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क्रोध

13 जून 2018

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पड़ोस के अंकल बहोत ही ग़ुस्सा करते है. हमेशा ग़ुस्सेमेंही रहते है . आज सुबह घूमने निकली तो सामने अंकल बेवजह ग़ुस्सा कर रहे थे .

मैंने यही पूछा ... क्या हुआ अंकल आज फिर से ग़ुस्सा क्यों .

अंकल. ..... अरे वो कब जायेंगे क्या पता, बहोत परेशां हु में .....

मैंने कहा. ... अंकल क्यों ऐसा कह रहे हो . अरे वो कहा जायँगे ? रहेंगे कहा ?

अंकल और ग़ुस्से में लाल पिले हो गए.

में तो वह से चल पड़ी .

ये हररोज चलता था. क्यों की उनके लड़के ने उसके ससुर को और साली को अपनेही घर पनाह दी है . हां .... ये सच है. ....

अब तो उस फॅमिली में लड़के के भी माँ बाप रहते है. और लड़की पापा और बहन रहती है. अंकल की बहु को भाई नहीं है. बहन है लेकिन वो मतिमंद है.

तो बताओ अब वो जायेंगे कहा? ये तो उस लड़के ने अच्छा ही किया न की अपने घर ले आया.

लेकिन अंकल का कहना था की उनको यहाँ नहीं लाना चाहिए था . उनकेही घर पर रहने देते या किसी अनाथ आश्रम में छोड़ आता .

अब बताओ .... कौनसी लड़की ऐसा सुनते ही खुश होगी ? लेकिन या बिचारि चुपचाप रही. लेकिन बीटा इस बात के खिलाफ था. और जोर जबरदस्ती करके उनको घर ले आया.अगर मुझसे पूछा जाये तो ... उस लड़के ने अच्छा ही किया.

अगर आप लड़के की शादी कर रहे हो तो आपको लड़की के परिवार के बारे में तो पता ही होगा न. की , वो अकेली है, या उसके कोई भाई बहन है. ..... वगैरा ...

तो फिर भी इतना क्रोध क्यों उनपर? क्यों लड़की के माँ बाप संभालना नहीं, उनको आश्रम में भेज देना, और अगर लड़की ने तय कर लिया सास ससुर को आश्रम भेजने का तो उसमे गैर क्या है. और अगर आपकी बुद्धिमत्ता ऐसी है तो जिसको भाई हो ऐसी लड़की ढूंढे . क्यों .... बराबर है न ?

अरे एक लड़की सब छोड़छाड़ के आपके घर आती है, अपना बनती है तो क्या उसके घर को आप अपना नहीं बना सकते.

आज भी वो अंकल ग़ुस्से में ही रहते है. .... करीब से करीब 3 साल हो गए है उनको लेकिन आज भी उनका ग़ुस्सा वैसे का वैसा ही है. बल्कि बढ़ चूका है. और इसी ग़ुस्से की वजह से उन्होंने खुद की तबियत भी ख़राब कर ली है. अब वो नाही चल सकते है और नाही खुद के हाथो से खाना खा सकते है. वो लड़की ही उनको खिलाती है, और उनका सबकुछ कर रही है. और उस लड़की के पिता बिचारे अंकल दिल खुश रखने के लिए कुछ न कुछ करते रहते है.

अब बताओ ब्रॉड माइंडेड कौन है?

इसलिए खुद भी खुश रहो और दुसरो को भी रहने दो.

दो पल की जिंदगी है हास्के जी लो. .......


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बहुत सार्थक व् ज्वलन्त प्रश्न उठाया है आपने !

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स्नेह ये शब्द कितना मिलता है . लेकिन अगर इसे गौर से पढ़ा जाये तो ये अपने करीब लगने लगता है . अगर ये दुश्मन के सामने भी बोलै जाये तो भी अपना सा और प्यारा सा लगने लगता है . है ना .

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प्यार एक ऐसा शब्द है जो सुनते ही मन खिल उठता है.......प्यार से प्यारा इस दुनिया में कुछ भी नहीं है. .....प्यार दो दिलो की दास्ताँ है .....प्यार दो दिलो का संगम है .........प्यार के बिना ज़िन्दगी अधूरी है .........प्यार के बिना जीवन अधूरा है .........लेकिन प्यार में

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पड़ोस के अंकल बहोत ही ग़ुस्सा करते है. हमेशा ग़ुस्सेमेंही रहते है . आज सुबह घूमने निकली तो सामने अंकल बेवजह ग़ुस्सा कर रहे थे . मैंने यही पूछा ... क्या हुआ अंकल आज फिर से ग़ुस्सा क्यों .अंकल. ..... अरे वो कब जायेंगे क्या पता,

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