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मुस्कान

4 मई 2018

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दुनिया के उसूलों पर मयस्सर मैं नही चलता

बिना वजह की कोई कविता मैं अक्सर नही कहता


मुझे सस्ता समझने की तोहमत है बड़ी भारी


मैं वो दरियादिल हूंँ जो किसी बशर नही मिलता

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दुनिया के उसूलों पर मयस्सर मैं नही चलता बिना वजह की कोई कविता मैं अक्सर नही कहतामुझे सस्ता समझने की तोहमत है बड़ी भारीमैं वो दरियादिल हूंँ जो किसी बशर नही मिलता

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