कांग्रेस विधायक के आर रमेश को आज सर्वसम्मति से कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष का चुन लिया गया। भाजपा उम्मीदवार एस सुरेश कुमार के अपनी उम्मीदवारी वापस लेने के बाद वे निर्वाचित घोषित किए गए ।
मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी के बहुमत साबित करने से पहले इसे कांग्रेस की बड़ी जीत के तौर पर देखा जा रहा है।
भाजपा नेतृत्व से निर् देश मिलने के बाद सुरेश कुमार ने बैठक शुरू होने पर अपना नामंकन वापस ले लिया ।
सुरेश कुमार ने ट्वीट किया , ‘‘ पार्टी के निर्देशानुसार , मैंने कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष पद के लिए नामंकन भरा था। अब , पार्टी में चर्चा के बाद यह महसूस किया गया कि अध्यक्ष सर्वसम्मति से चुना जाना चाहिए , जैसी कि संसदीय परंपरा रही है। ’’
राज्य से पांच बार विधायक रह चुके सुरेश कुमार ने कल नामंकन दाखिल किया था। इसके साथ ही स्पष्ट हो गया था कि मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी के बहुमत साबित करने से पहले भाजपा जद (एस) - कांग्रेस गठबंधन को विधानसभा में अध्यक्ष पद के लिए चुनौती देना चाहती है ।
सदन की कार्यवाही शुरू होने के बाद जैसे ही अस्थायी अध्यक्ष के जी बोपैया ने इस मामले को उठाया तभी भाजपा के सुनील कुमार खड़े हो गए और उन्होंने कहा कि वह सुरेश कुमार को अध्यक्ष बनाने का अपना प्रस्ताव पेश नहीं कर रहे हैं।
इस पर सुरेश कुमार ने कहा , ‘‘ मैं इसे स्वीकार करता हूं। ’’
इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस पार्टी के नेता सिद्दरमैया ने राकेश कुमार के नाम का प्रस्ताव पेश किया और उप मुख्यमंत्री जी परमेश्वर ने इसका अनुमोदन किया।
इसके बाद सदन ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया।
मुख्यमंत्री कुमारस्वामी और भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा रमेश कुमार को अध्यक्ष के आसन तक ले गए।
हाल ही में हुए चुनावों में 104 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी भाजपा के इस कदम से स्पष्ट है कि वह अपने उम्मीदवार की जीत के लिए समर्थन नहीं जुटा पाई थी।
कांग्रेस - जद (से) ने मिलकर 117 सदस्यों के समर्थन का दावा किया है।
इनमें कांग्रेस के 78, कुमारस्वामी की जद (से) के 36 और बीएसपी का एक विधायक शामिल है। गठबंधन ने केपीजीपी के एक विधायक और एक निर्दलीय विधायक का समर्थन होने का दावा भी किया है। कुमारस्वामी ने स्वयं दो सीटों पर जीत दर्ज की है।