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मैं बिना कलम का कवि हूं

12 मई 2015

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मैं पतझड़ वाला मौसम हूं मैं अंधेरे से रोशन हूं मैं आसमां हूं बिन तारों का मैं मुरझाया इक गुलशन हूं मैं इक बंजर जमीं हूं मैं बिन रोशनी का रवि हूं मैं समंदर हुूं बिन पानी का मैं बिना कलम का कवि हूं... मैं बिना कलम का कवि हूं वो सपना भी बड़ा सस्ता है, जो मेरी आंखों में बसता है. कुछ हालत मेरी ऐसी है, इस जो देखे वो हंसता है. बरसाए सावन बदरा चाहे भरकर अपने सीने में. फिर भी मेरा मन अभागा, इक इक बूंद को तरसता है. मेरी आंखों के जो आँसू हैं, खुद को साबित करने को तरसते हैं दुनिया समझे उनको पानी, जब वो झर झर बरसते हैं दिखती है मंजिल मेरी मुझको बड़ी ही दूर से लेकिन पहुंच न पाता उस तक, क्योंकि बंद सारे रस्ते हैं मेरा मन कुछ ऐसा है, जिस पर मेरा ही स्वामित्व नहीं. मेरे दिल-ओ-दिमाग पर यारो मेरा आधिपत्य नहीं. कह रहा हेमंत सब सुनलो. बिना कलम के किसी कवि का कुछ भी अस्तित्व नहीं. बिना कलम के किसी कवि का कुछ भी अस्तित्व नहीं....
हेमंत चतुर्वेदी

हेमंत चतुर्वेदी

बहुत धन्यवाद मनोज जी

12 मई 2015

मनोज कुमार - मण्डल -

मनोज कुमार - मण्डल -

वो सपना भी बड़ा सस्ता है , जो मेरी आँखों में बसता है , बहुत सुन्दर पंक्त्ति , बधाई |

12 मई 2015

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मैं बिना कलम का कवि हूं

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मैं पतझड़ वाला मौसम हूं मैं अंधेरे से रोशन हूं मैं आसमां हूं बिन तारों का मैं मुरझाया इक गुलशन हूं मैं इक बंजर जमीं हूं मैं बिन रोशनी का रवि हूं मैं समंदर हुूं बिन पानी का मैं बिना कलम का कवि हूं... मैं बिना कलम का कवि हूं वो सपना भी बड़ा सस्ता है, जो मेरी आंखों में बसता है. कुछ हालत मेरी ऐसी है,

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कांग्रेस सांसद एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के नाम खुला खत

2 अप्रैल 2016
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                    आदरणीयज्योतिरादित्य सिंधिया जीपूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं कांग्रेस सांसद               महोदय,आपको लिखे जाने वाले इस खत के पीछे मेरा औचित्य न तो किसी तरह के स्वार्थ सेप्रेरित है, और न व्यक्तिगत तौर पर आपसे मेरा विशेष जुड़ाव। बस लोकतंत्र के चौथेस्तंभ से जुड़ा उसका एक सजग प्रहरी होने

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मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के नाम खुला खत

2 अप्रैल 2016
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               प्रति शिवराज सिंह चौहानमुख्यमंत्री, मप्र               आदरणीयमुख्यमंत्री जी। न तो मैं इस काबिल हूं, कि आपको कोई सलाह दे सकूं। और न ही मैंइतनी हिमाकत कर सकता हूं, कि आपके कुछ किए हुए को गलत ठहरा सकूं। मैं तो सिर्फ इसखुले खत के जरिए आपके सामने अपना दुखड़ा व्यक्त करना चाहता हूं। जो कि सि

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मैं कांग्रेस बोल रही हूं...मध्यप्रदेश कांग्रेस !

2 अप्रैल 2016
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                  मैं कांग्रेस बोल रही हूं, मध्य प्रदेश कांग्रेस। वहीं कांग्रेस, जोपूरे चार दशकों तक काबिज रही सूबे की सत्ता पर। वही कांग्रेस, जिसने एक समय अखंडराज किया हिन्दुस्तान के दिल पर। वहीं कांग्रेस, जिसने मध्य भारत को बनायामध्यप्रदेश।क्या दिन थे वो भी, हर कुछ फीका फीफा लगता था मेरी शान के सा

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