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दहेज़ के खिलाफ एक जंग

24 अप्रैल 2015

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सब दहेज़ पे तो लिख ही रहे थे मेने सोचा थोडा सा हट के पोस्ट बनाया जाये इसलिए इस मुद्दे पे बनाया सब कुछ मैंने नहीं लिखा है बहुत कुछ गूगल से भी लिया है दहेज़ लेना और देना ये दोनों ही इस्लाम कि नज़र में गुनाह है और ये सब जानते हैं पर क्या आप जानते हैं के निकाह के आजकल के प्रोसेस में हम एक और बदतरीन ज़ुल्म करते हैं जो दहेज़ से भी बदतर है और घृणा के क़ाबिल है, आप सब जानते हैं लेकिन कभी इसके बारे में सोचा नहीं होगा , आज मैं रौशनी डालता हूँ इस गुनाह के बारे में जो जाने अनजाने हम सब से हो रहे हैं। आजकल लड़कियों को देखने लड़के के घरवाले जाते हैं जिसने खूब तैयारियां होती हैं , ढेर सारा इंतेज़ाम होता है और लड़की वाले पूरी कोशिश करते हैं जान और माल से के हम लड़के वालों का हर दर्जे से लेहाज़ रखें और उसके बाद क्या होता है ?? लड़की से सवालात होते हैं, उससे चलने , बोलने, हंसने को कहा जाता है , एक तरह से बोलें तो बाज़ाब्ता इंटरव्यू होता है लड़कियों का और लेने वालियां भी औरतें और देने वाली भी लड़कियां ! फिर उनसे कह दिया जाता है के आप कि लड़की हमे पसंद नहीं क्योंकि आपके लड़की में फलां ऐब है, आपकी लड़की कि नख अच्छी नहीं है, होंट सही नहीं है, पढ़ी लिखी नहीं है , लम्बी नहीं है, लड़की के दांत बड़े हैं, लड़की दुबली है, मोटी है और न जाने कितनी चीज़ें ?? कभी सोचा है के इन सब चीज़ों का उस लड़की पे क्या असर होता होगा, सेल्फ कॉन्फिडेंस कि तो धज्जियाँ उड़ जाती होंगी, आप एक इंटरव्यू देते हैं और रिजेक्ट हो जाते हैं, तो क्या गुज़रती है आप पे ?? जहाँ पे आप के पास मौक़ा भी होता है के आप अच्छे से तैयारी करके आयेंगे दूसरी बार और सेलेक्ट होने का फिर से मौक़ा मिलेगा, पर यहाँ क्या तैयारी करे वो लड़की ?? क्या वो अपनी नाक , आँख , होंट सही कर सकती है ? क्या वो कुछ दिनों में मोटी या पतली हो सकती है ? क्या वो अपने कद को छोटा या बड़ा कर सकती है ? सोचिये क्या गुज़रती होगी उस लड़की पे जो रोज़ अपने रिजेक्ट होने का इंतज़ार करती होगी, सेल्फ कॉन्फिडेंस तो मानो बचता ही नहीं होगा। क्या अल्लाह के मख्लूक़ का इस तरह से तिरस्कार शोभा देता है मुसलमानो को ? क्या ये अल्लाह कि बनायीं हुई चीज़ में ऐब निकलकर सीधे अल्लाह पे नौजबिल्लाह ऊँगली उठाना नहीं हुआ ?? ये एक बदतरीन गुनाह है जो हम आप सब रोज़ कर रहे हैं , गौर करें के उस लड़की के माँ बाप के पास क्या आप्शन रह जाता है ? एक ये के खूब सारा दहेज़ देकर अपनी लड़की को विदा कर दें या फिर किसी नकारे के हाथ में अपनी लड़की सोंप दें ? आप दिल पे हाथ रख के बताइये के क्या आप परफेक्ट हैं ? क्या आप कि भी इसी तरह इंटरव्यू लव लड़की वाले तो आप सहन कर पाएंगे ?? अल्लाह ने किसी को चेहरे से ख़ूबसूरत बनाया है तो किसी को दिल से , सब के पास कुछ न कुछ अनमोल है और उस का मालिक वो खुद है जिसे अल्लाह ने उसे बक्शा है। लड़की से शादी करने के लिए सबसे पहला मापदंड खूबसूरती ही क्यों ? उसके किरदार और उसके ईमान कि पुख्तगी कि कोई क़ीमत नहीं ?? मैं ये नहीं कह रहा के आप लड़की को न देखें पर आप अल्लाह के वास्ते ऐसी हरकत न करें के लड़की के अस्तित्व पे ही चोट कर डालें। आप तस्वीर से पता लगा लें, उसके आस पड़ोस से मालूम कर लें, और भी कई तरह के सोर्स हैं पर ये अस्राफ़ और लड़कियों के तिरस्कार का गन्दा खेल ख़त्म करें। जो देखें जाती हैं वो भी औरत हैं और जिसे देखने जाती हैं वो भी लड़की है, एक औरत अगर औरत के दर्द को नहीं समझेगी तो कौन समझेगा ?? लड़के कि माँ होने से पहले आप एक औरत भी हैं, क्या आप अपनी शादी के वक़्त इस तिरस्कार को पसंद करती थी ? नहीं न ! तो फिर आप तिरस्कार क्यों करती हैं ?? क्या खूबसरती ज़िन्दगी भर रहेगी या अच्छे किरदार और इख़लाक़ ज़िन्दगी बाहर रहेंगे ?? फैसला आपके हाथ में हैं , जो दाएमी है और जो हमेशा रहेगा उसे चुने आओ हम सब मिल कर इस बुराई को ख़त्म करे हकीम दानिश
पुष्पा पी. परजिया

पुष्पा पी. परजिया

जी ये तो बहुत अच्छी बात है सही की आप ने दहेज़ ना लेने का फैसला किया है जो शुरुवात खुद से की जाय वो अवश्य सफल होती है .आज का युवा ही मानव समाज की विकृतियों को हटाने के लिए यदि सक्रिय हो जाएँ तो वो दिन दूर नहीं जब समाज से सभी कुरीतियों का अंत हो जायेगा ... धन्यवाद

26 अप्रैल 2015

हकीम दानिश

हकीम दानिश

पुष्पा जी आपका धन्यबाद और हा ये मैंने ऐसे ही नहीं लिखा है मेने खुद भी प्रण लिया है अपनी ज़िन्दगी में दहेज़ जैसी गन्दगी में नहीं लूंगा और भी हमारे कई भाई है जो इसे ख़त्म करने में लगे हुए है

24 अप्रैल 2015

पुष्पा पी. परजिया

पुष्पा पी. परजिया

आज के बच्चे अब इतने जागरूक हो रहे हैं तो अब समाज को बदलना ही है हाकिम दानिश जी बहुत अच्छा लगता है जब आज के युवा ऐसी समस्याओं पर अपनी बात शब्द नगरी जैसे मंच पर कहते हैं आपकी कही एक एक बात सही है और ये सिर्फ मुस्लिम वर्ग ककी बात नहीं ये हमारे पुरे मानव समाज की विडंबना है की आज जब दुनिया इतनी आगे बढ़ गई है तब भी ऐसे रीती रिवाजो का अन्त नहीं हुआ .. आपने सही लिखा लड़की खुद तो नहीं बनती आपने हाथ से न ये किसी के बस की बात ही है किन्तु ये लोग नहीं समझते रूप और पैसा आज के समाज की पहली मांग है और ये समस्या तब तक रहेगी जब हम खुद इसे ख़त्म न करेंगे ... बहत बहुत अच्छा ब्लॉग ... धन्यवाद

24 अप्रैल 2015

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मुझे शायरी का बहुत शोक है में जब फ्री होता हु तब शायरी लिखने बैठ जाता हु

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अब आप भी लिखिए अपने पोस्ट आर्टिकल आपके मुह से बोलकर हाथो को दीजिये आराम आप जो बोलेंगे वो आपके सामने लिखा जायेगा

9 नवम्बर 2015
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क्या आप भी चाहते हैं कि जो आप बोलो वह सारा कुछ लिखा जाए अगर आप चाहते हैं तो यह पोस्ट पूरा पढ़े और भी जानकारी ले और आप भी आज के बाद लिखना बंद करें और आप वही करो जो यहां पर आप जो भी बोलेंगे आपका वह सारा कुछ यहां पर लिखा जाएगा आपको यह पोस्ट अपने मुंह से बोलकर लिख सकते है तो कितना अच्छा रहेगा अगर ऐसा हो

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