shabd-logo

नये महाजन

2 अप्रैल 2018

167 बार देखा गया 167

यह बात प्रारंभ में ही स्पष्ट कर दूं की ‘महाजन’ शब्द से अभिप्राय केवल ब्याज़ पर पैसों के लेन-देन करने वालों से है.साठ-सत्तर की दशक के वालीवुड फिल्मों का विलेन एक सूदखोर महाजन हो सकता था जो गाँव के ग़रीब भोले-भाले लोगों से उनकी जमीन, गहने गिरवी रखकर अनाज व रूपये उधार देता था और सादे काग़ज पर अंगूठे का निशान ले लेता था.एक बार लालाजी के चक्कर में फंसा व्यक्ति फिर जीवन भर गुलामी,बंधुआ मजदूरी के बंधन में बंध जाता था.कई बार तो उसकी भरपाई उनके अगली पीढ़ी को भी करनी पड़ती थी. वक्त बदला और सरकार ने 19 जुलाई 1967 को 14 बड़े बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया.अब सूद पर पैसों के लेन-देन के लिये सरकार के स्वामित्व वाले बैंकों के दरवाजे खुले थे.वालीवुड की कहानियों का वह पात्र अतीत में खो गया.आखिर कहाँ गये वे सूदखोर महाजन.जैसे पुरानी बीमारियां दवाओं से लड़ने की प्रतिरोधात्मक क्षमता से लैस होकर वापस लौट आती हैं, वैसे ही पुराने शेठ-लालाजी नये अवतार लेकर आये हैं.

आर्थिक अध्ययन के आंकड़े बताते हैं कि विश्व बाज़ार में उपभोक्ताओं की क्रयशक्ति बढ़ी है.तेजी से बिकने वाली उपभोक्ता वस्तुएं (FMCG) हों अथवा घरेलू इस्तेमाल में आने वाले बिजली के उपकरण(WHITE GOODS),मोबाइल फ़ोन,कार व मोटर साइकिल और न जाने क्या-क्या,बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ अंधाधुंध उत्पादन कर रही हैं और उपभोक्ताओं को इसके क्रय हेतु विज्ञापन के माध्यम से लुभाती है. इसके लिये बड़े-बड़े फ़िल्मी हस्तियों, खेल जगत के सितारों का सहारा लिया जाता है.आपके जेब में पैसे नहीं हों, कोई बात नहीं.आप को जरूरत हो या न हो, बस एक बार आपने फ़ोन पर या ई-मेल पर जिज्ञासा प्रकट की अथवा आपके ऑन-लाइन बिहेवियर को पहचान कर कम्पनियां आपके पास ऑफरों की भरमार लेकर पहुँच जायेंगी.बार-बार डिस्काउंट (बट्टा),कैश-बैक,एक पर एक फ्री ऑफर,लॉटरी के कूपन आदि का लालच देकर आपको उत्पाद के क्रय हेतु विवश कर देंगी.और आपने एक बार उधार पर ख़रीदारी का मन बना लिया तो दुकान पर विक्रेता के साथ-साथ ये नए महाजन आपका स्वागत करेंगे. इनका नाम किटी फाईनेंस या ऐसा ही कुछ भी हो सकता है.

आगे,आपने उत्पाद का चयन किया,मोल-भाव किया व खरीदने की सहमति दी,फाईनेंस कम्पनी के एजेंट आपके मोबाईल नं से ही आपके बैंक एकाउंट और आय की जानकारी प्राप्त कर उधार (लोन) को एप्रूव कर देगा. आपको बस फॉर्म में कुछ हस्ताक्षर करने होंगे.यह लगभग अंगूठा लगाने के समान ही होगा.क्योंकि इसमें लिखी नियम व शर्तें इतनी बारीक लिखाई में होंगी कि आप उन्हें सप्रयास भी शायद नहीं पढ़ पायेंगे.सूदखोर महाजनों को भी मात दे ऐसी ब्याज दरों पर यह उधार होगा जिसके रिकवरी के लिये रिकवरी एजेंट तक नियुक्त होते हैं.लगभग 13-14% ब्याज़ तो सामान्य ही माना जायेगा जबकि क्रेडिट कार्ड से की गई ख़रीदारी पर तो 3% प्रति माह अर्थात 36% प्रति वर्ष का ब्याज लगता है.इससे बचने की जरूरत है. कहा भी गया है, अपनी पहुँच विचार के,करतब करिये दौर.तेते पांव पसारिये जेती लांबी सौर.

विनय कुमार सिंह

विनय कुमार सिंह की अन्य किताबें

1

आधुनिकता और भारत-धर्म

13 मार्च 2018
0
2
1

भारतीय विचारकों की उन्नीसवीं सदी की पीढ़ी में मूर्धन्य राजाराम मोहन राय,स्वामी विवेकानंद,स्वामी दयानंद,श्री अरविंद और महात्मा गाँधी के विचार में भारत को आधुनिक भी बनना है और अपनी परंपरा के श्रेष्ठ अंश को भी बचाकर रखना है.जिस रूप में हम आधुनिकता का वरण करेंगे उसी से यह निश्चित होगा कि भारत मौलिक राष्ट

2

सच्ची शिक्षा

14 मार्च 2018
0
4
0

महर्षि धौम्य के आश्रम में चहल-पहल थी.गुरुकुल के शिष्यों में असीम उत्साह था.आखिर उनके गुरु की इकलौती कन्या का विवाह जो होने वाला था.सभी शिष्य अपने घर से इस अवसर पर उपहार देने हेतु अपने घरों से कोई-न-कोई वस्तु लाकर गुरूजी को भेंट दे रहे थे.परन्तु इस खुशी के माहौल में भी आश्रम के दो व्यक्ति चिंता में ड

3

लघुकथा- काशी के कोतवाल

20 मार्च 2018
0
2
0

विश्व के प्राचीनतम नगरों में से एक है,काशी.आईये काशी के कोतवाल से मिलते हैं.वाराणसी के विशेश्वरगंज में स्थित है काल भैरव का मंदिर.कहते हैं,काशी में किसी प्रशासनिक पद पर रहना है तो यहाँ के कोतवाल कीअनुमति लेनी अनिवार्य है.कौन हैं काल भैरव ?एक बार ऋषियों ने सुमेरु पर्वत पर

4

जल संकट और समाधान

24 मार्च 2018
0
0
0

अभी परसों यानि 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया गया. यह मानव जाति को जल के महत्त्व की ओर ध्यान आकृष्ट कराने हेतु पिछले पच्चीस वर्षों से मनाया जा रहा है. EA की एक अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक़ सन् 2025 तक भारत जल संकट वाला देश हो जायेगा।प्रत्येक वर्ष 22 मार्च को मनाये ज

5

लघु कथा - तीन सवाल

25 मार्च 2018
0
4
2

लियो टॉलस्टॉय की एक कथा काफ़ी प्रेरक है.एक राजा के समक्ष तीन महत्वपूर्ण प्रश्न थे.सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति कौन है? सबसे महत्वपूर्ण कार्य क्या है? सबसे महत्वपूर्ण समय कब है?दरबारियों ने अलग -अलग उत्तर दिये. परंतु राजा किसी भी उत्तर से संतुष्ट नहीं था.फिर किसी ने सलाह दी कि राजधानी से दूर वन में एक संत

6

नये महाजन

2 अप्रैल 2018
0
0
0

यह बात प्रारंभ में ही स्पष्ट कर दूं की ‘महाजन’ शब्द से अभिप्राय केवल ब्याज़ पर पैसों के लेन-देन करने वालों से है.साठ-सत्तर की दशक के वालीवुड फिल्मों का विलेन एक सूदखोर महाजन हो सकता था जो गाँव के ग़रीब भोले-भाल

7

चाय

25 अक्टूबर 2018
0
0
0

मृदभांड की सोंधी महक से युक्तऐसा पेय, जो कर दे प्रफुल्लित मन,बदन अनुपमेय लेकर घूँट जिसके खिल उठेहर अंग अनुभूति हर पल, ताज़गी है संग है सारे जगत की राय चाहे कितने भी थके हों, दवा, बस एक कप चाय

8

सोशल मीडिया के खतरे

28 मार्च 2020
0
1
0

सोशलमीडिया के खतरेसंचार के प्राचीन साधनों में सर्वाधिकप्रचलित,पत्रों से जोमाहौल आज से बीस साल पहले बनता था,आ

9

सकारात्मक जीवन की कला

21 अप्रैल 2020
0
0
0

सकारात्मक जीवन कीकला आज की ताजा ख़बरक्या है? टीवी के समाचार चैनलों पर हम क्या ढूंढ रहे हैं?समाचार पत्रोंकी शीर्ष पंक्ति में हमें किसकी तलाश है?आखिर किसी बुरी ख़बर की हमें अपेक्षाक्यों है? क्या समाज में नकारात्मकता बढ़ रही है. अगर यह सच है तोइसके लिए जिम्मेदार कौन है?क्या

10

निखिल और अणिमा

14 जनवरी 2024
0
0
0

  निखिल और अणिमा   दोनों सहेलियां उधेड़बुन में थीं कि होने वाले बच्चे का नाम क्या हो.लड़की हो तो क्या और लड़का हुआ तो क्या.अणिमा को आधुनिकता से प्रेम है और ललिता अपनी भारतीय संस्कृति पर मुग्ध.बात ने धीर

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए