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यूनिवर्सिटी में वैलेंटाइन का ख़ुमार !!!

11 फरवरी 2018

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छूकर उसकी खुश्बू मेरे मन को ,

पागल कर गई आज |

पर मै भी पगला बेवजह ताकता रहा ,

और हो गई सांझ |

मन ने कहा नहीं आएगी वो आज ,

पर दिल भी कहा आने वाला था बाज़ |

कहा वो आएगी ज़रूर ,

चाहे उसे छोड़ना पड़े काम और काज |

सेमेस्टर का एग्जाम खत्म हो जायेगा आज ,

पर कैसे उससे कहू अपने दिल की बात |

की मै पहनाना चाहता हूँ ,

अपने मोहब्बत का ताज |

दिल है ज़ोरो से धड़क रहा ,

और साँसे है तेज |

चाहता हु की ये कविता ,

दू उसको भेज |

पर क्या मिलेगा जवाब ,

ये सोच कर घबराऊ |

पीछे हटू मै अब या ,

आगे बढ़ जाऊ |

कुछ भी हो जाए आज कह के रहूँगा ,

अपने दिल की बात |

चाहे मुझे मैजिक मै ही जाना पड़े ,

फैज़ाबाद तक उसके साथ |

फरवरी 14 तक कैसे करूँगा मै उसका इंतज़ार ,

पर कर भी क्या सकता हु, हु मै लाचार|

अभी मै बना ही रहा था मिलने का विचार ,

की वो चली गई कुमारगंज बाजार |

नीरज अग्रहरि ( न0दे0कृ0 प्रो0वि0वि0 )

रेणु

रेणु

युवा मन की स्वाभाविक कल्पना -- सुंदर !!!!!!

11 फरवरी 2018

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रचनाएँ
professorsab
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नमस्कार दोस्तों ! मेरा यह लेखनी उन सभी युवाओ को समर्पित है जो मेरी तरह इस आधुनिक युग मै अपनी भावनाओ को उकेरना चाहते है |
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ये जीवन आखिर क्या है ?

9 फरवरी 2018
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जीवन के सन्दर्भ में एक सुन्दर कविता ये जीवन आखिर क्या है ? इक सुन्दर कली या , इक सूखा कांटा |इक महकती बागवानी या ,इक गन्दा नाला | इक जवान सुन्दर युवती या ,इक कुपोषण का शिकार वृद्ध | इक उजड़ा हुआ घर या , इक जीवन समृद्ध |

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यूनिवर्सिटी में सेमेस्टर का मायाजाल !!!!!!!

10 फरवरी 2018
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ये सेमेस्टर का भी मायाजाल कम नहीं है , मिड गया तो फाइनल , फाइनल गया तो मिड आखिर ज़िंदगी क्या ये मिड और फाइनल मै ही सिमट कर रह गया है ? कभी कभी तो लगता है सब कुछ छोड़ छाड़ कर वही अपनी पुरानी स्कूल लाइफ को जीने लगूँ | जहा ना प्र

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यूनिवर्सिटी में वैलेंटाइन का ख़ुमार !!!

11 फरवरी 2018
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छूकर उसकी खुश्बू मेरे मन को ,पागल कर गई आज |पर मै भी पगला बेवजह ताकता रहा ,और हो गई सांझ |मन ने कहा नहीं आएगी वो आज ,पर दिल भी कहा आने वाला था बाज़ | कहा वो आएगी ज़रूर ,चाहे उसे छोड़ना पड़े काम और काज | सेमेस्टर का एग्जाम खत्म हो जाय

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जब करने लगे दाँत दर्द !!!

12 फरवरी 2018
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जब करने लगे दांत दर्द ,और बहने लगे हवा सर्द | जब सोना पड़े चटाई पर ,और रोना पड़े पढाई पर | जीवन हो जाये भागम भाग ,और एग्जाम भी आ जाये एकदम पास | जब मैगी पर रहना हो ज़िंदा ,तो नीरज भइया कैसे रहे चंगा | जब सारी दूध पी जाये बिल्ली ,और दोस

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ये ही है वो संगीत

22 फरवरी 2018
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इस्लाम धर्म की पुनर्परिभाषा : आज के समय की माँग

3 मार्च 2018
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आज विश्व तेजी से बदल रहा है और साथ ही जनसँख्या भी तेज़ी से बढ़ रही है, भारत पर भी इसका असर पड़ रहा है | आज की नया पीढ़ी पुरानी रूढ़िवादी मान्यताओं को तेजी से खत्म कर एक नए समाज का निर्माण कर रही है | आज के उदारवादी माहौल मै कट्टरवादी विचारधारा को किसी भी हाल मै बर्द

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आखिर कौन हूँ मै ? कोई बताओ

8 मार्च 2018
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कभी एक कवि ,तो कभी सिर्फ एक गुमनाम छवि हूँ मै | कभी एक अँधेरी रात ,तो कभी एक भयंकर बरसात हूँ मैं | कभी एक प्यारी मुस्कुराती शायरी ,तो कभी एक गुमनाम डायरी हूँ मैं |

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कैसे पास करें UPCATET की परीक्षा ......

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गांव की यात्रा पर कुछ लम्हें ||

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एक इश्क़ जो अभी हुआ नहीं ||

20 मई 2018
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'' एक सूरज जो अभी ऊगा नहीं , एक चंदा जो अभी डूबा नहीं | एक कुसुम जो अभी खिला नहीं , एक भौंरा जो अभी पराग चुना नहीं | एक मशाल जो अभी जला नहीं , एक मिशाल जो अभी बना नहीं | एक इश्क़ जो अभी हुआ नहीं

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अच्छा लगता है।

29 अप्रैल 2019
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