म के प्रति कट्टर हैं तो आप उनसे भी ज्यादा कट्टर हो जाओ. वो दाढ़ी बढ़ा रहे हैं आप चोटी बढ़ा लीजिये, वो कुरता-पायजामा पहनते हैं तो आप भी धोती-कुरता पहन लीजिये. वो टोपी पहनकर घूमते हैं आप तिलक लगाकर घूमिये. कौन रोक रहा है? आप भी तो अपने धर्म का प्रचार कीजिये. लेकिन दूसरों को उनका धर्म मानने से क्यों रोकना चाहते हैं. दुसरे की लकीर को छोटा करने के लिए उसकी लकीर को मिटाना कौन सी अक्लमंदी है? अलबत्ता उसकी लकीर को छोटा करने के लिए अपनी लकीर को बड़ा करना समझदारी है. महात्मा गाँधी को मारकर नाथूराम गोडसे साहब ने कौन सा परमवीर चक्र प्राप्त कर लिया था? उलटे जिन संगठनो ने उन्हें झाड़ पर चढ़ाया था उन्होंने खुद उनसे पल्ला झाड़ लिया. एक तरफ तो आप कमजोर को मार रहे हैं और दूसरी ओर एक कन्या इंटर कालेज में एक सपा नेता को उसकी टीम के साथ घुमा रहे हैं, और वो लोग वहां की नौजवान छात्राओं और अध्यापिकाओं के फोटो खींच कर whatsapp पर डाल रहे हैं. तब आपका धर्मप्रेम क्यों नहीं जागृत हुआ? तब आपने स्कूल प्रशासन से ये पूछने की जहमत गवारा क्यों नहीं की कि इस सपा नेता को कन्या इंटर कालेज में क्यों घुमाया जा रहा है. आपकी शवसेना और बदरंग दल कहाँ सो रहे थे? जो तथाकथित सेनाएं और दल वेलेंटाइन-डे पर बहन और भाई को साथ नहीं घुमने देते वो एक नौजवान सपा नेता और उसकी टीम को कन्या विद्यालय में पिकनिक मनाने से क्यों नहीं रोक पाए? इसका जवाब दीजिये. और कौन कहता है कि धर्म परिवर्तन जबरदस्ती किया जाता है. अगर ऐसा होता तो मैं क्यों नहीं मुस्लिम बन पाया? मेरे पिताजी जो कि एक मुस्लिम विद्यालय में ३२ साल तक अध्यापक रहे, और हमेशा जनेऊ धारण करे रहते थे, प्याज तक नहीं खाते थे, कट्टर आर्यसमाजी थे. वो क्यों नहीं मुस्लिम बन सके? उन्हें किसी ने मुसलमान क्यों नहीं बना दिया? अगर मुसलमान बनाना इतना आसान होता तो ६०० साल तक मुगलों ने राज किया उसके बाद भी आज तक मुसलमान अल्पसंख्यक ही रहा. वो बहुसंख्यक क्यों नहीं बन गया? हालाँकि मैं इस बात से इंकार नहीं कर रहा कि कुछ लोग उनमें भी जनूनी किस्म के हैं, लेकिन इधर भी तो वही हाल है. अपने धर्म को मानना और उसपर अडिग रहना कोई गलत नहीं है, मैं भी अपने धर्म के प्रति वफादार हूँ और हमेशा रहूँगा. लेकिन बिना वजह के प्रोपगंडा करना मेरी नजरों में मात्र एक मुर्खता है, एक बेवजह का जूनून है, एक सनक है जिसका कोई इलाज नहीं. ऐसे सनकी लोग समाज के लिए एक नासूर हैं जो धीरे-धीरे इस समाज को पंगु बना देंगे. ऐसे लोग चाहे किसी भी धर्म या सम्प्रदाय के हों, केवल जहर ही फैला सकते हैं. ये समाज में फ़ैल रहा वो कैंसर हैं जो अगर तीसरी स्टेज में पहुँच गया तो लाइलाज हो जायेगा. एक चिंगारी पुरे जंगल को राख के ढेर में बदल देती है. उसे बुझाने की कोशिश करो, उसको हवा मत दो.

ये मेरे खुद के विचार हैं, आपका इनसे सहमत होना या न होना जरूरी नहीं, अपने कटु शब्दों के लिए मैं क्षमा चाहूँगा. धन्यवाद. (इस लेख का कोई भी अंश अथवा सम्पूर्ण लेख प्रकाशित करने से हेतु लेखक की पूर्व अनुमति अनिवार्य है) - मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”

मनोज चतुर्वेदी शास्त्री की अन्य किताबें

1
रचनाएँ
sspeeth
0.0
हमारा प्रमुख उद्देश्य युवाओं को बौद्धिक, आध्यात्मिक और सृजनात्मक शिक्षा का वातावरण प्रदान करना और उनमें भारतीय एकता, अखंडता और संविधान के प्रति निष्ठा को मजबूत बनाने का प्रयास करना है . साथ ही भारतीय इतिहास,संस्कृति, सभ्यता और दर्शन को सही रूप में दुनिया के समक्ष प्रस्तुत करना है. - पंडित मनोज चतुर्वेदी " शास्त्री"

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए