पीटीआई-भाषा संवाददाता 8:41 HRS IST
बेंगलुरु, 15 मई (भाषा) कर्नाटक विधानसभा चुनाव के त्रिकोणीय मुकाबले में सत्ता फिर से पाने की पुरजोर कोशिश में जुटी सत्तारूढ़ कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी और सिर्फ ‘किंग मेकर’ नहीं बल्कि ‘किंग’ की भूमिका में आने को इच्छुक जद (एस) के राजनीति क भाग्य का फैसला आज होने वाला है।
सुबह आठ बजे शुरू हुई मतों की गिनती, दिन चढ़ने के साथ-साथ राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों के चेहरे पर खुशी की उमंग और निराशा भी लेकर आयेगी।
राज्य में विधानसभा की कुल 225 सीटें हैं जिनमें से 224 पर विधायकों का निर्वाचन होता है जबकि एक सीट पर सदस्य का मनोनयन किया जाता है। गौरतलब है कि 12 मई को 222 सीटों पर मतदान हुआ था। एक सीट पर मतदान भाजपा प्रत्याशी और वर्तमान विधायक बी एन विजयकुमार के निधन के चलते स्थगित कर दिया गया है।
राज्य में 4.98 करोड़ से अधिक मतदाता हैं जो 2600 से अधिक उम्मीदवारों के बीच से अपने प्रतिनिधियों का चुनाव कर सकेंगे। इन मतदाताओं में 2.52 करोड़ से अधिक पुरुष, करीब 2.44 करोड़ महिलाएं तथा 4,552 ट्रांसजेंडर हैं।
राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) संजीव कुमार के अनुसार, 1952 के बाद राज्य में 12 मई को रिकॉर्ड मतदान हुआ है। पंजीकृत 4.97 करोड़ मतदाताओं में से 72.13 ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया है।
उन्होंने कहा कि मतदान का प्रतिशत 1952 के राज्य विधानसभा चुनाव के बाद सबसे अधिक है।
चुनाव तक जब्त नकदी के बारे में पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि 94 करोड़ रुपये नकद, 24.78 करोड़ रुपये कीमत की शराब के साथ ही 66 करोड़ रुपये मूल्य के कपड़े, वाहन और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भी जब्त किये गए हैं।
मजेदार बात यह है कि 1985 के बाद से कर्नाटक की जनता ने किसी राजनीतिक दल में लगातार दो बार भरोसा नहीं जताया है। अंतिम बार रामकृष्ण हेगड़े की अगुवाई में जनता दल की लगातार दूसरी बार सरकार बनी थी।
कांग्रेस, पंजाब के बाद एकमात्र बड़े राज्य पर काबिज रहने के लक्ष्य पर केंद्रित है जबकि भाजपा कर्नाटक में अपनी सरकार बनाने के लिए जुटी हुई है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा है कि कर्नाटक पार्टी के लिए दूसरी बार दक्षिण में कदम रखने का द्वार होगा।
कर्नाटक में भाजपा को सिर्फ एक बार 2008 से 2013 तक सत्ता में रहने का मौका मिला था, लेकिन पार्टी का कार्यकाल अंदरुनी कलह और भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरा रहा। महज पांच वर्षों में पार्टी की ओर से तीन मुख्यमंत्री बनाये गये, जिनमें से एक फिलहाल पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार बी एस येद्दियुरप्पा हैं, भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल भी जा चुके हैं।
जनता दल सेकुलर के प्रदेश अध्यक्ष एच डी कुमारस्वामी ने चुनाव प्रचार के दौरान यह स्वीकार किया है कि 2018 का यह चुनाव उनकी पार्टी के लिए जीवन-मरण का सवाल है।
कांग्रेस को विश्वास है कि वह लगातार सत्ता में नहीं आने के चलन को तोड़ेगी और मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कहा है कि उनकी पार्टी इतिहास रचेगी।
उधर, कांग्रेस की मुख्य प्रतिद्वंद्वी भाजपा ने यह सुनिश्चित करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी है कि इतिहास दोहराया ना जा सके।
वैसे भाजपा ने ‘मिशन150 (सीट)’ के साथ अपना अभियान शुरु किया था, लेकिन पार्टी अध्यक्ष अमित शाह का कहना है कि उनके खाते में 130 से अधिक सीटें आएंगी।
वर्ष 2013 के विपरीत भाजपा इस बार एकजुट है। उस साल पार्टी येद्दियुरप्पा की केजीपी, बी श्रीरामुलू की बीएसआर कांग्रेस जैसे धड़ों में बंटी थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा के लिए ताबड़तोड़ प्रचार किया है, जबकि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी है।
सिद्धरमैया समेत चार वर्तमान एवं पूर्व मुख्यमंत्री चुनाव मैदान में हैं। येद्दियुरप्पा शिकारीपुरा से, कुमारस्वामी चेन्नापटना और रमनगारा से तथा भाजपा के जगदीश शेट्टार हुब्बली धारवाड़ से चुनाव मैदान में ताल ठोक रहे हैं।
वर्ष 2013 के चुनाव में कांग्रेस ने 122 सीटें जीती थीं। भाजपा और जद (एस) को 40-40 सीटें मिली थीं। कर्नाटक जनता पक्ष को छह, बडवारा श्रमिकारा रैयतरा को चार, कर्नाटक मक्कल पक्ष, समाजवादी पार्टी और सर्वोदय कर्नाटक पक्ष को एक एक सीटें मिली थीं और नौ निर्दलीय विजयी रहे थे।