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आचार्य नरेन्द्र देव

19 अप्रैल 2018

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"आचार्य नरेंद्रदेव " विविध विचारों को सजोये मनुष्य में कुछ प्रवृत्तियाँ विशेष होती हैं | इसीक्रम में आचार्य जी ने रेडियो वार्ता संस्मरण में कहा है कि-"मेरे जीवन में सदा दो प्रवृत्तियाँ थीं | प्रथम पढ़ने -लिखने की और दूसरी प्रवृत्ति राजनीति की जब की दोनों में आपसी सहर्ष रहता है | उन्हें दोनों सुविधाये विद्यापीठ में मिली | आचार्य नरेंद्रदेव जी के घर सन्यासी ,पंडित और उपदेशक आते जाते रहते थे वे धार्मिक और आचार विचारवान थे | यद्यपि घर वाले वकालत पढ़ाना चाहते थे परन्तु नरेंद्रदेव जी को यह पेशा पसंद नही था |परन्तु राजनीति में भाग ले सकने की दृष्टि से क़ानून भी पढ़ा | पुरातत्व पढ़ने क्वींस कालेज वाराणसी में वे आए |उन्होंने एम.ए. पास किया |
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आचार्य नरेन्द्र देव

19 अप्रैल 2018
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"आचार्य नरेंद्रदेव " विविध विचारों को सजोये मनुष्य में कुछ प्रवृत्तियाँ विशेष होती हैं | इसीक्रम में आचार्य जी ने रेडियो वार्ता संस्मरण में कहा है कि-"मेरे जीवन में सदा दो प्रवृत्तियाँ थीं | प्रथम पढ़ने -लिखने की और दूसरी प्रवृत्ति राजनीति की जब की दोनों में आपसी सहर्ष रहत

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"आतंकवाद जहाँ "

1 मार्च 2019
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"आतंकवाद जहाँ "--------------------सिर - बांधे लाल पगड़िया दुनिया को बताएगा तेरी करतूतों - कहर तुझको ही समझायेगा |गांती बांधे चलता था दुनिया पर कहर वर्षाया मैं! बातों से समझाता सब मिलजुल लतियायेंगे |धरा - अमन सभी चाहते कसमें सभीने खाई इ हर्षित रहते सारे बच्चे कौन तुझे

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साजन बेस परदेश

18 मार्च 2019
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साजन बेस परदेश सूनी - सूनी लगे नाचे गायें घर चौबारे नगरी नगरी द्वारे द्वारे जहर लागे हंसी ठिठोली सून सून लागे होली !चारो और रंग बरसे है मेरा सूखा मन तरसे है खाली अबीर गुलाल झोली सूनी सूनी लागे होली | आँखे सबकी ,खुशियां वांचे पीली पीली सरसो नाचे रंगीले परिधान में टोली सूनी सूनी लागे होली | होड़ म

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खिली बसंती धुप "

15 अप्रैल 2019
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खिली बसंती धुप "खिल उठी बसंती धुप फिजा भरी अंगड़ाई चली हवा सुगन्धित ऐसी प्रिये जब -जब मुस्कायी | रूप बदल नित नवीन श्रृंगार ले रौनक लाई अधरों मुस्कान रहा प्रिये जब ली अंगड़ाई | | मन मलिन कभी हुआ सम्मुख तब तुम आई खिली बसंती धुप नई प्रिये मन मुख मुस्कायी | हृदय ागुंजित स्वर बेला मंगल- बुद्धि ठकुराई

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"सत्याग्रही हिंदी और विकास "

17 जुलाई 2020
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"सत्याग्रही हिंदी और विकास "हिंदी बढती लो बिंदी चढती और हमें सिखाती |समूह बना बोलियाँ मिलाती औ बाजार बढ़ाती ||हिंदी पर बात हो, भाषा पर विचार हो ऐसे में बाल गंगाधर तिलक को कौन भूल सकता है | उनहोंने कहा है कि-'मैं उन लोगों में से हूँ जिनका विचार है और जो चाहते हैं कि हिंदी ही राष्ट्र भाषा हो सकती है

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भाषा संस्कृत और अशोक का शिलापट्ट

12 अगस्त 2020
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भाषाओं की विचित्र स्थिति समझाने समझाने वाली है। समय के अनुसार भाषा में अभिव्यक्ति की आजादी का स्वागत किया जाता रहा है। भारत में विभिन्न मतावलंबी हुए मत धर्म का प्रचार अभियान चलाया जाता रहा है। अशोक के शिलालेख जो ईसा के पूर्व तीसरी शताब्दी के मिले वे उत्तरी भारत के लिए आवश्यक और महत्व पूर्ण अमूल्य ध

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