धारा 370 हमारे संविधान का एक महत्वपूर्ण अंग है यह धारा संविधान के 21वे भाग में समान्वित है जिसका शीर्षक है "अस्थायी, परिवर्तनीय और विशेष प्रावधान"

यह भारतीय संविधान कि एक विशेष धारा है जिसके द्वारा ‘जम्मू-कश्मीर’ राज्य को सम्पूर्ण भारत में अन्य राज्यों कि अपेक्षा कुछ विशेष अधिकार प्राप्त है I

हम सभी ने भारतवर्ष में जन्म लिया है, हम एक ऐसे राष्ट्र से है जहाँ स्वामी विवेकानंद जी जैसे महापुरुष ने जन्म लिया है I

एक ऐसे महापुरुष जिन्होंने अमेरिका और यूरोप जैसे दूर-दराज देशो में भारत को गौरवान्वित किया है I हम सब भारत माता के पुत्र है और हमें हिंदुत्व पर गर्व होना चाहिए I

यह अत्यंत चिंतन का विषय है कि भारत वर्ष का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू और कश्मीर को राजनेतिक विवाद का सामना करना पढ़ रहा हैI

ऐसे ज्वलनशील मुद्दे को लेकर सभी राजनितिक पार्टियों एवं राजनेतिक दलों को अपने व्यक्तिगत हित से ऊपर उठकर राष्ट्रिय हित के बारे में गहनता से विचार करके एक जुट होकर कोई निर्णायक फैसला ले जो सबके हित में हो, और भारत कि अनेकता में एकता को प्रदर्शित करें I

अब प्रश्न यह उठता है कि क्या विशेष दर्जा प्राप्त करके जम्मू कश्मीर भारत के अन्य राज्यों कि तरह विकासशील है, आंकड़े कहते हैं , नहीं |

धारा 370 के प्रावधान कुछ इस प्रकार है :-

संसद को जम्मू-कश्मीर मामले में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बताने का अधिकार है लेकिन किसी अन्य विषय में संविधानिक कानून को लागु करवाने के लिए केंद्र को राज्य सरकार का अनुमोदन चाहिए I

  • विशेष दर्जा प्राप्त राज्य जम्मू-कश्मीर पर संविधान कि धारा 356 लागू नहीं होती, इस कारण यहाँ आपातकाल में राष्ट्रपति शासन लागू नहीं होता I
  • संविधान कि धारा 360 जिसके तहत देश में वित्तीय आपातकाल लगाने का प्रावधान है, वह भी जम्मू-कश्मीर में लागू नहीं होती I
  • 1976 का शहरी भूमि कानून जम्मू कश्मीर पर लागू नहीं होता I

यह कहना गलत नहीं होगा कि धारा 370 हित में नहीं है और यह देश भक्ति के लिए घातक है I

सच्चाई तो यह है कि ज़्यादातर जम्मू-कश्मीर के लोगों को धारा 370 के बारे में बस इतना ही पता है कि कोई अन्य राज्य का व्यक्ति यहाँ पर ज़मीन नहीं खरीद सकता I

वह भी प्रेम और आदर के साथ रहना चाहते है I उन्हें भी भारत वर्ष से प्रेम है I अगर हम बात करें अलगाव की तो विशेषज्ञों का मानना है कि सिर्फ 2% लोग है जो अलगाव-वादी प्रवत्ति के है, लेकिन सिर्फ 2% लोग ही अपने अलगाववादी प्रवत्तियों से जम्मू कश्मीर को अलग-थलग कर देते है I

विभाजन के बाद जब काबुलियों ने कश्मीर को लेकर आक्रमण कर दिया तब राजा हरी सिंह ने जम्मू-कश्मीर का विलय भारत में करने का निर्णय लिया , सीमित समय के कारण अलग संविधान बनना संभव नहीं था, इसलिए जम्मू कश्मीर कि जनता को धारा 370 के तहत कुछ विशेषाधिकार दे दिए गए थे I जो कि इस प्रकार है :-

  1. जम्मू कश्मीर के नागरिको के पास दोहरी नागरिकता होती है I
  2. जम्मू कश्मीर का राष्ट्रीय ध्वज अलग होता है तथा यहाँ भारत के राष्ट्र ध्वज या राष्ट्रीय प्रतीको का अपमान अपराध नहीं होता है I
  3. जम्मू कश्मीर में महिलाओं पर शरियत कानून लागू होता है I
  4. भारत के उचतम न्यायालय के आदेश जम्मू-कश्मीर के अन्दर मान्य नहीं होते है I
  5. संसद को जम्मू कश्मीर के सम्बन्ध में कानून बनाने का क्षेत्र अत्यंत सीमित है I
  6. कश्मीर में पंचायत का अधिकार नहीं और यहाँ चपरासी को 2500 रूपये ही मिलते है I
  7. कश्मीर में अल्पसंख्यको(हिन्दु एवं सिख)को 16% आरक्षण नहीं मिलता I
  8. धारा 370 कि वजह से कश्मीर में बाहर के लोग जमीन नहीं खरीद सकते जबकि कश्मीर के लोग भारत में कही भी ज़मीन खरीद सकते है I
  9. धारा 370 कि वजह से कश्मीर में RTI लागू नहीं है CAG एवं RTE भी लागू नहीं है
  10. यदि जम्मू कश्मीर कि कोई महिला भारत के किसी. अन्य राज्य के व्यक्ति से शादी करले तो उनकी जम्मू कश्मीर कि नागरिकता खत्म हो जाती है जबकि वह पाकिस्तान के किसी व्यक्ति से शादी कर ले तो उस व्यक्ति को भी जम्मू-कश्मीर की नागरिकता मिल जाती है |
  11. धारा 370 की वजह से ही कश्मीर में रहने वाले पाकिस्तानियों को भी भारतीय नागरिकता मिल जाती है|धारा 370 के प्रावधानों में समय-समय में बदलाव किये गये, लेकिन कुछ संसोधनों लेकर समय-समय पर आवाज उठाई जाती रही है |कुछ ऐसे प्रावधान है | जिन्हें पुर्णतः समाप्त कर देने चाहिए तथा कुछ संसाधन के योग्य है |

1- जम्मू-कश्मीर में राष्ट्र ध्वज अलग होता है तथा राष्ट्रीय ध्वज तथा राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान अपराध नही है | ये प्रावधान राष्ट्रीय एकता के पुर्णतः खिलाफ है | देश में राष्ट्रध्वज का अपमान सबसे बड़ा अपराध है | जम्मू-कश्मीर भारत का ही अभिन्न अंग है तो राष्ट्रध्वज अलग क्यों ?

2- भारत की महिलाओ ने सारी दुनिया में भारत का सर गर्व से ऊँचा किया है जबकि कश्मीर में शरियत कानून लागु है |

3- कश्मीर में अप्ल्संख्यको की स्थिति अति दयनीय है |

4- पंचायत लागू ना होने से ग्रामीण विकास कम है |

5- 1976 का शहिरी भूमिकानून लागू ना होने से यहाँ कोई भी बड़ी कंपनी या कारखाने नहीं है ,जिससे युवाओ में बेरोजगारी बढ़ रही है |

धारा 370 की चर्चा राजनीतिक गलियारो से उठकर अक्सर आम लोगो तक पहुँचती रही है.

धारा 370 ना तो एकात्मकता प्रदर्शित करती है, ना ही अलगाव.

परन्तु देश का हित इसी बात में है की एकात्मकता बनी रहे और हम इसी अलगाव रूपी राक्षस का नाश कर दे ,

इसके लिए हमे अपने स्वभाव के प्रति सच्चे होकर राष्ट्रहित के बारे मे सोचना होगा |

ऐसे प्रावधानों को लागू रखने से क्या राष्ट्र का हित होगा, बिल्कुल नही|

हमे राजनीतिक स्वार्थो से ऊपर उठकर राष्ट्र के हित में विचार विमर्श करके धारा 370 के प्रावधानों को संसोधित तथा कुछ प्रावधानों को पुर्णतः समाप्त करना होगा |

भारत विश्वगुरु है ,परन्तु धारा 370 के कुछ प्रावधान हमे पिछड़ी मानसिकता का दिखा रहे है|

धारा 370 में संसोधन आवश्यक है, जिससे लोग अमन-चैन में रहे तथा अलगाववादी और दन्गाइयो को ताकत न मिले,

तभी भारत में “अनेकता में एकता “ का परचम लहरायेगा |

“हिन्दू-मुस्लिम –सिख्ख-इसाई-चारो है भाई-भाई का कथन अमर हो जायेगा”

“ जय हिन्द-जय भारत”