shabd-logo

विश्व गगन मेंं भारत माँ का परचम फिर से लहराना है

1 मई 2018

1104 बार देखा गया 1104
featured image

Piyush Chandra Mishra की अन्य किताबें

1

ये खारा समंदर

30 अप्रैल 2018
0
0
0

अभी मुझको ही तोले जा रहा हैगलत मुझको ही बोले जा रहा है ये खारा समंदर भी शरबत सा अभी मुझको ही घोले जा रहा है

2

मुक्तक

30 अप्रैल 2018
0
2
0

काले-काले घटा जैसा तुम घिर जाओ ना ऊँच-ऊँँचे महलों जैैसा तुम गिर जाओ ना क्लेश कितना भी यहाँ कर लो अपना पर आकर दूर दिल से तुम फिर जाओ ना

3

विश्व गगन मेंं भारत माँ का परचम फिर से लहराना है

1 मई 2018
0
0
0

4

नज्म

2 मई 2018
0
0
0

कुछ लफ्ज भूल जाते हैं जिससे रंजो गम न होउसे जरा भी नही भूलतेदिल पर जिसके रहम न हो

5

मुस्कान

4 मई 2018
0
0
0

दुनिया के उसूलों पर मयस्सर मैं नही चलता बिना वजह की कोई कविता मैं अक्सर नही कहतामुझे सस्ता समझने की तोहमत है बड़ी भारीमैं वो दरियादिल हूंँ जो किसी बशर नही मिलता

6

हाल ए बयां

7 मई 2018
0
0
0

मेरे मर्ज की ढूँढो मत दवा क्या है पहले पूूछो तो मुझे हुआ क्या हैमुसीबत में ही अक्सर पता चलता हैमाँ-बाप के हाथों की दुआ क्या है

7

हाल

7 मई 2018
0
0
0

8

दिल

7 मई 2018
0
0
0
9

माँँ

13 मई 2018
0
1
0

समंदर के सूखने से साहिल की फरियाद आती है जैसे बहुत रोने से बच्चे को माँ की याद आती है अब तो माँ भी कहती है किसी से तू डरा मत कर बच्चे को मौत माँ के मर जाने के बाद आती है। हो जाए लाख गलती पर माँ तब भी हाथ रखती है बस इक माँ है जमाने में जो हरदम मेरे साथ रहती है। दुनिया तो हरदम मुझ पर चाकू चलाती है बस

10

कभी तुम पढ़ो तो सही

16 मई 2018
0
0
0
11

तुम

20 मई 2018
0
0
0

---

किताब पढ़िए