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चलो तुम न लेटो,

9 फरवरी 2018

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चलो तुम न लेटो,

चलो तुम न लेटो,

आओ हम बैठ एक दूसरे को ताके,

बस अनन्त में बसी आंखों में झांके,

चलो तुम न लेटो,

हम तुम्हारे हाथों की बाह में चिड़िया वाला खेल खेले,

तुम्हारी कलाई को पकड़े ओर खुद से मिला के चले,

चलो तुम न लेटो

चलो तुम न लेटो,

आओ मेरे सामने बैठो,

अपने बालों को जूड़े से खोलो,

हम सहलाये उन्हें,

मखमली रेशो में अपनी उंगलिया फिराए,

कभी समेटे, कभी बिखेरे,

कभी जूड़ा बनाये,

चलो तुम न लेटो

चलो तुम न लेटो,

आओ मेरी गोद मे सर रखो,

और सुनो मेरी बेतरतीब शब्दो से बनी कविता एं,

सहलाओ मेरे सीने को,

महसूस करो मेरे उलझे, बिखरे शब्दो को

चलो तुम न लेटो।

चलो तुम न लेटो,

बस रख दो सिर मेरी जंघा पर,

सहला ले माथा तुम्हारा,

चुम ले गुलाबी गाल तुम्हारे,

छू ले काले रेशमी बाल तुम्हारे,

चख ले मदमस्त होठ तुम्हारे,

चलो तुम न लेटो।

चलो तुम न लेटो,

दिखाओ अपनी पाजेब हमे,

गिने उसके घुंगरू हम,

अपने हाथों से नचाये बजाए छन छन,

घुमाये, झुलाए खन खन,

हल्के से चुम ले,

शरारत करके तलवे में गुदगुदी कर दे,

फिर तुम हंसो खूब शर्माओ लजाओ,

चलो तुम न लेटो।


चलो तुम न लेटो,

आओ फिरा दे उंगली तूम्हारे घुटनो पर,

फिर पिंडली से लचकाते हुए तलवे तक ले जाये,

फिर तुम्हारी गुलाबी शर्मीली हंसी देख के,

और सुरसुरी बढाये,

ओर तुम्हे अहसासों के सागर में गोते लगवाए,

चलो तुम न लेटो।

चलो तुम न लेटो,

बस आईने ने देख के,

झुमके उतारो अपने,

फिर हम पीछे से परेशान कर तुम्हे,

तुम मना भी करो पर मना न करो,

तुम ठीक से बाल संवार,

हम बिगाड़ दे,

तुम अपने होठ दबा के गुस्साओ,पर गुस्साओ न,

तुम देख के जो शर्माती,

बस मेरे सीने में भर जाती,

चलो तुम न लेटो।


"अंकित_शुक्ला_प्रीत"

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सुंदर भावाभिव्यक्ति,...अंकित जी |

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प्रीत

3 अक्टूबर 2015
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अल्फाज के  मोती काम पड़ गए, बातो का  घरोंदा बनाने में अभी तो एक मुलाकात  ही मयस्सर हुई ह आगे क्या होगा इस ज़माने में ..................bus  प्रीत मिले 

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वो घर बैठा इंसान क्या जाने।

25 अगस्त 2017
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हम चलते है , हम गिरते है,पर फिर भी आगे बढ़ते है।जो दर्द मिला सफर मेंवो घर बैठा इंसान क्या जाने।हम आते है , हम जाते है,हम सबसे हाथ मिलाते है।जो प्यार इस दुनिया मेंवो घर बैठा इंसान क्या जाने।हम हिंदी बोले, वो कोकण बोले,फिर भी अर्ध रात्रि में मीठे नगमे गाते है।जो अहसास मिला इस जंगल मेंवो घर बैठा इंसान

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मेरी प्रीतम मुझमे बसी।

28 अगस्त 2017
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मेरी प्रीतम, मुझमे बसी,फिर भी मेरा मन ढूंढे।फिर भी मेरा मन ढूंढे।।मेरी प्रीतम, मेरी कस्तूरी,फिर भी मेरा मृग मन भटके।फिर भी मेरा मृग मन भटके।।मेरी प्रीतम, मेरा वेद पुराण,फिर भी मेरी गुरुवाणी अटके।फिर भी मेरी गुरुवाणी अटके।।मेरी प्रीतम, मेरी अनुसुइया,फिर भी मेरा उदर भूखा।फिर भी मेरा उदर भूखा।।मेरी प्र

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मेरी हिंदी माँ

19 सितम्बर 2017
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मेरी हिंदी माँमेरी तो हर सांसे तेरी वजह से है,फिर तेरे नाम एक दिन क्यों माँ,मेरी हिंदी माँ।मेरी तो हर रग रग में तुम ही समायी हो,फिर तुम्हे एक ही दिन क्यों मनाऊ माँ,मेरी हिंदी माँ।मेरे जन्म से मरण तक तुम ही मेरी आत्मा हो,फिर तुम्हारे लिए एक ही दिन क्यों माँमेरी हिंदी माँ।मेरी तो ले

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चलो तुम न लेटो,

9 फरवरी 2018
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चलो तुम न लेटो,चलो तुम न लेटो,आओ हम बैठ एक दूसरे को ताके,बस अनन्त में बसी आंखों में झांके,चलो तुम न लेटो,हम तुम्हारे हाथों की बाह में चिड़िया वाला खेल खेले,तुम्हारी कलाई को पकड़े ओर खुद से मिला के चले,चलो तुम न लेटोचलो तुम न लेटो,आओ मेरे सामने बैठो,अपने बालों को जूड़े से खोलो,हम सहलाये उन्हें,मखमली रेश

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मेरे तीज त्योहार

8 सितम्बर 2021
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<p>सब तीज त्योहार तुमसे हैं,❤️</p> <p>मेरे सारे मान मनुहार तुमसे हैं,💕</p> <p>इस परिवारिक मोतियों क

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