सबसे बड़हन सवाल इ बा की केतना लोग आपन मईभासा
(भोजपुरी) के लेके एकजुट बा लो,
केतना लो क आपन अस्तित्व से मतलब बा , चाहे
केतना लो इ कह के निकल जाला की एकरा फेरा में पड़ के कऊनो खाए के मिले वाला बा .
अगर इहे बात झारखण्ड में रहेवाला बंगाली सोचले
रहतन सन त आज झारखण्ड के दूसरा भासा में उर्दू के साथे साथ बंगला ना शामिल भईल रहित . भोजपुरी भासा भासी से बहुत कम
लोग बंगाली के झारखण्ड में रहेला
एकरा बऊजुदो बंगाली के एकजुट के नतीजा ह की आपन
आन्दोलन से बंगाला के झारखण्ड के दूसरा
भासा के दर्जा मिल गईल . येही चीज के कमी हमनी के भोजपुरी भासा भासी (
यूपी,झारखण्ड,बिहार ) के लोग में बा .
हमनी के एकरा के नकार नईखी सन सकत .
पाकिस्तान आ बंगलादेस के मुदा के देखल जाव त इहे
बात सामने आवता की बंगाली मुस्लमान (पूर्वी पाकिस्तान) के एकजुट के चलते आज
बंगलादेस अलगा देस बा ,पाकिस्तान से हट के.
भारत से अलगा होला के बाद पाकिस्तान में बगंला
भासा के महत्व न दिहल जात रहे , पाकिस्तान सरकार के कहनाम रहे की हमनी के मुस्लमान
हाई त हमनी के खली उर्दू के लेके चले होई , इहे बात पूर्वी पाकिस्तान (बंगाली
मुस्लमान )के ठीक ना लागल उ लो के कहनाम रहे की हमनी के मातृभाषा बंगला ह भले हमनी
के मुस्लमान हाई बाकिर पाकिस्तान में उर्दू के सघे सघे बंगला के महत्व देबे होई ,
बाकिर पाकिस्तान एकरा के ना मनलस आ बंगाली मुस्लमान आपन अलगा
देश के गठन कईलन , आज उनकर अलगा पहचान बा . एगो
वेब साईट के जरिये हमरा इ पता चलल बा की भोजपुरी के सहायक भासा मगही से ही बंगला
भासा के जनम भईल बा . जब मगही से बंगला निकलल , उ समय में बंगला कईथी लिपि में
लिखल जात रहे , बाद में बंगला के अलगा लिपि के गठन भईल. आज सान से पश्चिम
बंगाल(भारत) अऊर बंगलादेस में आपन सान से परचम लहरावता . बाकिर अफ़सोस के बात इ बा
की भोजपुरी बसा भासी के एतना बड़हन तादाद होला के बावजूदो भोजपुरी के ओकर आपन पहचान
न मिल पावल . एकर सबसे बड़हन दोसी झारखण्ड,यूपी,बिहार के लोग बा. उ लोग आपन पहचान
के पहचान नईखे पावत . एतना बड संख्या में बिधायक आ संसद भोजपुरी भासा भासी क्षेत्र
में बा लो एकरा बावजूदो भोजपुरी के अस्तित्व के बारे में कबो आवाज नईखे उठवले लो
. फिल्म इंडस्ट्री भोजपुरी भासा के लोग तक पहुचावे में मुख्य
भूमिका निभावले बा , ताकी देस प्रदेश के लोग के दिमाग में ढुक पावे की भोजपुरी
जइसन भासा बा भारत में. इ चीज के सबसे जादे आगे बढ़ावे में मनोज तिवारी ‘मृदुल’ जी
के अहम् भूमिका बा . अब मनोज जी संसद
दिल्ली में बन गईल बाड़े एकरा से उनसे कुछ जादे आस बा की कुछ भोजपुरी के सन्दर्भ
में कुछु करिहे. एकरा से पाहिले
सत्रुधन सिन्हा पटना साहिब से संसद रहले बाकिर ओ समय में कांग्रेस सरकार भोजपुरी
के राजनिति मुदा बना के रख देहलस , सत्रुधन सिन्हा संसद में भोजपुरी के लेके आवाज
उठवले रहन बाकिर बिपक्षी दल के सांसद इ बात पर जोर न दिहल लो . नितीश सरकार में
बिनय बिहारी बिधायक , भोजपुरी के मामले में नितीश के जरिये कऊनो ठोस कदम ना उठवलं
, इ तरह के कलाकार खाली पईसा से मतलब राखे ला लो आ टीवी स्क्रीन पर जनता के उलू
बनावे खातिर भोजपुरी के पक्ष में बोले ला लो , अईसन कटेगरी में रवि किसन , पावन
सिंग , निरहुआ , जईसन बड नाव शामिल बा , इ लोग भोजपुरी के फईलावे के काम कम
भोजपुरी सिनेमा में फुहरपन(अश्लीलता) जादे भरले बा लो ,इ लोग में होर लागल रहे ला
की १ साल में के केतना जादे सनिमा बना सकता भले उ सनिमा में कऊनो कहानी होखे चाहे न होखे. बाकिर इ सबसे अलगा सोंच बा मनोज तिवारी जी के ,
उनकर साल में १ चाहे २ गो फिलिम आवेला उ
फिलिम फुहरपन से दूर रहेला .
जब इन्सान एकजुट होके कऊनो काम के करे ला त उ
काम आसन हो जाला , बाकिर इहा त खाली बड बने के चकर बा . हिंदी में असफलता के बाद
भोजपुरी फिलिम में नाव कमावे वाला लोग में रवि किसन सबसे पाहिले लऊके ले . जदी
हिंदी में उनकर अलगा पहचान रहित त उ भोजपुरी के पुछ्वो ना अईते , एगो हिंदी फिलिम
के प्रचार में खुद के अमिताभ बच्चन से बड़का बतवले रहले , जे इन्सान अपने के सबसे
ऊचा बनावे के चकर में रहता उ का एकजुट होके भोजपुरी खातिर काम करी ओकरा त दोसरा से
जलन बा.
फिलिम के बात में एगो अऊर बात सामने आवता की
महारास्ट्र में मराठी फिलिम के आगे बढ़ावे खातिर उहा के सरकार हर सनीमा हॉल में एक
शो मराठी फिलिम के अनिवार्य कर देले बिया , इ चीज भोजपुरी के सघे नईखे .
एहा जेतना बतकही भईल ओकरा से एकेगो नतीजा निकलता
की भोजपुरी भासा के बिकास में सबसे बड़हन रुकावट एकजुटता के कमी बा .