सीनियर सिटीजन का मतलब बुजुर्ग वर्ग जो 60 साल के ऊपर है| हर 21 अगस्त को नेशनल सीनियर सिटीजन दिवस मनाया जाता है |इसकी शुरुआत अमेरिका में हुई थी| कुछ लोग 14 अगस्त को वरिष्ठ नागरिक दिवस मनाते हैं क्योकि 14 अगस्त को अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलिन रूजवेल्ट ने 1935 में सोशल सिक्योरिटी एक्ट पर हस्ताक्षर किए थे। हालाँकि, 1988 में रोनाल्ड रीगन, जो उस समय अमेरिकी राष्ट्रपति थे, ने 21 अगस्त को राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक दिवस घोषित किया|
सीनियर सिटिजन के लिए खास
यह दिन वरिष्ठ नागरिकों को प्रभावित करने वाले सामाजिक, स्वास्थ्य और आर्थिक मुद्दों के बारे में जागरूकता लाने के लिए भी बनाया गया था। इस दिन बहुत से कार्यक्रम आयोजित किये जाते है|इस दिन को मनाने का मुख्या उद्देश्या बुजुर्ग वर्ग को सम्मान देना है | इस दिन उनके द्वारा किये गए कार्य को याद किया जाता है और उनको स्पेशल फील क्रय जाता है ये बताकर की उनका हमारी जिंदगी में क्या स्थान है और क्या रोल रहा है आज तक |
यदपि पौष मातरं पुत्र: प्रभुदितो धायन
इत्दगे भवामयहतो पितरो ममा ||
अर्थात जिन माता पिता ने अपने अनथक प्रयासों से पाल पोसकर मुझे बड़ा किया है, अब मेरे बड़े होने पर जब वे अशक्त हो गए है तो वे जनक जननी किसी भी प्रकार से पीड़ित ना हो, इस हेतु मै उसी के सेवा सत्कार से उन्हें संतुष्ट कर अपा आनशय ( ऋण के भार से मुक्ति) कर रहा हूँ| यह मन्त्र यजुर्वेद में लिखित है जो संतान को अपने माता पिता की सेवा और उनका सम्मान करने को कहता है|
भारत में वृद्धो की सेवा और उनकी रक्षा के लिए कई कानून और नियम बनाये गए है| केंद्र सरकार ने भारत में वरिष्ठ नागरिको की आरोग्यता और कल्याण को बढ़ावा देने के लिए सन 1999 में वृद्ध सदस्यों के लिए राष्ट्रीय निति तैयार की है| इस नीति का उद्देश्य को स्वयं के लिए और अपने पति- पत्नी के बुढ़ापे के लिए व्यवस्था करने के लिए प्रोत्साहित करना तथा इसमें परिवार के वृद्ध सदस्यों की देखभाल करने के लिए प्रोत्साहित करने का प्रयास भी किया जाता है|
इसके साथ ही 2007 में माता- पिता एवं वरिष्ठ नागरिक भरण - पोषण विधेयक संसद में पारित किया गया है|इसमें माता- पिता के भरण - पोषण , वृद्धाश्रमों की स्थापना , चिकत्सिया सुविधा की व्यवस्था और वरिष्ठ नागरिको के जीवन और सम्पति का प्रावधान किया गया|
हिन्दू शस्त्रों में माता - पिता को भगवान का दर्ज़ा दिया गया है| भारत देश हो या कोई और देश वरिष्ठ नागरिको को सम्मान देना बहुत ज़रूरी है |भारत में तो फिर भी आज भी बड़े बुजर्गो का सम्मान किया जाता है और सबसे बड़ी बात दूसरे देशो की तुलना में बड़े बुजर्गो को इतना वृद्धाश्रम नहीं भेजा जाता है| अमेरिका या अन्य देशो में भारत की तुलना में वृद्धाश्रम का प्रचलन अधिक है वहाँ की संस्कृति यहाँ से अलग है| वृद्धाश्रमों की बढ़ती संख्या का मतलब यही है की उनको उपेक्षित किया जा रहा है |
इस दिन अपने घर के वरिष्ठों के समय बिताये , उनके जीवन के पुराने किस्से पूछे , उनकी पसंदीदा जगह पर जाये | किसी वृद्धाश्रम में जा कर उनके साथ समय बिताये | इस दिन का मतलब यह नहीं है की आप सिर्फ इस दिन उनका सम्मान करे या सिर्फ इस दिन उनके साथ बात करे या उन साथ समय बिताये | हमे हमेशा अपने बुजर्गो का सम्मान करना चाहिए और उनके विचार सुनने चहिये और उनके साथ समय भी व्यतीत करना चहिये|