“पिता हमारे वट वृक्ष समान”
किसी ने सही ही कहा हैं कि ‘पिता न तो वह लंगर होता हैं जो तट पर बांधे रखे, न तो लहर जो दूर तक ले जाएँ. पिता तो प्यार भरी रौशनी होते हैं,जो जहाँ तक जाना चाहों,वहां तक राह दिखाते हैं.’ऐसे ही मेरे पिता हैं,जो चट्टान की तरह दिखने वाले पर एहसास माँ की तरह.घर-परिवार का बोझ उठाने वाले मेरे पिता का आसमान सा साया सदैव हम पर रहा.गहरी जड़ों वाले वृक्ष रूपी पिता के छांये तले मेरी माँ और हम बच्चे.पिता हम बच्चों के जीवन में हम सभी का व्यक्तित्व तराशने वाले औजार बने.हमेशा उन्होंने एक संबल दिया,हौसलें के पंख दिए.मैं अपने पिता की अनुभूतियों को बहुत गहराई से समझती हूँ.उनका ह्रदय नारियल की तरह कठोर था,लेकिन दिल के किसी कोने में कोमल भावनाएं भी थी.मेरी नजर में माँ का दर्जा सर्वोपरि हैं तो पिता का भी पीछे नहीं जिनके हाथ हमेशा शुभाशीष के लिए उठे रहे.मेरे पिता ने हमेशा रिश्तों का पिंजरा रखा अर्थात उनके दायरे में रहना सिखाया.जिन्दगी में आने वाले हर उतार-चढ़ावों के पहाड़ों पर समझदारी से चलना सिखाया.पिता का हमेशा सिद्धांत रहा सच्चाई की राह पर चलना और यह मेरे जीवन में आने वाले भटकावों पर मील का पत्थर साबित हुई.जीवन की पाठशाला में उन्होंने जौहरी का रोल अदा किया.अपने जीवन का पूरा हुनर,तुजुर्वा हम बच्चों के व्यक्तित्व विकास में लगा दिया.माँ की तरह पिता ने कभी प्यार जताया नहीं.पिता आकाशकी तरह हैं,एक छुपे सुकून सा,एक विस्तृत इत्मीनान की तरह हैं.कहते भी हैं कि मुश्किलों में तसल्ली का नाम दूसरा नाम पिता हैं.धरती माँ हैं तो पिता आसमां.थोड़ा उनमे आसमान की तरह अहम जरूर हैं,पर सिर उठा कर हम बच्चों को जीवन देना उनकी शान थी और आज भी हैं.एक बात और उनमे थोड़ा सा दिल के किसी कोने में हम बहनों की अपेक्षा भाई पर प्यार ज्यादा था,लेकिन परवरिश में भेदभाव कभी नहीं किया.खैर.......पाषाण ह्रदय पिता की कठोरता अब समय रहते उस पर ढंडी वर्फ की परत चढ़ गई .बात-बात पर माँ की तरह कभी प्यार ना जताने वाले पिता जब कभी व्याकुल हो जाते तो बादलों की तरह फट पड़ते,गरजते बरसते जरूर लेकिन कोई और हम बच्चों पर आँख उठाकर नहीं देख नहीं पाता.संकटमोचक पिता की मौजूदगी में सभी विपदाएं दूर छिटक जाती और हम स्वतंत्र रूप से अपने स्वप्नों और इच्छाओं को पूरा करने के लिए स्वतंत्र रहते.मेरी जिन्दगी में पिता का मजबूत आसरा कल भी था और आज भी हैं.एक तसल्ली का अहसास रहता हैं.हाथ पकडकर चलना सिखाने वाले पिता ने हमेशा एक अंदर से मजबूती प्रदान की और जीवन के हर पहलू पर,असमंजस्य के पलों में भरोसा दिलाकर अपने अनुभवों से सुलझाया.ह्रदय में प्यार का सागर बसाने वाले पिता ने सकारात्मक ऊर्जा प्रदान कर हौसलों को बुलंद किया.अगर माँ ने सामाजिकता,नैतिकता की शिक्षा दी तो पिता ने उच्च शिक्षा दिलाकर समाज में पहचान दिलाई.अगर आज मैंने जो मुकाम हासिल किया तो उसके पीछे पिता का सहयोग व विकट परिस्थितियों में भी आगे बढने की सीख.मुझे जीवन में वो सब कुछ मेरे पिता ने दिया जिसकी कल्पना तो जरूर की थी लेकिन साकार होने की उम्मीद नहीं थी.मेरे पिता मेरे जीवन का एक अहम हिस्सा हैं,उनसे ही हमारा जीवन हैं.जीवन में खास स्थान रखने वाले मेरे पिता ने मेरे व्यक्तित्व का निर्माण किया तो गलत नहीं होगा.पिता के योगदान को किताब के पन्नों में समेटा नहीं जा सकता और न ही शब्दों में उकेरा जा सकता.इसलिए सही भी कहा गया हैं ‘पिता वट वृक्ष की तरह होते हैं,जो प्रकृति का दिया हुआ महाजन हैं.’