दिल मेरा मुझसे अब अक्सर, पूछता है बस यही |
यूँ मुझे गैरो को देने, का तुम्हे अधिकार क्या है ?
तुमने किया वादा मुझी से, बचपना था तो कहो फिर |
गर वो सब कुछ बचपना था, तो कहो फिर प्यार क्या है ?
क्यूँ हुई चाहत तुम्ही पे,
प्यार में खुद को भुलाया |
रुक गए बढ़ते कदम भी,
नाम तेरा यदि सुन भी पाया |
मिट गई हस्ती हमारी,
फिर भी तुझसे कह ना पाया |
कल्पना के इस भँवर में,
याद फिर मुझको क्युँ आया ?
कल बनेगी तू किसी की,
दिल तेरा तुझसे कहेगा |
क्यूँ हुई रोहित से मुह्हबत,
अब गिले का राज क्या है |
दिल मेरा मुझसे अब अक्सर, पूछता है बस यही |
यूँ मुझे गैरो को देने, का तुम्हे अधिकार क्या है ?(1)
है सरल तू सरस-अमिय,
अब बचपना तुझमे नहीं |
प्यार क्या है ये हकीकत,
जनता है तब सही |
प्यार करके बेवफाई,
जब खुद से करता है कोई |
"तिश्नगी" तन की बुझी है,
मन तो प्यासा है अभी |
तन को मन से जोड़ने का,
तू बता आधार क्या है ?
दिल मेरा मुझसे अब अक्सर, पूछता है बस यही |
यूँ मुझे गैरो को देने, का तुम्हे अधिकार क्या है ?(2)