shabd-logo

जब कभी मेरा मुझसे सामना होता है

26 फरवरी 2018

170 बार देखा गया 170
8
रचनाएँ
anilkumarsharma
0.0
कंगाल होता जनतंत्र
1

कंगाल होता जनतंत्र

26 अक्टूबर 2015
0
3
1

2

जातिवाद

26 अक्टूबर 2015
0
1
1

मेरा भारत इतिहास में अपवाद हैपहले भी जातिवाद थाआज भी जातिवाद हैपहले ब्राह्मणवाद थाअब दलितवाद हैअगड़ा और पिछड़ा हैएक विचित्र झगड़ा हैअल्पसंख्यक में बहुसंख्यकऔर बहुसंख्यक में अल्पसंख्यकशीरे में जलेबी की तरह गड़ा हैकड़ाही और छनौटा पड़ा हैभट्ठी सुलग रही हैकोई नयी आग लग रही हैहवा भी ठग रही हैआदमी से औवल  जात ह

3

जातिवाद

13 जून 2016
0
1
1

यह देश लगभग सत्तर साल का बच्चा हैकुछ पका  तो अभी कुछ कच्चा हैहमारी जाति का गुंडातुम्हारी जाति के गुंडे से अच्छा हैजनता जनता से कहती हैजनता जनता से सुनती हैमन ही मन बहुत कुछ गुनती हैअपनी जाति   अपना  जनादेश हैएक विचित्र बहुमत का सन्देश हैइसमें राधा और घनश्याम हैदुर्वासा और परशुराम हैशास्त्रों में ब्र

4

आज़ाद दुःख

14 अगस्त 2016
0
0
0

ऐ मेरे आज़ाद दुःखबुद्धिभोजियों के देश मेंअब तुझे क्या मिलेगालगता है इस  परिवेश से  कोई ज़मींन सरक रही हैहवाओं का रुख किधर हैनहीं पता किसी दिशा काअंत नहीं  काली निशा कासपनों की  तरह टूट जाती हैसुबह होते कितनी जिंदगीघर जैसा लगते हुए भीअब यहाँ कोई घर नहीं हैथक गए अब  सारे रास्तेबाकी कोई सफर नहीं हैकोल्हू

5

पोएट्री मनजमैंट

14 अगस्त 2016
0
2
0

अब बासी शब्दकोशों परफफूंद की तरह उगे छन्दों मेंउलझी हुई कविता दाद खाज की तरह खुजलाती हैअंतःवस्त्र खोलकरगुप्तांग दिखाती हैनंगे समय का यह नंगा सच हैऊलजलूल सी पुरस्कार में गच हैइस बंद समय में कुछ खुलता हैउद्देश्यहीन भी उद्देश्य में झूलता हैफाटक के बाद दरवाजादरवाजे  के बाद खिड़कीखिड़की के पल्ले बंद हैंकल

6

आज सत्तरवीं फसल कटी आज़ादी की

15 अगस्त 2016
0
0
0

आज सत्तरवीं फसल कटी आज़ादी कीजय बोलो महात्मा ग़ांधी कीकुछ बाढ़ पीड़ित कुछ सूखे मेंकुछ भरे पेट कुछ भूखे मेंकुछ माल काटते चाँदी कीआज सत्तरवीं फसल कटी  आज़ादी कीसब झंडे डंडे का खेल रहाकिसको कौन ढकेल रहाजन गण मन गण गाते गातेअब नौबत आ गयी धक्काबाजी कीआज सत्तरवीं फसल कटी आज़ादी कीकोई नंगा भूखा सोया हैसूखी आँखों

7

यह कौन सा कालखंड है

22 फरवरी 2018
0
1
0

गांव वाले मेरा गांव पूछते हैंशहर वाले मेरा शहर पूछते हैंजाति वाले मेरी जाति पूछते हैंधर्म वाले मेरा धर्म पूछते हैंदेश वाले मेरा देश पूछते हैंप्रदेश वाले मेरा प्रदेश पूछते हैंराष्ट्र वाले मेरा राष्ट्र पूछते हैंखुदा वाले मेरा खुदा पूछते हैंपार्टी वाले मेरी पार्टी पूछते

8

जब कभी मेरा मुझसे सामना होता है

26 फरवरी 2018
0
1
0

---

किताब पढ़िए