ओंकार तू ! निर्विकार तू !!
सृष्टि का पालन हार तू !
सदाशिव !स्वीकार करो नमन मेरा !
आत्म वैरागी -हे नीलकंठ !
तू आदि अनंत -- तू दिग्दिगंत !!
अव्यक्त ,अनीश्वर ,शशिशेखर !
शिवा,सोमनाथ ,संतों का संत !
विष्णुवल्लभ ,आत्मानुरागी-
हे सदाशिव !स्वीकार करों अर्चन मेरा !!
तू त्रिकालसृष्टा ! तू अनंत दृष्टा!
यूँ ही नहीं नाम महाकाल तेरा ,
मर्मज्ञ तू !सर्वज्ञ तू !
तुझसे क्या छिपा हाल मेरा ?
कर विकार- शमन -शुद्ध कर अंतर्मन ,
हे सदाशिव! स्वीकार करो वंदन मेरा !!
संसारीमैं , विकारी मैं !
प्रतिपल अधीर और अशांत ;
कर देना शांत ये मन प्रान्तर-
करना पुष्ट -ये प्राण क्लांत ;
दिगंबर तू !गंगाधर तू !
हे सदाशिव! स्वीकार करों पूजन मेरा !!
ओंकार तू ! निर्विकार तू !!
सृष्टि का पालन हार तू !
हे सदाशिव !स्वीकार करो नमन मेरा!!!!!!!!!!!!!!
सभी साहित्य मित्रों को महाशिवरात्री की शुभकामनायें |
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चित्र -- गूगल से साभार ------
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