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ये हे भारत की अभिव्यक्ति

25 जनवरी 2018

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ये होती हें अभिव्यक्ति की आज़ादी ये आज जनता को सुप्रीमकोर्ट ने बता दिया की एक व्यक्ति की अभिव्यक्ति को पूर्ण करने के लिया सुप्रीमकोर्ट ने एक पूर्ण समाज या ये कहे पूरा हिन्दू समाज की ( भावनाओं को ठेस ) पहुचना अच्छा लगा आज उन सब को भी बहुत अच्छा लग रहा होगा जो ऐसा ही चाह रहे होगे आज भंसाली जी भी बहुत गोरवान्वित महसूस कर रहे होगे और कोर्ट में बेटे भारत के सर्वोचय न्यायधीशो को भी गोरव की अनुभूति हो रही होगी जिन्होंने बिना कुछ सोचे समझे निर्णय लिया देश के लाखो लोगों की भावनाओ को कुछ न समझा कुछ ऐसा कहे की एक करनी सेना को आधार बनाकर पूर्ण: हिन्दू समाज की भावनाओं को ध्यान न रखते हुए या उनकी भावनाओं की कद्र न की हो ये मेरे विचार से सही हें | और आज केंद्र सरकार को भी बड़ा अच्छा अनुभव हुआ होगा की हम लोगों की या हिन्दू समाज की भावनाओं की कोई कद्र नहीं करते बस हमें पैसों से मतलब हें चाहे वो अपनी संस्कृति या मान सम्मान, इतिहास, किसी समुदाय या जाति का अपना बनाया हुआ इतिहास हो जो वर्षो से उसे माँ के समान पूजता रहा हो उसको एक अभिव्यक्ति की तुक पर बाज़ार में नीलाम किया जाता हो ऐसे भारतीय सविंधान को में केसे मान लू की ये हर उस व्यक्ति, समुदाय, जाति, राष्ट्र के हर लोगों की भावनाओं की कद्र करता होगा जबकि भारत के सविंधान में लोगों की भावनाओ को सर्वपरी बताया गया हें और यहाँ की न्यायपालिका एक छोटे से शब्द से ये मान लिया जाता हें की यहाँ कहानी या पात्र काल्पनिक हें उनका इतिहास से कोई लेना देना नहीं हें जबकि कहानी वो ही हो पात्र का नाम वो ही हो बस फिल्म का नाम बादल देने से क्या उस पात्र, कहानी या इतिहास से जुड़े लोगों की भावनाओ का कोई न्याय नहीं होता कोई दलिल नहीं सुनी जाती उसकी आवाज़ को सरकारों द्वारा न्यूज़ चेनलो द्वारा दबाया जाता हो बार बार एक एक बात को हजारो बार बता कर न्यूज़ चैनल के माध्यम से बात को बढाया जाता हें | आज बहुत से लोगों को मालूम हो गया होगा की सविंधान क्या हें उसका केसे भारत में अनुशरण किया जा रहा हें अभिव्यक्ति के नाम पर भारत की न्यायपालिका, प्रशासन, सरकारे सविंधान का हवाला देते हें जो सविंधान का हनन करते हें अभिव्यक्ति के नाम पर देश की जन भावनाओं से खिलवाड़ किया जाता हें और जबकि में कल न्यूज़ चेनल पे जब वहा के पत्रकार से ये पूछा गया की भंसाली की फिल्म का 2 दिनों में कोर्ट में सुनवाई हो जाती हें और लोगों को महीनो बाद का समय मिलता हें तो वो पत्रकार यहाँ कहते हें की इस जगह हजारो करोड़ रुपए लगे होते हें इस लिए जल्दी सुनवाई हो जाती हें जिससे या समझा जाना चाहिए की जहा ज्यादा पैसे की बात होती हें वहा सविंधान जल्दी काम करता हें न्यायालय का और जहा पैसे नहीं वहा सुनवाई नहीं होगी या उसका कोई समय निश्चित नहीं होता की वो कब पूर्ण होगा ये सविंधान में कहा लिखा हें की जहा ज्यादा पैसे लगा होगा वहा जल्दी जल्दी काम होगा एक न्यूज़ चैनल कहता हें की ये देश के आतंकवादी हें इन्हें जेल में बंद कर देना चाहिए ये कुत्ते बन चुके हें इन्ही सरेआम मार देना चाहिए एक न्यूज़ चैनल में बहस होती हें जहा एक मूवी डायरेक्टर यह कहता हें की राजपूत समाज सब लोगों को तो जेल में डाल कर मारना चाहिए ये पागल हो गए हें में उनको भी धन्यवाद कहना चाहुगा की उन्होंने हम राजपूत समाज को आइना दिखाया की सब गलती आप की हें भंसाली की उनकी फिल्म में या कहानी में जो बताया उसमे कोई खराबी नहीं हें जबकि मैंने और भी चेनलो पर बहस सुनी वहा एक इतिहासकार जो की सेंसर बोर्ड की 9 लोगों में शामिल थे जिन्होंने फर्स्ट टाइम मूवी देखि वो इतिहासकार न्यूज़ चैनल पर चिल्लाता रहा की ये फिल्म गलत हें इसके बहुत सारे द्रश्य हमारे इतिहास को खंडित करता हें जिससे हिन्दू धर्म के मान सम्मान को एक आघात पंहुचा सकती हें उस पर भी हमारे न्यायलय का ध्यान नहीं गया जबकि वो तो सरकार या सेंसर बोर्ड द्वारा चुना गया मेम्बर था अरे हमने कब कहा आप हमारी वीरता का बखान करे हमारे गोरवशाली परम्परा को दिखाया जाये जो लोगों अच्छा व्यक्तित्व के होते हें जिनके विचार उच्च होते हें जिनका जीवन आदर्शो भरा हो किसी की मान मर्यादा हो उस समुदाय या जाति का पूजनीय हो उसे वो लोगों केसे फ़िल्मी रूपांतरण या नाचते हुए देख सकता हें जिसको वो जन्म से एक आदर्श रहा हो एक परपरा रही हो संस्कृति चली हजारो सालो से चली आ रही हो उसे दिखने की जरुरत नहीं होती वो भावनाओं के साथ भावो में विचारो में रहन सहन में एक अनुभूति प्रस्तुत करती हें और आज में कहता हु जो आज न्यूज़ चेनलो पर एक समुदाय या जाति का विरोध बता दिया गया हें उसकी एक न सुनी गई हो उसे एक आतंकवाद का नाम दे दिया गया हो उसे गुंडा कहना अच्छा हें लिकिन ये बात समझलो की जो चीज आज हो रहा हें वो कल भी इसी नाम से इन सब के साथ भी होगा जो आज चुप हें तब ये मत बोलना की ये क्या हो रहा हें | हम लोग सही में गलत हें रास्ते का अनुशरण कर रहे हें हम लोगों को अब सही रास्ते पर चलना होगा अपने आप को उस काबिल बनाना होगा जो आज हुआ वो कभी आगे न हो सके | जय भवानी |


नरेंद्र सिंह उमठ

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