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क्या संजू मूवी के द्वारा हिरानी ने संजय दत्त की छवि को सुधारने की कोशिश की है?

29 जुलाई 2018

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संजय दत्त की लाइफ पर राजकुमार हिरानी द्वारा बनाई बायॉपिक 'संजू' इंडिया में 29 जून 2018 को रिलीज़ हुई| कमाई के मामले में इस फिल्म ने कई रिकॉर्ड बनाये और अभी भी इसकी कमाई का सिलसिला का सिलसिला जारी है| यहाँ फिल्म अब तक इंडिया में 327 करोड़ और वर्ल्ड वाइड 500 करोड़ का कलेक्शन कर चुकी है| संजय दत्त की जिंदगी की कहानी बयां करती इस फिल्म को भारत में 4100 स्क्रीन्स पर रिलीज किया गया था| फिल्म में रणबीर कपूर ने संजय दत्त की भूमिका निभाई है और उनके साथ पिता सुनील दत्त के किरदार में परेश रावल, माँ नर्गिस के किरदार में मनीषा कोइराला, पत्नी मान्यता के रूप में दीया मिर्ज़ा और दोस्त के रूप में विक्की कौशल भी दिखेंगे| इस फिल्म का शीर्षक "संजू" रखा गया क्योंकि संजय दत्त की मां नर्गिस उन्हें संजू कहती थीं।


फिल्म महात्मा गांधी के साथ संजय दत्त की तुलना करते हुए शुरू होती है और खत्म होती है अभिनेता के द्वारा येरावाड़ा जेल के अंदर 'गांधीगिरी' करते हुए| संजय दत्त अभिनेत्री नर्गिस और बहुत सम्मानित अभिनेता-कार्यकर्ता-राजनेता सुनील दत्त के बेटे हैं। फिल्म संजय दत्त के बचपन को छोड़ देती है और हमे उनके जीवन के मध्य में ले जाती है|


पहली फिल्म पर उनके काम, उनकी मां की बीमारी, अपने पिता के साथ उनके रिश्ते, शराब और नशे की लत, 1993 के मुंबई बम विस्फोटों में शामिल होने के आरोप, उसकी गिरफ्तारी शस्त्र अधिनियम के तहत आतंकवादी आरोपों पर निर्दोष साबित होना, सजा पूरी होने के बाद जेल से बाहर आने तक की कहानी है|




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भले ही संजू एक ब्लॉकबस्टर फिल्म है लेकिन अभी भी कुछ तथ्य और आंकड़े हैं जिन्हें निर्देशक राज कुमार हिरानी ने अनदेखा किया है।


संजू में: संजय दत्त को जमानत मिली, लेकिन कैसे मिली इसका उल्लेख फिल्म में नहीं किया गया है, क्या यहाँ जमानत इतनी आसानी से मिल गई थी? संजय के पिता सुनील दत्त जो की कांग्रेस के राजनेता थे, उन्होंने शिवसेना के वरिष्ठ नेता बाल ठाकरे (राजनेता) से अपने बेटे को रिहा करने के लिए अनुरोध किया था| तब महाराष्ट्र को शिवसेना-भाजपा गठबंधन द्वारा शासित जाता था, उन्होंने इस मामले में व्यक्तिगत रूप से हस्तक्षेप किया और संजय दत्त को रिहा करवाया | इसके बदले में सुनील दत्त ने तत्कालीन मुंबई उत्तर पश्चिम निर्वाचन क्षेत्र से अगले लोकसभा चुनाव में भाग नहीं लिया|फिल्म में यह भी दिखाया गया है की संजय दत्त ज़ुबिन मिस्त्री की वजह से ड्रग्स लेने लगे साथ ही फिल्म में यह भी दिखाया है की ज़ुबिन मिस्त्री खुद ग्लूकोस लेता था और संजय दत्त को हार्ड कोर ड्रग्स देता था, यह एक बहुत ही हास्यप्रद दावा है|


संजू में : फिल्म में दिखाया गया है की संजय दत्त एक बहुत ही अच्छे दोस्त थे और ये साबित वो कमलेश के साथ उनकी दोस्ती दिखाकर कर रहे है लेकिन सच्चाई यह है की संजय दत्त की वजह से उनके बहुत सारे दोस्तों को प्रॉब्लम का सामना करना पड़ा था | 1993 मुंबई दंगो के दौरान संजय दत्त ने अजय मारवाह को 9एम एम की पिस्तौल दी थी जिसकी वजह से मारवाह को टी ए डी ए के अंदर 13 साल की सजा हुई| संजय दत्त के दूसरे दोस्त युसूफ नलवाला को 5 साल की जेल हुई क्योकि वो संजय दत्त के घर गए थे उनके कहने पे एके - 56 को नष्ट किया |


क्या ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि फिल्म वापस उनके अंडरवर्ल्ड कनेक्शन पर ध्यान केंद्रित कर सकती थी?

जमानत पर रिहा होने के बाद भी संजय दत्त कराची स्थित गैंगस्टर चट्टा शकील के संपर्क में थे। सन 2000 के विवादास्पद ऑडियो टेप के बारे में भी फिल्म में नहीं दिखया गया है,

जिसमे संजय दत्त की कथित रूप से अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा शकील के साथ वार्तालाप थी, जो उस समय पाकिस्तान में था | इसके अलावा अगर वह गैंगस्टर से डरता थे , तो वह उनके लिए खरीदारी क्यों कर रहा था? उस वार्तालाप में संजय दत्त ने टी-शर्ट का उल्लेख किया जिसे उन्होंने छोटा शकील के लिए खरीदा था|


हालांकि, फिल्म यह उल्लेख करने में विफल रही है, उसके पास पहले से ही तीन हथियार के लाइसेंस थे |



तथाकथित बायोपिक संजय दत्त के जीवन में हुए सभी गलतियों के लिए उनकी जगह बाकि सभी को दोषी ठहराती है | संजय दत्त के साथ जो भी हुआ उसके लिए हिरानी ने "सनसनीखेज मीडिया" को वास्तविक अपराधी के रूप में दिखिया है| जैसे कि यह मीडिया थी, न कि संजय दत्त जिन्होंने गलतियां की थीं| आलोचकों ने भी इस मुद्दे को उठाया जिसमे मीडिया को "खलनायक" के रूप में चित्रित किया गया है|

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