भूत जिसे आकाश निगल गया है और भविष्य के बीज अभी आकाश में है, ना तो भूत साथ है और ना ही भविष्य, साथ है तो सिर्फ वर्तमान. भूत और भविष्य पर गर्व वो करते है जिनके पास वर्तमान में गर्व करने को कुछ होता नहीं है. हम क्या थे या हम क्या होंगे इससे किसी को कोई मतलब नहीं, दुनियां सिर्फ वर्तमान में क्या है उसी से परखती है. कृष्ण ने अर्जुन से गीता में यह ही कहा है कि ना तो पीछे मुड़कर देखने की आवश्यकता है ना ही भविष्य के बारे में सोचने की, वर्तमान में तेरे सामने युद्ध है और तुझे सिर्फ युद्ध की सोचनी चाहिए. भूत जो तेरे हाथ से निकल चूका है, जिसे बदला नहीं जा सकता, भविष्य तेरे हाथ में नहीं है, कब महा प्रलय हो जाए ये तू नहीं जानता. तेरे हाथ में सिर्फ वर्तमान है, इसलिए वर्तमान की सोच, यही वर्तमान तेरे आने वाले भविष्य का कारण बनेगा.(आलिम)