ये तस्वीरें कानपुर की हैं. एक पुलिस वाले को बुरी तरह पीटा जा रहा है. इतना कि वो बेदम हो गया है. लेकिन भीड़ का गुस्सा शांत नहीं हो रहा, बेसुध पड़े पुलिस वाले पर भी लातें बरसाई जा रही हैं. ये सरासर गलत है. भीड़ कानून अपने हाथों में ले, इसे सही नहीं कहा जा सकता. अपनी ड्यूटी कर रहे पुलिस वाले पर हमला तो कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. लेकिन जब भीड़ के गुस्से की वजह जान कर बात कुछ समझ आती है.
पुलिस वालों पर हमला करने वाले लोग कानपुर के एक अस्पताल में एक लड़की के साथ हुए कथित रेप के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे. भीड़ की मांग थी कि अस्पताल सील किया जाए. मनमाफिक कार्रवाई न होते देख भीड़ बेकाबू हो गई और तीन पुलिस वालों को घेर कर उनके साथ मार-पीट की. इस दौरान पत्थरबाज़ी और तोड़फोड़ भी हुई.
पूरा मामला जानेंः
कानपुर के न्यू जागृति अस्पताल में 16 जूनजुलाई की रात एक नाबालिग लड़की सीढ़ियों से गिरने के चलते भर्ती कराई गई थी. उसे आईसीयू में भर्ती किया गया था. 17 जून जुलाई की सुबह लड़की के घर वालों ने आरोप लगाया कि एक वॉर्ड बॉय ने नशीली दवा वाला इंजेक्शन लगाकर उसका रेप किया है. पुलिस में मामला दर्ज किया गया जिसके बाद उस वॉर्ड बॉय को गिरफ्तार कर लिया गया.
लेकिन अस्पताल के बाहर भीड़ जमा हो गई और तुरंत अस्पताल सील करने की मांग करने लगी. भीड़ ने नेशनल हाइवे 2 भी जाम कर दिया. जब तोड़फोड़ और पत्थरबाज़ी शुरू हुई तो पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया. इसके बाद भीड़ भड़क गई और कुछ पुलिस कर्मियों पर हमला कर दिया. इसमें फज़लगंज थाने में तैनात पुलिस इंस्पेक्टर और दो कॉन्स्टेबल ज़ख्मी हो गए. तीनों को एक निजी अस्पताल में शिफ्ट किया गया है जहां आईसीयू में उनका इलाज चल रहा है. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भीड़ तब भड़की जब पुलिस के जवानों ने प्रदर्शन कर रही कुछ औरतों से बदसलूकी की.
कानपुर की डीआईजी सोनिया सिंह ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि मामले की जांच हो रही है मगर भीड़ इस तरह कानून अपने हाथ में नहीं ले सकती है और लॉ एंड ऑर्डर खराब करने वालों पर भी कार्रवाही होगी.
Kanpur cops assaulted by mob protesting alleged rape of a teenager by a ward boy