ऐसा दृश्य भारत के सरकारी स्कूलों में देखने को नहीं मिलता परंतु यह संभव हुआ है दिल्ली में शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया के प्रयासों से। दिल्ली में शिक्षा के क्षेत्र में पिछले तीन बर्षों में अभूतपूर्व सुधार देखने को मिले हैं।
वर्त्तमान दौर में केंद्र सरकार हो अथवा राज्य सरकारें शिक्षा पर कम ही ध्यान दे रहीं हैं। केंद्र की सरकार शिक्षा पर अपने बजट का लगभग लगभग 2 से 3%ही खर्च करती राज्य सरकारों की हालात भी कुछ खास नहीं है। देश में शिक्षा के ख़राब हालात के पीछे दो प्रमुख कारण हैं एक तो संसाधनों की कमी दूसरा भ्रष्टाचार।परंतु दिल्ली में स्थिति में सुधर देखने को मिला है उसके पीछे कारण यही है की सरकार ने पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराये एवं सुधारों के प्रति सरकार गंभीर भी है।
अभी हाल में ASSOCHAM का सर्वे आया जिसमे दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पिछले 3 बर्षों में दिल्ली सरकार द्वारा किये गए सुधारों से अभिवावक संतुष्ट हैं।
2018 में CBSE का कक्षा 12बी का परिणाम आया तो यह दिल्ली सरकार के लिए फिर से ख़ुशी का मौका लेके आया था क्युकी पिछली बार की तरह इस बार भी दिल्ली सरकार के सरकारी स्कूलों के बच्चों ने महंगे प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों से बाज़ी मार ली थी।सरकारी स्कूलों के लगभग 90.68% बच्चे पास हुए थे जो की पिछले बर्ष से 2.37% ज्यादा है जबकि प्राइवेट स्कूलों के लगभग 88.35% बच्चे सफल हुए जिसमे पिछले बर्ष के मुकाबले 4.13% का सुधार हुआ है।
दिल्ली के सरकारी स्कूलों की स्थिति में सुधार हुआ है इसके पीछे गंभीर सरकारी प्रयास हुए है। दिल्ली में 2015 में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी तो चुनाव में उनके सिर्फ चार ही मुद्दे थे बिजली ,पानी ,शिक्षा, स्वास्थ्य।देश में ऐसी कम ही राजनीतिक पार्टियां हैं जो सिर्फ और सिर्फ GOVERNANCE के मुद्दों पर चुनाव लड़ती हैं।चुनाव लड़ा और जीता और उसके पश्चात शिक्षा के क्षेत्र में गंभीरता से काम भी किया। यह सरकारी स्कूलों के 12 के बेहतर परिणामों,ढांचागत सुविधाओं में सुधार, शिक्षा मंत्रालय के बजट में बढ़ोत्तरी हो या प्राइवेट स्कूलों से विद्यार्थियों का सरकारी स्कूलों की ओर जाना ऐसे कई उदहारण हैं जिनसे स्पष्ट होता है की वाकई सरकारी स्कूलों में सुधार हुआ है।
उन प्रयासों को समझने की कोशिश करते हैं-
2018 के दिल्ली सरकार के बजट का 26% बजट शिक्षा के लिए आबंटित किया गया लगभग 13997 करोड़ रुपये जो की कुल बजट के प्रतिशत् के हिसाब से अन्य राज्यों के मुकाबले सर्बाधिक है।जबकि पिछले बर्ष 23.5% का आबंटन किया गया था। इससे सरकार की शिक्षा की शिक्षा के प्रति गंभीरता का पता लगता है।
दिल्ली सरकार ने सरकारी स्कूलों की ढाँचागत सुबिधाओं पर भी पर्याप्त ध्यान दिया है 2015 के पश्चात लगभग 8000 नए क्लासरूम बनकर तैयार हुए है 2018 में और 10000 क्लासरूम बनाने की घोषणा की गयी है इनमें पुस्तकालय से लेकर प्रयोगशाला के लिए कमरे भी शामिल हैं। खेलों से सम्बंधित ढांचागत सुबिधाओं में सुधार हुआ है।
प्राइवेट स्कूलों पर भी कड़ाई की गयी डेल्ही हाई कोर्ट के आर्डर के पश्चात् दिल्ली सरकार ने गैर जिम्मेदार तरीके से किसी भी सरकारी स्कूल को फीस बढ़ने का मौका नहीं दिया एवं कई स्कूलों को तो बढ़ी हुई फीस अभिवावकों को लौटानी पड़ी।
बच्चों को पढ़ने लिखने में आने वाली परेशानी एवं पढाई में दिलचस्पी बढ़ाने को के लिए मिशन बुनियाद, चुनौती,समर कैंप,रीडिंग मेला,जोड़ोज्ञान अभियान,कला उत्सव,जैसे कार्यक्रम चलाये गए।
अभी हाल ही में दिल्ली सरकार ने विद्यालयों के लिए हैप्पीनेस पाठ्यक्रम तैयार किया है जो बच्चों को पढ़ने के साथ खुश कैसे रहना है ,मानसिक तनाव से से कैसे निपटना है सीखने में मदद करेगा,
स्कूल प्रबंधन समितियों को मजबूत किया जा रहा है एवम् अभिवावकों को उसमें निरंतर भागीदारी हेतु प्रोत्साहित भी किया जा रहा है। 2018 के बजट में प्रत्येक SMC को 5 लाख का बजट आबंटित किया गया है जिसे समितियां स्कूल के स्तर पर जरुरी सुविधाओं हेतु खर्च करने के लिए स्वतंत्र हैं।
अभिवावकों की स्कूलों में भागीदारी बढाने के लिए ,पेरेंट्स टीचर मीटिंग,मेगा पेरेंट्स टीचर मीटिंग जैसे कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं।
principle डेवलपमेंट प्रोग्राम हो चाहे शिक्षकों को ट्रेनिंग के लिए विदेश भेजना हो अथवा देश के ही अच्छे संस्थानों में भेजने की बात हो। शिक्षकों की ट्रेनिंग पर भी पूरा ध्यान दिया गया है।
पिछले 3 बर्ष में दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पर्याप्त सुधार हुआ है इसका अंदाजा दिल्ली के सरकारी स्कूलों के 12बी के बेहतर परिणामों से लगाया जा सकता है पर अभी भी बहुत चुनौतियां है दिल्ली में प्राथमिक शिक्षा का हाल बहुत अच्छा नहीं है।
एवं उच्च शिक्षा में भी पिछले 3 बर्षों में उतना ध्यान नहीं दिया गया जितना स्कूलों पर दिया गया परंतु फिर भी दिल्ली सरकार के शिक्षा के क्षेत्र में किये गए प्रयास सराहनीय हैं।
दिल्ली में शिक्षा के क्षेत्र में हुए सुधारों में शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया के अलावा उनकी सलाहकार आतिशी मरलेना के भी प्रयास सराहनीय हैं।