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शुभ-अशुभ या अपनी-अपनी सोच......

14 अप्रैल 2015

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बहुत पहले की बात है। एक नगर मे भिखु नाम का मजदुर रहता था। दिन भर मेहनत करके अपना और परिवार का पेट पालता था। लेकिन भिखु के बारे मे एक अफवाह तेजी से नगर मे फैल रही थी। कुछ लोगो का मानना था की सुबह-सुबह भिखु का मुख देख लेने मात्र से उनका सारा काम बिगड़ जाता है तो कुछ लोगो का मानना था कि उनके साथ कुछ-न-कुछ अशुभ जरूर होता है। सभी अपने अनुसार तर्क देने लगे। अफवाह अब सच्चाई का रूप लेने लगी थी। भिखु को नगर से बाहर निकालने की बाते होने लगी। नगर के राजा को इन सभी बातो का पता लगा। उसने सोचा ऐसा भी कही होता है क्या !


 भिखु को राजदरबार मे पेश किया गया। राजा ने सच्चाई जानने के लिए भिखु को अपने साथ सुलाने का फैसला किया ताकि सुबह-सुबह सबसे पहले भिखु का मुख देख सके। अगले सुबह राजा ने सबसे पहले भिखु का मुख देखा और अपने शासन-व्यवस्था मे लग गए। संयोगवश उसी दिन पड़ोसी देश ने आक्रमण का घोषणा कर दिया। राजा को विश्वास हो गया कि भिखु का मुख वास्तव मे अशुभ है। राजा ने भिखु को फाँसी कि सजा सुनाई। भिखु को फाँसी देने से पहले उसकी आखरी इच्छा पूछी गयी। भिखु ने राजा से एक प्रश्न करने कि इजाजत माँगी। राजा ने सहमति दे दिया। 


भिखु ने कहा- राजा जी, आपने सुबह-सुबह मेरा मुख देखा तो आपके राज्य पर पड़ोसी देश ने आक्रमण का घोषणा कर दिया इसलिए मेरा मुख अशुभ है परन्तु आपका मुख कितना शुभ है जो सुबह-सुबह मैने देखा तो मुझे फाँसी की सजा मिल रही है। भिखु कि बाते सुन राजा लज्जित हो गए। उन्हें अपने गलती का अहसास हो गया था। भिखु को छोड़ दिया गया। राजा समझ गए थे कि किसी का मुख शुभ-अशुभ नहीं होता है सिर्फ अपना-अपना सोच होता है।

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बहुत पहले की बात है। एक नगर मे भिखु नाम का मजदुर रहता था। दिन भर मेहनत करके अपना और परिवार का पेट पालता था। लेकिन भिखु के बारे मे एक अफवाह तेजी से नगर मे फैल रही थी। कुछ लोगो का मानना था की सुबह-सुबह भिखु का मुख देख लेने मात्र से उनका सारा काम बिगड़ जाता है तो कुछ लोगो का मानना था कि उनके साथ कुछ-न-कुछ अशुभ जरूर होता है। सभी अपने अनुसार तर्क देने लगे। अफवाह अब सच्चाई का रूप लेने लगी थी। भिखु को नगर से बाहर निकालने की बाते होने लगी। नगर के राजा को इन सभी बातो का पता लगा। उसने सोचा ऐसा भी कही होता है क्या ! भिखु को राजदरबार मे पेश किया गया। राजा ने सच्चाई जानने के लिए भिखु को अपने साथ सुलाने का फैसला किया ताकि सुबह-सुबह सबसे पहले भिखु का मुख देख सके। अगले सुबह राजा ने सबसे पहले भिखु का मुख देखा और अपने शासन-व्यवस्था मे लग गए। संयोगवश उसी दिन पड़ोसी देश ने आक्रमण का घोषणा कर दिया। राजा को विश्वास हो गया कि भिखु का मुख वास्तव मे अशुभ है। राजा ने भिखु को फाँसी कि सजा सुनाई। भिखु को फाँसी देने से पहले उसकी आखरी इच्छा पूछी गयी। भिखु ने राजा से एक प्रश्न करने कि इजाजत माँगी। रा

14 अप्रैल 2015
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बहुत पहले की बात है। एक नगर मे भिखु नाम का मजदुर रहता था। दिन भर मेहनत करके अपना और परिवार का पेट पालता था। लेकिन भिखु के बारे मे एक अफवाह तेजी से नगर मे फैल रही थी। कुछ लोगो का मानना था की सुबह-सुबह भिखु का मुख देख लेने मात्र से उनका सारा काम बिगड़ जाता है तो कुछ लोगो का मानना था कि उनके साथ कुछ-न-कुछ अशुभ जरूर होता है। सभी अपने अनुसार तर्क देने लगे। अफवाह अब सच्चाई का रूप लेने लगी थी। भिखु को नगर से बाहर निकालने की बाते होने लगी। नगर के राजा को इन सभी बातो का पता लगा। उसने सोचा ऐसा भी कही होता है क्या ! भिखु को राजदरबार मे पेश किया गया। राजा ने सच्चाई जानने के लिए भिखु को अपने साथ सुलाने का फैसला किया ताकि सुबह-सुबह सबसे पहले भिखु का मुख देख सके। अगले सुबह राजा ने सबसे पहले भिखु का मुख देखा और अपने शासन-व्यवस्था मे लग गए। संयोगवश उसी दिन पड़ोसी देश ने आक्रमण का घोषणा कर दिया। राजा को विश्वास हो गया कि भिखु का मुख वास्तव मे अशुभ है। राजा ने भिखु को फाँसी कि सजा सुनाई। भिखु को फाँसी देने से पहले उसकी आखरी इच्छा पूछी गयी। भिखु ने राजा से एक प्रश्न करने कि इजाजत माँगी। रा

15 अप्रैल 2015
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