बबीता फोगट. ‘गित्ता ओर बबित्ता’ वाली बबीता फोगट. ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स में 55 किलो कैटेगरी में गोल्ड वाली बबीता फोगट. ट्वीट कर रही हैं कि यूनेस्को (UNESCO) ने हमारे (अर्थात भारत के) राष्ट्रगान को विश्व का सबसे बेहतरीन राष्ट्रगान घोषित कर दिया है. ये वो मेसेज है जो कॉकरोच को शर्मिंदा कर दे. कहते हैं कि अगर कभी न्यूक्लियर विस्फ़ोट हुआ तो सब मर जाएंगे लेकिन कॉकरोच जिंदा रहेंगे. मैं कहता हूं कि कभी कुछ ऐसा हो जिसमें कॉकरोच भी मर जाएं, तो भी ये मेसेज जिंदा रहेगा. ये मेसेज पहली बार 2008 में दिखा था. तब एंड्रॉइड फ़ोन्स का ज़माना नहीं था. उस वक़्त सब कुछ 33 रुपये के 1000 SMS में निपट जाया करता था. आज गूगल से ज़्यादा आसानी से कुछ नहीं मिल रहा है. लेकिन फिर भी जनता बिना कुछ भी सोचे-समझे ऐसे मेसेज फॉरवर्ड किए पड़ी है. बाकायदे कर रही है. पूरी आस्था के साथ कर रही है.
बड़ी मज़ेदार चीज़ है साहब! कभी भारत के नक़्शे पर जलती लाइटों को बता दिया जाता है कि देखो! फलाने ने इतनी बिजली पहुंचा दी. कभी यूनेस्को देश के पीएम को दुनिया का सबसे बेहतरीन पीएम घोषित कर देता है. राष्ट्रगान तो न जाने कितने सालों से बेस्ट डिक्लेयर हो चुका है.
बहुत मज़ेदार चीज़ है ये. देशभक्ति दिखे, लाइक करो, शेयर करो. एक शेयर ही तो है. है न? हर कोई बस जुटा हुआ है. जो कुछ भी व्हाट्सैप पर आता है, आंख मूंद कर उसपर विश्वास कर लिया जाता है. लोगों को शायद इस बात का इल्म ही नहीं है कि कोई भी कुछ भी लिखकर भेज सकता है और वो कहीं का कहीं भी पहुंच सकता है. चीज़ें घूमती रहती हैं. शब्दों के कॉम्बिनेशन कुछ का कुछ कर देते हैं. एक बहुत बड़ा तबका है जिसे नहीं मालूम है कि फ़ोटोशॉप क्या होता है और वो किस कदर आसान चीज़ होती है. इसके दम पर आम को अनार बना कर पेश किया जा सकता है. ये एक बच्चे तक के बस की बात होती है. लेकिन चूंकि उनका इससे कोई भी वास्ता नहीं है इसलिए उन्हें ये दूर की कौड़ी लगती है और इसीलिए एक तस्वीर पर तुरंत ही विश्वास कर लेते हैं.
बबीता फोगट को आज अगर बताया जाए कि 65 किलो कैटेगरी में शाहरुख़ खान को गोल्ड मेडल मिला है तो वो इस बात पर तुरंत ही यकीन नहीं करेंगी और शायद बताने वाले को एक तमाचा रसीद कर देंगी या फिर एक-दो फ़ोन मिलाकर, ऐसा न होने की पुष्टि करेंगी फिर तमाचा रसीद करेंगी. ऐसा इसलिए क्यूंकि ये उनकी फ़ील्ड है. यहां उन्हें जानकारी रहती है. यहां उनका सिक्का चलता है. लेकिन जब राष्ट्रगान की बात होती है तो एक मेसेज को देखते ही उन्हें पसमंजर में उसकी धुन सुनाई देती है और लहराता हुआ तिरंगा दिखाई देने लग पड़ता है. न चाहते हुए भी उंगलियां उस बात को शेयर कर ही देती हैं. क्यूंकि ‘देश’ की बात आ जाती है. यहां, इस बात का ख़ास ख़याल रखा जाए कि सिर्फ़ बबीता फोगट की ही बात नहीं हो रही है. हालिया मामला उनका है इसलिए उनका ज़िक्र हो रहा है. वरना देश की एक बहुत बड़ी जनसंख्या यही करती आ रही है. ऐसे ट्वीट्स और मेसेजेज़ को धड़ल्ले से शेयर मिलते हैं.
ऐसा हमने हमेशा से देखा है. चाणक्य, हरिवंश राय बच्चन, ग़ालिब, आइंस्टाइन, स्टीफ़न हॉकिंग, जूलियन असांजे, यहां तक कि एबी डिविलियर्स तक के बारे में ऐसे ही झूठ फैलाया गया है. डिविलियर्स का केस मज़ेदार था. स्काई स्पोर्ट्स नाम की एक वेबसाइट ने 2015 वर्ल्ड कप की तैयारियों के दौरान 28 फ़रवरी 2015 को एक आर्टिकल पेश किया और उसमें लिखा-
1. एबी डिविलियर्स साउथ अफ़्रीकन नेशनल हॉकी टीम के लिए चुने गए थे.
2. डिविलियर्स साउथ अफ्रीकन नेशनल फ़ुटबॉल टीम के लिए चुने गए थे.
3. डिविलियर्स साउथ अफ्रीका की जूनियर रग्बी टीम के कैप्टन थे.
4. डिविलियर्स के पास 6 नेशनल स्विमिंग रिकॉर्ड्स हैं.
5. डिविलियर्स के पास साउथ अफ्रीकन जूनियर स्प्रिंटर में सबसे तेज़ दौड़ने का रिकॉर्ड है.
6. डिविलियर्स नेशनल जूनियर डेविस कप टेनिस टीम के मेंबर थे.
7. डिविलियर्स नेशनल अंडर 19 बैडमिन्टन चैंपियन थे.
8. डिविलियर्स को साइंस प्रोजेक्ट के लिए नेल्सन मंडेला नेशनल मेडल मिला है.
ये सभी बातें डिविलियर्स ने अपनी ऑटोबायोग्राफी में गलत बताई थीं. ये वाली पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.
इसी तरह से साल 2014 में प्रधानमंत्री चुनाव के ठीक पहले ऐसा माहौल बनाया गया जिसके मुताबिक़ ‘जूलियन असांजे ने कहा कि अमरीका नरेंद्र मोदी से डरता है क्यूंकि उसे मालूम है कि मोदी बहुत ईमानदार हैं.’ विकीलीक्स ने इस पर सफाई पेश की थी और कहा था कि असांजे ने ऐसा कुछ भी नहीं कहा.
उल्टा, विकीलीक्स ने एक केबल जारी किया जिसमें बताया कि 2006 में एक सीनियर अमरीकी डिप्लोमैट ने कहा था कि ‘मोदी पर विश्वास नहीं किया जा सकता. वो एक ऐसा लीडर है जो कि डरा-धमका कर शासन करता है न कि लोगों के मेलजोल और उनकी आपसी सहमति से.’ असांजे/विकीलीक्स का ये फ़ेक ‘मेसेज’ इस कदर फैला था और भाजपा ने इसे अपने फायदे के लिए इस कदर इस्तेमाल किया कि साक्षात मोदी जी ने उसे माना और छाती चौड़ी कर खुद की पीठ थपथपाई. मज़ाक नहीं कर रहा हूं, साक्ष्य साथ लाया हूं-
इसी तरह से चाणक्य का भी चक्कर चला है. आदमी कुछ भी लिखकर, चाणक्य की चोटीदार तस्वीर लगाकर नीचे ‘-चाणक्य’ लिखकर चला दे रहा था. यहां तक कि ‘जो अच्छे समय में बड़ा भाव खाते हैं, वो बुरे समय में वड़ा पाव खाते हैं.’ हम उस समय में जी रहे हैं जहां ये सब कुछ असल में अस्तित्व में है. ये ऐसे मेसेज ही हमारे समाज की सच्चाई हैं. बबीता फोगट ऐसे ही एक मेसेज को ट्वीट कर रही हैं. ट्वीट डिलीट तो कर दिया लेकिन तब तक अच्छी खासी जगहों पर पहुंच चुका था. सोया हुआ सिंह जिस प्रकार जागता है, राष्ट्रगान को यूनेस्को द्वारा सर्वश्रेठ घोषित किये जाने वाला मेसेज भी जाग चुका है. अच्छी खासी फॉलोविंग है, यकीनन इस मेसेज का अनुसरण करने वाले लोग होंगे. ठीक उस तरह से जैसे दीवाली की अगली सुबह नासा की भेजी हुई तस्वीरें आती ही हैं. (रात को लक्ष्मी-गणेश की पूजा के साथ-साथ अब ये एक रीत भी जुड़ गई है.) (बिजली मंत्री पीयूष गोयल को सलाम पहुंचे.)
कहना एक बहुत भले आदमी और दिमाग से काम लेने वाले पुनीत शर्मा का, “सब सूचना पाने और उसे बांटने में लगे हुए हैं. होड़ है कि पहले कौन फैलाएगा. इस देश को सूचना प्रसारण बंद ही कर देना चाहिए अब.”
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